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मूल हस्तलिखित संविधान पर हाईकोर्ट में लगाई गई प्रदर्शनी - जयपुर न्यूज

युवा अधिवक्ताओं और आम लोगों को संविधान के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से राजस्थान हाईकोर्ट में संविधान दिवस के मौके पर मूल हस्तलिखित संविधान की प्रदर्शनी लगाई गई. इस अवसर पर अतिरिक्त महाधिवक्ता जीएस गिल ने नए अधिवक्ताओं को इसको लेकर जानकारी दी.

Exhibition in Rajasthan High Court, संविधान पर प्रदर्शनी
मूल हस्तलिखित संविधान पर हाईकोर्ट में लगाई गई प्रदर्शनी
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Published : Nov 26, 2019, 5:17 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट में संविधान दिवस के मौके पर मंगलवार को मूल हस्तलिखित संविधान पर प्रदर्शनी लगाई गई. प्रदर्शनी में युवा अधिवक्ताओं और आम लोगों ने संविधान की जानकारी ली. हाईकोर्ट परिसर में 26 नवंबर से लेकर 3 दिसंबर तक ये एग्जीबिशन लगाई गई है. जिसको देखने और समझने के लिए बड़ी संख्या में वकील पहुंच रहे हैं. इस अवसर पर अतिरिक्त महाधिवक्ता जीएस गिल ने नए अधिवक्ताओं को इसको लेकर जानकारी दी.

मूल हस्तलिखित संविधान पर हाईकोर्ट में लगाई गई प्रदर्शनी

बता दें कि मूल संविधान में अंग्रेजी में सुलेखन का कार्य प्रेम बिहारी ने किया था. इस प्रदर्शनी में भी मूल संविधान में रामायण से श्रीराम व माता सीता और लक्ष्मण जी के वनवास से घर वापस आने का दृश्य, श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को कुरुक्षेत्र में दिए गए गीता के उपदेश के दृश्यों को दर्शाया गया है.

वहीं बार काउंसिल के एग्जीक्यूटिव मेंबर व पूर्व सीनियर वाइस प्रेसिडेंट संजय महला ने बताया कि आज का दिन भारतीय इतिहास और वर्तमान परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण स्थान रखता है. क्योंकि संविधान जो है वो देश की रीढ़ की हड्डी है. 26 नवंबर 1949 को देश के लिए संविधान की कमेटी गठित की गई थी. वहीं उस प्रारूप कमेटी के चेयरमैन डॉ. भीमराव अंबेडकर थे. उनके बड़े प्रयास से देश के विभिन्न प्रान्तों में रहने वाले निवासियों के हर चीज को बारीकी से देखते हुए अलग अलग जाति, भाषा व वर्गों को देखते हुए इस संविधान का प्रारूप तैयार किया.

पढ़ें- भारत का संविधान दुनिया का सबसे उत्कृष्ट 'संविधान' : सतीश पूनिया

ऐसे में देश का सारा दारोमदार संविधान के ऊपर टिका हुआ है. जिसके चलते ही राजस्थान हाईकोर्ट परिसर में आम आदमी और नए अधिवक्ताओं को देश के संविधान के प्रति जागरूक करने और उनको बारीकी से समझने के लिए प्रदर्शनी लगाई गई. उसको देखते हुए एग्जीबिशन में प्राचीनतम भारत की संविधान के प्रति जागरूकता को भी दर्शाया गया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट में संविधान दिवस के मौके पर मंगलवार को मूल हस्तलिखित संविधान पर प्रदर्शनी लगाई गई. प्रदर्शनी में युवा अधिवक्ताओं और आम लोगों ने संविधान की जानकारी ली. हाईकोर्ट परिसर में 26 नवंबर से लेकर 3 दिसंबर तक ये एग्जीबिशन लगाई गई है. जिसको देखने और समझने के लिए बड़ी संख्या में वकील पहुंच रहे हैं. इस अवसर पर अतिरिक्त महाधिवक्ता जीएस गिल ने नए अधिवक्ताओं को इसको लेकर जानकारी दी.

मूल हस्तलिखित संविधान पर हाईकोर्ट में लगाई गई प्रदर्शनी

बता दें कि मूल संविधान में अंग्रेजी में सुलेखन का कार्य प्रेम बिहारी ने किया था. इस प्रदर्शनी में भी मूल संविधान में रामायण से श्रीराम व माता सीता और लक्ष्मण जी के वनवास से घर वापस आने का दृश्य, श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को कुरुक्षेत्र में दिए गए गीता के उपदेश के दृश्यों को दर्शाया गया है.

