जयपुर. लगातार दूसरे साल भी अक्षय तृतीया पर कोरोना का प्रकोप मंडराया हुआ है. शुक्रवार को अक्षय तृतीया पर दूसरी बार ऐसा होगा, जब कोरोना और लॉकडाउन के कारण सामूहिक विवाह समारोह नहीं होंगे. सराफा बाजार बंद रहेंगे, लेकिन कुछ लोग स्वर्ण आभूषण की ऑनलाइन खरीदारी करेंगे. इस दिन अधिकार समाजों के लोग भगवान विष्णु की पूजा कर मिट्टी के घड़े आम और खरबूज, तरबूज आदि फलों का दान करेंगे.
ज्योतिषाचार्य पंडित गणपतलाल सेवग कहते हैं कि त्रेता और सतयुग का आरंभ भी इसी दिन हुआ था. इसलिए इसे कृतयुगादि तृतीया भी कहते हैं. इस दिन को स्वयं सिद्ध मुहूर्त के रूप में जाना जाता है. इस तिथि को बिना किसी पंचांग देखे भी कोई भी शुभ मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, घर, भूखंड या वाहन आदि की खरीदारी से सम्बंधित कार्य किए जा सकते हैं. धर्मराज को इस तिथि का महत्व समझाते हुए माता पार्वती ने बताया था कि कोई भी स्त्री, जो किसी भी तरह का सुख चाहती है, उसे यह व्रत करते हुए नमक का पूरी तरह से त्याग करना चाहिए.
इस दिन पुण्य और धर्म-कर्म अक्षय होता है. विभिन्न समाजों में इस दिन परशुराम जन्मोत्सव और भगवान ऋषभदेव की विशेष पूजा अर्चना से जुड़े आयोजन घरों में ही किए जाएंगे. ब्राह्मण समाज घरों में दीप जलाकर आराधना करेंगे. वहीं, इस कोविड विपदा के निवारण के लिए प्रार्थना करेंगे. सर्व ब्राह्मण महासभा के आह्वान पर समाज के सभी लोग घरों में ही पूजा-अर्चना और शाम को 11-11 दीपक जलाकर परशुराम जयंती मनाएंगे. साथ ही जैन समाज में अक्षय तृतीया पर जैन मंदिरों के ध्वज चढ़ाया जाएगा.