जयपुर. प्रदेश में बाघों का कुनबा लगातार बढ़ रहा है. राजस्थान में करीब 100 से अधिक बाघ हैं. राज्य में 4 टाइगर रिजर्व है. जिसमें रणथंभोर, सरिस्का, मुकुंदरा के बाद अब रामगढ़ विषधारी चौथा टाइगर रिजर्व बन गया है. इसके बाद अब पांचवें टाइगर रिजर्व को लेकर भी कवायद शुरू कर दी गई है. यह बात 'इंटरनेशनल टाइगर डे' के मौके पर ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए राजस्थान वन विभाग की मुख्य प्रधान वन संरक्षक (हॉफ) श्रुति शर्मा ने कही.
उन्होंने कहा कि पर्यटन की दृष्टि से प्रदेश में पांचवें टाइगर रिजर्व बनाने को लेकर सर्वेक्षण शुरू कर दिया गया है. इसके लिए राज्य सरकार के निर्देश पर एक कमेटी का गठन किया गया है. राजसमंद का कुंभलगढ़ प्रदेश का पांचवा टाइगर रिजर्व होगा. कुंभलगढ़ को नए टाइगर रिजर्व के रूप में घोषित करने की तैयारी की जा रही है. उन्होंने बताया कि पूरे विश्व में 70 प्रतिशत से अधिक बाघ केवल भारत में पाए जाते हैं. दुनिया भर से विशेषज्ञ, फोटोग्राफर और वन्यजीव प्रेमी भारत आते हैं और टाइगर से जुड़ी तमाम जानकारियों को हासिल करते हैं.
श्रुति शर्मा ने कहा कि साल 2018 के बाद राजस्थान में बाघों का कुनबा बढ़ रहा है. उन्होंने बताया कि बाघ संरक्षण के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए प्रदेश के टाइगर रिजर्व, बायोलॉजिकल पार्क और चिड़िया घरों में जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं.
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उन्होंने कहा कि दुनिया के 9 देशों को एंबेडसर सरिस्का में मौजूद हैं. जिनको सरिस्का टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर विजिट करवाकर टाइगर संरक्षण को लेकर किए जा रहे कार्यों के बारे में जानकारी देंगे.
भारत में हैं सबसे ज्यादा टाइगर
श्रुति शर्मा ने बताया कि भारत में 51 टाइगर रिजर्व हैं. वर्ष 2018 से लगातार भारत में टाइगर की संख्या बढ़ रही है. बाघों की संख्या में बढ़ाने के लिए विभाग की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं. बाघों का कुनबा बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से नए टाइगर रिजर्व भी बनाए जाते हैं. राजस्थान के सभी अभयारण्यों में करीब 100 से अधिक टाइगर मौजूद हैं. सरिस्का में 23 टाइगर है. 76 टाइगर रणथंभोर में और मुकुंदरा और रामगढ़ विषधारी में एक-एक टाइगर हैं.
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टाइगर रिजर्व में प्रेबेस बढ़ाने का प्रयास
श्रुति शर्मा ने बताया कि राजस्थान के टाइगर रिजर्व में प्रेबेस बढ़ाने के लिए केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान और मुकुंदरा से स्टाफ को मध्यप्रदेश भेजा गया है. वहां पर बूमा टेक्निक का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. बूमा टेक्निक के माध्यम से वाइल्ड लाइफ को बिना ट्रैंकुलाइज किए एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से छोड़ा जा सकता है. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में करीब 3000 से अधिक चीतल हैं, जिनको अलग-अलग जंगलों में छोड़ा जाएगा. सरिस्का, रणथंभोर और मुकुंदरा में प्रेबेस बढ़ाने के लिए केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान से चीतल लाकर छोड़े जाएंगे.
टाइगर हैबिटेट को संरक्षित करना जरूरी
श्रुति शर्मा ने बताया कि बाघ संरक्षण के लिए टाइगर हैबिटेट को संरक्षित करना जरूरी है. वनों को काटने से रोका जाए और वन विभाग की भूमि पर अतिक्रमण नहीं होने दें. बाघ संरक्षण को लेकर प्रचार प्रसार करें और लोगों में जागरूकता लाई जाए. अगर किसी के आसपास टाईगर आ जाता है तो डरे नहीं. वन विभाग को सूचित करें. फ्रेंड्स ऑफ टाइगर के रूप में अपना सहयोग दें.