वहीं बार काउंसिल के एग्जीक्यूटिव मेंबर व पूर्व सीनियर वाइस प्रेसिडेंट संजय महला ने बताया कि आज का दिन भारतीय इतिहास और वर्तमान परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण स्थान रखता है. क्योंकि संविधान जो है वो देश की रीढ़ की हड्डी है. 26 नवंबर 1949 को देश के लिए संविधान की कमेटी गठित की गई थी. वहीं उस प्रारूप कमेटी के चेयरमैन डॉ. भीमराव अंबेडकर थे. उनके बड़े प्रयास से देश के विभिन्न प्रान्तों में रहने वाले निवासियों के हर चीज को बारीकी से देखते हुए अलग अलग जाति, भाषा व वर्गों को देखते हुए इस संविधान का प्रारूप तैयार किया.

पढ़ें- भारत का संविधान दुनिया का सबसे उत्कृष्ट 'संविधान' : सतीश पूनिया

ऐसे में देश का सारा दारोमदार संविधान के ऊपर टिका हुआ है. जिसके चलते ही राजस्थान हाईकोर्ट परिसर में आम आदमी और नए अधिवक्ताओं को देश के संविधान के प्रति जागरूक करने और उनको बारीकी से समझने के लिए प्रदर्शनी लगाई गई. उसको देखते हुए एग्जीबिशन में प्राचीनतम भारत की संविधान के प्रति जागरूकता को भी दर्शाया गया है.

Intro:जयपुर : राजस्थान हाईकोर्ट में संविधान दिवस के मौके पर मंगलवार को मूल हस्तलिखित संविधान पर प्रदर्शनी लगाई गई. प्रदर्शनी में युवा अधिवक्ताओं और आमलोगों ने संविधान की जानकारी ली. हाईकोर्ट परिसर में 26 नवंबर से लेकर 3 दिसंबर तक ये एग्जीबिशन लगाई गई है. जिसको देखने और समझने के लिए बड़ी संख्या में वकील पहुंच रहे है. इस अवसर पर अतिरिक्त महाधिवक्ता जीएस गिल नए अधिवक्ताओं को इसको लेकर जानकारी दी.

बता दे, की मूल संविधान में अंग्रजी में सुलेखन का कार्य प्रेम बिहारी ने किया था. इस प्रदर्शनी में भी मूल संविधान में रामायण से श्रीराम व माता सीता और लक्ष्मण जी के वनवास से घर वापस आने का दृश्य, श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को कुरुक्षेत्र में दिए गए गीता के उपदेश के दृश्यों को दर्शाया गया है. वही बार काउंसिल के एग्जेक्युटिव मेम्बर व पूर्व सीनियर वाईस प्रेसिडेंट संजय महला ने बताया, की आज का दिन भारतीय इतिहास और वर्तमान परिपेक्ष के अंदर महत्वपूर्ण स्थान रखता है. क्योंकि संविधान जो है वो देश की रीढ़ की हड्डी है. 26 नवंबर 1949 को देश के लिए संविधान की कमेटी गठित की गई थी. वही उस प्रारूप कमेटी के चेयरमैन डॉ भीमराव अंबेडकर थे. उनके बड़े अथक प्रयास से देश के विभिन्न प्रान्तों में रहने वाले निवासियों के हर चीज को बारीकी से देखते हुए अलग अलग जाती, भाषा व वर्गों को देखते हुए इस संविधान का प्रारूप तैयार किया.

ऐसे में देश का सारा दारोमदार संविधान के ऊपर टिका हुआ है. जिसके चलते ही राजस्थान हाईकोर्ट परिसर में आम आदमी और नए अधिवक्ताओं को देश के संविधान के प्रति जागरूक करने और उनको बारीकी से समझने के लिए प्रदर्शनी लगाई गई. उसको देखते हुए एग्जीबिशन में प्राचीनतम भारत की संविधान के प्रति जागरूकता को भी दर्शाया गया है. साथ ही उनकी जो कड़िया थी उनको भी इस वर्तमान के हिसाब से समावेश किया गया है उसकी भी जानकारी मिल रही है. जिसका नए अधिवक्ताओं को काफी बेनिफिट भी मिल रहा है और सभी इस प्रदर्शनी को बारीकी से देख रहे है.

बाइट- संजय महता, पूर्व सीनियर वाईस प्रेसिडेट & एग्जेक्युटिव मेम्बर बार काउंसिल


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