जयपुर. राजस्थान में गुरुवार को 21 जिला प्रमुख और 222 प्रधान में से 20 जिला प्रमुख और 222 प्रधानों का चुनाव हो गया है. परिणामों में भाजपा का पलड़ा साफ तौर पर सत्ताधारी दल कांग्रेस पर भारी पड़ा है. जहां 20 में से 13 जिला प्रमुख भाजपा के बने हैं, तो कांग्रेस को महज 5 जिला प्रमुख पर संतोष करना पड़ा है. 3 जिला प्रमुख निर्दलीय भी बने हैं.
झालावाड़ में जिला प्रमुख के नतीजे शुक्रवार को आएंगे. हालांकि प्रधान बनाने की रेस में कांग्रेस पार्टी ने भाजपा से बराबरी कर ली है. यहां कुल 222 पंचायत समितियों में से 98 पंचायत समितियों में भाजपा ने 98 प्रधान बनाए हैं. वहीं कांग्रेस के खाते में भी 98 प्रधान आए हैं. 23 प्रधान निर्दलीय जीते हैं तो दो प्रधान आरएलपी और एक सीपीएम का बना है.
इन परिणामों में जहां जिला प्रमुख बनाने में भाजपा ने बाजी मारी है, तो वहीं चाहे भाजपा हो या कांग्रेस परिवारवाद का फूल कई जगह खिला है. हालांकि जिला प्रमुख बनाने में कांग्रेस पार्टी ने परिवारवाद को किनारे किया, जिसका खामियाजा उसे जैसलमेर जिला प्रमुख की सीट गंवाकर मिला है. वहीं ऐसा ही नुकसान भारतीय जनता पार्टी के साथ अजमेर में हुआ है. जब भाजपा ने पूर्व विधायक सुशीला कंवर पलाड़ा को जिला प्रमुख बनाने से इंकार कर दिया, तो वह निर्दलीय मैदान में उतर गई और चुनाव भी जीत गई.
जिला प्रमुख जहां चला परिवारवाद भाजपा
1. झुंझुनू जिला प्रमुख -भाजपा ने झुंझुनू से सांसद नरेंद्र कुमार की पुत्रवधू हर्षिनी कुलहरी को उम्मीदवार बनाया, जिन्होंने चुनाव जीत लिया है.
2. सीकर जिला प्रमुख- नीमकाथाना के पूर्व विधायक प्रेम सिंह बाजोर की पुत्रवधू गायत्री कंवर सीकर की जिला प्रमुख बनी है.
3. उदयपुर जिला प्रमुख- उदयपुर जिला प्रमुख ममता कुंवर पवार भाजपा उदयपुर ग्रामीण के अध्यक्ष भंवर सिंह पवार बेटी हैं.
4. चूरू जिला प्रमुख- चूरू जिला प्रमुख बनी वंदना आर्य पूर्व विधायक रावत राम आर्य की पुत्रवधू हैं.
कांग्रेस
1. बांसवाड़ा जिला प्रमुख- बांसवाड़ा जिला प्रमुख रेशम मालवीय पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक महेंद्रजीत सिंह मालवीय की पत्नी हैं.
2. प्रतापगढ़ जिला प्रमुख- प्रतापगढ़ जिला प्रमुख इंदिरा मीणा प्रतापगढ़ से कांग्रेस विधायक रामलाल मीणा की पत्नी हैं.
अजमेर से भाजपा और जैसलमेर से कांग्रेस ने किया परिवारवाद को इंकार तो धोना पड़ा जिला प्रमुख से हाथ
अजमेर जिला प्रमुख- अजमेर से कांग्रेस के पूर्व विधायक और जिला प्रमुख रही सुशील कंवर पलाड़ा ने भी अपने लिए जिला प्रमुख की सीट भाजपा से मांगी थी, लेकिन भाजपा ने इससे इंकार कर दिया. ऐसे में सुशील कंवर पलाड़ा ने बगावत कर दी और वह निर्दलीय मैदान में उतर गई. स्थिति यह हुई कि अजमेर जिला प्रमुख की सीट से भाजपा को हाथ धोना पड़ा और कांग्रेस के साथ और भाजपा की बगावत से सुशील कंवर पलाड़ा निर्दलीय जिला प्रमुख बन गईं.
जैसलमेर जिला प्रमुख- जैसलमेर जिला प्रमुख पद के लिए मंत्री सालेह मोहम्मद अपने भाई अब्दुल्ला फकीर और विधायक रुपाराम मेघवाल अपनी बेटी अंजना मेघवाल के लिए जिला प्रमुख का पद कांग्रेस पार्टी से मांग रहे थे. कांग्रेस पार्टी ने इससे इंकार कर दिया तो भले ही अब्दुल्ला फकीर और आंजना मेघवाल ने जिला प्रमुख का निर्दलीय चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन कांग्रेस के जिला परिषद सदस्यों ने बगावत कर दी और नतीजा यह निकला कि कांग्रेस को बहुमत होने के बाद भी अपने जिला प्रमुख पद से हाथ धोना पड़ा.
