जयपुर. कोरोना वायरस की वजह से चल रहे लॉकडाउन से औद्योगिक इकाइयां पूरी तरह बंद है. बावजूद इसके प्रदेश में बिजली के बिलों में इन इकाइयों पर भी फिक्स चार्जेस लगाया जा रहा है. व्यापारी और औद्योगिक इकाइयों के संचालक गुजरात की तर्ज पर ये स्थाई शुल्क माफ करने की मांग कर रहे हैं.
ईटीवी भारत से खास बातचीत में प्रदेश के ऊर्जा मंत्री डॉक्टर बीडी कल्ला ने डिस्कॉम के घाटे का हवाला देकर साफ कर दिया कि प्रदेश सरकार के स्तर पर ये राहत नहीं मिल सकेगी. हालांकि इस दौरान कल्ला ने प्रदेश सरकार के समक्ष आई इस मांग को केंद्र सरकार के पाले में डाल दी. कल्ला का कहना था कि कोरोना वायरस के चलते आया यह संकट केवल राजस्थान पर ही नहीं बल्कि पूरे देश के सभी राज्यों पर है और पूरे देश भर में औद्योगिक इकाइयां संकट में है. ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार को इस दिशा में कोई निर्णय लेना चाहिए.
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ऊर्जा मंत्री के अनुसार यदि केंद्र सरकार राज्यों को फिक्स चार्जेस का पुनर्भरण कर दे तो राज्य सरकार यह स्थाई शुल्क वसूली रोक सकती है. प्रदेश सरकार ने 2 महीने स्थगित किया है. ऊर्जा मंत्री ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि प्रदेश की गहलोत सरकार ने आम उपभोक्ता और औद्योगिक इकाइयों को राहत देने के लिए आगामी 2 महीने के बिजली के बिल और फिक्स्ड चार्जेस स्थगित कर दिए हैं ताकि अभी बिल चुकाने से आम उपभोक्ता बच सकें. लेकिन डिस्कॉम पर लगातार बढ़ रहे घाटे के कारण इसे माफ नहीं किया जा सकता.
गुजरात बिजली कंपनियां फायदे में, लेकिन डिस्कॉम पर एक लाख करोड़ का घाटा...
ऊर्जा मंत्री बीडी कल्ला के अनुसार व्यापारी और औद्योगिक इकाइयों के संचालकों ने उन्हें एक ज्ञापन दिया था, जिसमें वे गुजरात सरकार की तर्ज पर राजस्थान में भी औद्योगिक इकाइयों पर बिजली के बिल में रोपित किया जाने वाला फिक्स चार्ज माफ करने की मांग कर रहे हैं. हालांकि कल्ला ने यह साफ कर दिया कि गुजरात में बिजली कंपनियां फायदे में है, क्योंकि वहां पर अधिकतर उपभोक्ता बड़े उद्योगपति है. लेकिन राजस्थान में ऐसा नहीं है. कल्ला ने कहा कि राजस्थान में अधिकतर किसान हैं, जिन्हें सरकार सब्सिडी देती है. ऐसी स्थिति में प्रदेश में डिस्कॉम का घाटा 1 लाख करोड़ से अधिक का पहुंच चुका है.