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जयपुर: RTO में चल रहे वाहनों के फर्जी रजिस्ट्रेशन का पर्दाफाश, दलाल और एलडीसी गिरफ्तार

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Published : Mar 18, 2021, 5:43 PM IST

जयपुर में खोनागोरियां थाना पुलिस की ओर से एक बड़ी कार्रवाई की गई है. जिसमें झालाना स्थित आरटीओ कार्यालय में वाहनों का फर्जी रजिस्ट्रेशन करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया गया है. इस दौरान प्रकरण में एक दलाल और आरटीओ के 1 एलडीसी को गिरफ्तार किया गया है.

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आरटीओ में चल रहे वाहनों के फर्जी रजिस्ट्रेशन का पर्दाफाश

जयपुर. राजधानी की खोनागोरियां थाना पुलिस की ओर से एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए झालाना स्थित आरटीओ कार्यालय में वाहनों का फर्जी रजिस्ट्रेशन करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया गया है. पुलिस की ओर से कार्रवाई करते हुए प्रकरण में एक दलाल और आरटीओ के 1 एलडीसी को गिरफ्तार किया गया है.

आरटीओ में चल रहे वाहनों के फर्जी रजिस्ट्रेशन का पर्दाफाश

वहीं, इस पूरे प्रकरण में आरटीओ के अन्य कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है. जिसके बारे में पुलिस की तरफ से जांच की जा रही है. इसके साथ ही गैंग के सदस्यों की ओर से वाहनों के फर्जी चेचिस नंबर और फर्जी इंजन नंबर के आधार पर उनका फर्जी रजिस्ट्रेशन करवाया गया है. साथ ही जिन लोगों के नाम पर रजिस्ट्रेशन हुआ है उनका भी कोई अस्तित्व नहीं पाया गया है.

एडिशनल पुलिस कमिश्नर क्राइम अजय पाल लांबा ने बताया कि फरवरी 2019 में आरटीओ अधिकारी जाकिर हुसैन की ओर से एक शिकायत दर्ज करवाई गई थी. जिसमें इस बात का जिक्र किया गया था कि, जुलाई 2018 से जनवरी 2019 तक झालाना आरटीओ कार्यालय से 45 वाहनों का फर्जी रजिस्ट्रेशन किया गया है. तमाम वाहन कमर्शियल वाहन थे जो कि टाटा मैसर्स, अशोक लीलैंड और मैसर्स वीई कमर्शियल की ओर से बनाएं होना पाए गए.

पढ़ें: बड़ी खबर: प्रदेश में बदमाशों के हौसले बुलंद...व्यापारी की गोली मारकर हत्या, 30 लाख लूटे

जब इन वाहनों के संबंध में उक्त कंपनियों से जानकारी मांगी गई तो उन्होंने उस चेचिस नंबर और इंजन नंबर का कोई भी वाहन बनाने से इंकार कर दिया. जिसके बाद आरटीओ की तरफ से खोनागोरियां थाने में प्रकरण दर्ज करवाया गया. प्रकरण दर्ज कर पुलिस ने जांच शुरू की तो यह बात पता चली कि, जिन कंपनियों के वाहन का रजिस्ट्रेशन किया गया है. वह वाहन उस कंपनी की ओर से कभी बनाई ही नहीं गई. उन वाहनों के संबंध में लोन के जो दस्तावेज रजिस्ट्रेशन के दौरान फाइल में लगाए गए हैं, वह भी फर्जी पाए गए.

एक ही मकान का किरायानामा लगाकर हुआ फर्जी रजिस्ट्रेशन

पुलिस की ओर से इस पूरे प्रकरण में जब कार्रवाई को आगे बढ़ाया गया तो यह बात पता चली कि जिन 45 वाहनों का फर्जी रजिस्ट्रेशन किया गया है. उनके रजिस्ट्रेशन में सभी व्यक्तियों के नाम अलग-अलग है, लेकिन सभी व्यक्तियों का पता एक ही है. जब पुलिस ने गहनता से जांच की तो पता चला कि दलाल नजीर अहमद की ओर से सभी 45 वाहनों पर अपने मकान का किरायानामा लगाकर आरटीओ कर्मचारियों के साथ मिलीभगत कर फर्जी रजिस्ट्रेशन करवाया गया है.

यह भी पढ़ें: कांग्रेस के शासन में थाना, अस्पताल, सड़क और घर पर भी महिला सुरक्षित नहीं, प्रदेश में 1 साल में 12 हजार दुष्कर्म: अलका गुर्जर

इस पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने दलाल नजीर अहमद को गिरफ्तार किया. जब उससे पूछताछ की गई तो उसने बताया कि आरटीओ के एलडीसी जहांगीर खान के साथ मिलकर फर्जी रजिस्ट्रेशन करवाता है. जिस पर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आरटीओ कार्यालय से एलडीसी जहांगीर खान को भी गिरफ्तार कर लिया.

