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आज दिवाली के ही दिन नरक चतुर्दशी का पर्व, जानें मुहूर्त

नरक चतुर्दशी यानी रूप चौदस का पर्व धनतेरस और दिवाली के बीच मनाया जात है. इसे हर साल दिवाली से एक दिन पहले मनाया जाता है, लेकिन इस बार यह पर्व आज दिवाली के ही दिन मनाया जाएगा. इस दिन महालक्ष्मी जी के अलावा कुबेरजी, हनुमानजी और यमराज की पूजा की जाती है.

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आज दिवाली के ही दिन नरक चतुर्दशी का पर्व
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Published : Nov 14, 2020, 11:03 AM IST

जयपुर. नरक चतुर्दशी का पर्व धनतेरस और दिवाली के बीच आता है. इसे हर साल दिवाली से एक दिन पहले मनाया जाता है, लेकिन इस बार नरक चतुर्दशी यानी रूप चौदस का पर्व आज दिवाली के दिन ही पड़ रहा है. आज के दिन विवाहित महिलाएं सोलह श्रृंगार करती है.

आज दिवाली के ही दिन नरक चतुर्दशी का पर्व

ज्योतिषाचार्य डॉ. राजेश शर्मा ने बताया कि दिवाली और रूप चतुर्दशी एक ही दिन मनाई जा रही है. ऐसे में आज दोपहर 1 बजकर 25 मिनट से 2 बजकर 25 मिनट तक शुभ मुहूर्त रहेगा. भविष्य पुराण के अनुसार इस दिन रूप चौदस पर महालक्ष्मी जी के अलावा कुबेरजी, हनुमानजी और यमराज की पूजा की जाती है. ये पहला अवसर होता है, जब साल में एक बार यमराज की पूजा करते हैं.

यह भी पढ़ें- Diwali Special: ETV भारत के साथ शुभ मुहूर्त में करें महालक्ष्मी का पूजन...मिलेगा सुख-समृद्धि का आशीर्वाद

रूप चतुर्दशी की पूजा करने के लिए एक पाटा लें और उस पर लाल वस्त्र बिछाएं. इसके बाद तीन चावल की ढेरी बनाएं और पूजा करें. जैसा पहले भी लिखा है कि, पूजा करने से पूर्व आपको कुबेरजी, हनुमान जी और यमराज से प्रार्थना करेंगे. वहीं हनुमान जी के लिए चमेली के तेल का दीपक लगाना है और कुबेर जी के लिए घी का दीपक और यमराज के लिए सरसों के तेल का दीपक प्रज्वलित करना है. ध्यान रहे कि यमराज के दीपक की लो दक्षिणमुखी हो साथ ही फल-फूल मिठाई अर्पित करें.

जयपुर. नरक चतुर्दशी का पर्व धनतेरस और दिवाली के बीच आता है. इसे हर साल दिवाली से एक दिन पहले मनाया जाता है, लेकिन इस बार नरक चतुर्दशी यानी रूप चौदस का पर्व आज दिवाली के दिन ही पड़ रहा है. आज के दिन विवाहित महिलाएं सोलह श्रृंगार करती है.

आज दिवाली के ही दिन नरक चतुर्दशी का पर्व

ज्योतिषाचार्य डॉ. राजेश शर्मा ने बताया कि दिवाली और रूप चतुर्दशी एक ही दिन मनाई जा रही है. ऐसे में आज दोपहर 1 बजकर 25 मिनट से 2 बजकर 25 मिनट तक शुभ मुहूर्त रहेगा. भविष्य पुराण के अनुसार इस दिन रूप चौदस पर महालक्ष्मी जी के अलावा कुबेरजी, हनुमानजी और यमराज की पूजा की जाती है. ये पहला अवसर होता है, जब साल में एक बार यमराज की पूजा करते हैं.

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रूप चतुर्दशी की पूजा करने के लिए एक पाटा लें और उस पर लाल वस्त्र बिछाएं. इसके बाद तीन चावल की ढेरी बनाएं और पूजा करें. जैसा पहले भी लिखा है कि, पूजा करने से पूर्व आपको कुबेरजी, हनुमान जी और यमराज से प्रार्थना करेंगे. वहीं हनुमान जी के लिए चमेली के तेल का दीपक लगाना है और कुबेर जी के लिए घी का दीपक और यमराज के लिए सरसों के तेल का दीपक प्रज्वलित करना है. ध्यान रहे कि यमराज के दीपक की लो दक्षिणमुखी हो साथ ही फल-फूल मिठाई अर्पित करें.

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