हालांकि बीकानेर जिला प्रमुख के लिए भी विधायक गोविंद मेघवाल ने भी बीकानेर से अपनी बेटी के लिए प्रधान पद मांगा था, लेकिन उन्हें यह पद नहीं दिया गया. लेकिन गोविंद मेघवाल की ओर से कोई बगावत नहीं हुई और कांग्रेस के ही जिला प्रमुख बीकानेर में बने.
पंचायत समितियों में यह रहा परिवारवाद कांग्रेस पार्टी में परिवारवाद से बने प्रधान
1. सराडा पंचायत समिति- उदयपुर जिले की सराडा पंचायत समिति से बसंती देवी प्रधान बनी हैं. बसंती देवी पहले कांग्रेस की सलूम्बर से विधायक भी रह चुकी हैं और कांग्रेस सीडब्ल्यूसी मेंबर और पूर्व सांसद रघुवीर मीणा की पत्नी हैं.
2. पूगल पंचायत समिति- बीकानेर की पूगल पंचायत समिति से कांग्रेस विधायक गोविंद मेघवाल के बेटे गौरव प्रधान बने हैं.
3. खंडेला पंचायत समिति- खंडेला पंचायत समिति से डॉ. गिर्राज कांग्रेस के प्रधान बने हैं, जो पूर्व केंद्रीय मंत्री और वर्तमान निर्दलीय विधायक महादेव सिंह खंडेला के पुत्र हैं.
4. जहाजपुर पंचायत समिति- भीलवाड़ा की जहाजपुर पंचायत समिति से सीता देवी गुर्जर प्रधान बनी हैं, जो कांग्रेस सचिव और पूर्व विधायक धीरज गुर्जर की मां हैं.
5. डूंगरगढ़ पंचायत समिति- डूंगरगढ़ पंचायत समिति से सावित्री देवी को जीत मिली है, सावित्री देवी श्री डूंगरगढ़ के पूर्व विधायक मंगलाराम गोदारा की पुत्रवधू हैं.
6. गिरवा पंचायत समिति- उदयपुर की गिरवा पंचायत समिति से सज्जन देवी कटारा प्रधान बनी हैं, जो पूर्व विधायक भी रह चुकी हैं.
7. मावली पंचायत समिति- उदयपुर की मावली पंचायत समिति से पुष्कर लाल डांगी प्रधान बने हैं, जो पूर्व में विधायक भी रह चुके हैं.
8. गडरा रोड पंचायत समिति- बाड़मेर की गडरा रोड पंचायत समिति से विधायक अमीन खान के पोते सलमान खान प्रधान बने हैं.
9. धनाऊ पंचायत समिति- बाड़मेर की धनाऊ पंचायत समिति से शमा बानो प्रधान बनी हैं, जो पूर्व विधायक अब्दुल हादी की पुत्र वधू हैं.
भाजपा में परिवारवाद वाले प्रधान
1. सुजानगढ़ पंचायत समिति- चूरू के सुजानगढ़ पंचायत समिति से पूर्व मंत्री खेमाराम मेघवाल की पत्नी मनभरी मेघवाल प्रधान बनी हैं. टिकट नहीं दिया तो पार्टी को कर दिया नुकसान
2. भाजपा मकराना पंचायत समिति- मकराना पंचायत समिति से भाजपा के पूर्व विधायक श्रीराम भींचर ने अपनी पुत्रवधू के सुनीता भींचर के लिए मकराना पंचायत समिति से प्रधान पद की मांग की, लेकिन भाजपा ने दामू देवी को प्रत्याशी बना दिया. इससे पूर्व विधायक नाराज हो गए और उन्होंने अपनी पुत्रवधू को निर्दलीय ही मैदान में उतार दिया और वह भाजपा की प्रत्याशी को हराकर मकराना पंचायत समिति की प्रधान बन गई, जिससे भाजपा को नुकसान हुआ.
कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी के भीनमाल से विधायक प्रत्याशी रहे उम सिंह चांदराई ने अपनी पुत्रवधू संतोष कंवर के लिए प्रधान का पद मांगा, जिसे कांग्रेस ने ठुकरा दिया तो संतोष कंवर ने निर्दलीय नामांकन कर दिया और वह कांग्रेस प्रत्याशी के सामने चुनाव जीत गईं और कांग्रेस को प्रधान का पद गंवाना पड़ा.