आरोपियों की ओर से जिन वाहनों का फर्जी रजिस्ट्रेशन किया गया है. वह तमाम वाहन दूसरे राज्यों के हैं और सभी चोरी के हैं. गैंग के सदस्यों की तरफ से वाहनों की चेचिस नंबर और इंजन नंबर बदल कर उनकी झूठी चोरी की रिपोर्ट दर्ज करवाई जाती और फिर फर्जी नाम पते भरकर रजिस्ट्रेशन करवाया जाता. फिलहाल प्रकरण में पुलिस की जांच जारी है. जिसमें कुछ अन्य खुलासे होने की संभावना है.

जयपुर. राजधानी की खोनागोरियां थाना पुलिस की ओर से एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए झालाना स्थित आरटीओ कार्यालय में वाहनों का फर्जी रजिस्ट्रेशन करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया गया है. पुलिस की ओर से कार्रवाई करते हुए प्रकरण में एक दलाल और आरटीओ के 1 एलडीसी को गिरफ्तार किया गया है.

आरटीओ में चल रहे वाहनों के फर्जी रजिस्ट्रेशन का पर्दाफाश

वहीं, इस पूरे प्रकरण में आरटीओ के अन्य कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है. जिसके बारे में पुलिस की तरफ से जांच की जा रही है. इसके साथ ही गैंग के सदस्यों की ओर से वाहनों के फर्जी चेचिस नंबर और फर्जी इंजन नंबर के आधार पर उनका फर्जी रजिस्ट्रेशन करवाया गया है. साथ ही जिन लोगों के नाम पर रजिस्ट्रेशन हुआ है उनका भी कोई अस्तित्व नहीं पाया गया है.

एडिशनल पुलिस कमिश्नर क्राइम अजय पाल लांबा ने बताया कि फरवरी 2019 में आरटीओ अधिकारी जाकिर हुसैन की ओर से एक शिकायत दर्ज करवाई गई थी. जिसमें इस बात का जिक्र किया गया था कि, जुलाई 2018 से जनवरी 2019 तक झालाना आरटीओ कार्यालय से 45 वाहनों का फर्जी रजिस्ट्रेशन किया गया है. तमाम वाहन कमर्शियल वाहन थे जो कि टाटा मैसर्स, अशोक लीलैंड और मैसर्स वीई कमर्शियल की ओर से बनाएं होना पाए गए.

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जब इन वाहनों के संबंध में उक्त कंपनियों से जानकारी मांगी गई तो उन्होंने उस चेचिस नंबर और इंजन नंबर का कोई भी वाहन बनाने से इंकार कर दिया. जिसके बाद आरटीओ की तरफ से खोनागोरियां थाने में प्रकरण दर्ज करवाया गया. प्रकरण दर्ज कर पुलिस ने जांच शुरू की तो यह बात पता चली कि, जिन कंपनियों के वाहन का रजिस्ट्रेशन किया गया है. वह वाहन उस कंपनी की ओर से कभी बनाई ही नहीं गई. उन वाहनों के संबंध में लोन के जो दस्तावेज रजिस्ट्रेशन के दौरान फाइल में लगाए गए हैं, वह भी फर्जी पाए गए.

एक ही मकान का किरायानामा लगाकर हुआ फर्जी रजिस्ट्रेशन

पुलिस की ओर से इस पूरे प्रकरण में जब कार्रवाई को आगे बढ़ाया गया तो यह बात पता चली कि जिन 45 वाहनों का फर्जी रजिस्ट्रेशन किया गया है. उनके रजिस्ट्रेशन में सभी व्यक्तियों के नाम अलग-अलग है, लेकिन सभी व्यक्तियों का पता एक ही है. जब पुलिस ने गहनता से जांच की तो पता चला कि दलाल नजीर अहमद की ओर से सभी 45 वाहनों पर अपने मकान का किरायानामा लगाकर आरटीओ कर्मचारियों के साथ मिलीभगत कर फर्जी रजिस्ट्रेशन करवाया गया है.

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इस पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने दलाल नजीर अहमद को गिरफ्तार किया. जब उससे पूछताछ की गई तो उसने बताया कि आरटीओ के एलडीसी जहांगीर खान के साथ मिलकर फर्जी रजिस्ट्रेशन करवाता है. जिस पर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आरटीओ कार्यालय से एलडीसी जहांगीर खान को भी गिरफ्तार कर लिया.

आरोपियों की ओर से जिन वाहनों का फर्जी रजिस्ट्रेशन किया गया है. वह तमाम वाहन दूसरे राज्यों के हैं और सभी चोरी के हैं. गैंग के सदस्यों की तरफ से वाहनों की चेचिस नंबर और इंजन नंबर बदल कर उनकी झूठी चोरी की रिपोर्ट दर्ज करवाई जाती और फिर फर्जी नाम पते भरकर रजिस्ट्रेशन करवाया जाता. फिलहाल प्रकरण में पुलिस की जांच जारी है. जिसमें कुछ अन्य खुलासे होने की संभावना है.

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