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राजनीति में किसानों का 'राजदूत' हूं, इसलिए पहले BJP और अब AAP छोड़ी : रामपाल जाट - राजस्थान न्यूज

किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने आम आदमी पार्टी यानी 'आप' के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है. इसी बीच रामपाल जाट ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. जिसमें उन्होंने कहा कि वे राजनीति में जरूर हैं, लेकिन किसानों के राजदूत के रूप में हैं और जो राजनीतिक दल किसानों की हित की बात नहीं करेगा, वहां उनका मन नहीं लगेगा.

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किसान नेता रामपाल जाट से खास बातचीत
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Published : Jun 29, 2020, 1:28 PM IST

जयपुर. पहले भारतीय जनता पार्टी और अब आम आदमी पार्टी से भी किसान नेता रामपाल जाट ने नाता तोड़ लिया है. रामपाल जाट ने आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद और पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. इस्तीफे के पीछे एक बड़ा कारण दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकार में जाट की ओर से भेजे गए किसान से जुड़े विधेयक को ना रखना था. ईटीवी भारत से खास बातचीत में रामपाल जाट ने साफ कर दिया कि वे राजनीति में जरूर हैं, लेकिन किसानों के राजदूत के रूप में हैं और जो राजनीतिक दल किसानों की हित की बात नहीं करेगा, वहां उनका मन नहीं लगेगा.

किसान नेता रामपाल जाट से खास बातचीत (पार्ट-1)

केजरीवाल सरकार ने जाट के सुझाव पर नहीं किया अमल...

किसानों के लिए समर्थन मूल्य से जुड़ा गारंटी विधेयक दिल्ली विधानसभा में नहीं रखे जाने से रामपाल जाट नाराज थे. रामपाल जाट ने पिछले दिनों आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात कर किसानों से जुड़े इस विधेयक के बारे में जानकारी दी थी. साथी ही आग्रह किया था कि दिल्ली विधानसभा में तो कम से कम इस विधेयक को पारित करवाकर पूरे देश में एक मिसाल पेश करें, लेकिन केजरीवाल सरकार की ओर से रामपाल जाट को महज आश्वासन ही मिलता रहा.

ऐसे में नाराज होकर रामपाल जाट ने आम आदमी पार्टी से भी अपना नाता तोड़ लिया. रामपाल जाट ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री उनके सुझाव पर अमल करते तो आम आदमी पार्टी को या दिल्ली सरकार को कोई नुकसान भी नहीं होता और देश भर में उनका यह विधायक एक मिसाल बनताा और बड़ी संख्या में किसान आम आदमी पार्टी से जुड़ते. उन्होंने कहा कि दिल्ली में तो कोई किसान ही नहीं, ऐसे में यदि वहां यह विधेयक पास होता तो सरकार पर कोई ज्यादा आर्थिक भार नहीं आता.

किसान नेता रामपाल जाट से खास बातचीत ( पार्ट-2)

किसानों के लिए बीजेपी भी छोड़ी थी : जाट

किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट का पूर्व में लंबे समय तक बीजेपी से भी नाता रहा है. वह प्रदेश बीजेपी के महामंत्री भी रहे और वसुंधरा राजे सरकार में उनकी गिनती राजे समर्थक नेताओं के रूप में होती थी. साल 2014 में जब देश में मोदी सरकार बनी तब भी जाट बीजेपी में ही थे. रामपाल जाट बताते हैं कि जब राज्य और देश में बीजेपी की सरकार थी, तब भी किसानों से जुड़े जो वादे थे वह दोनों ही सरकारों ने पूरे नहीं किए. जिसके कारण उन्हें किसान हित में बीजेपी को छोड़ना पड़ा.

यह भी पढ़ें : राजस्थान में 1 जुलाई से ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे धार्मिक स्थल खोलने की मंजूरी

रामपाल जाट ने यह भी कहा कि उनके लिए कोई भी राजनीतिक दल अछूत नहीं है, बशर्ते जो दल किसान हित की बात करेगा वह उसके साथ रहेंगे. जाट ने कहा कि वह किसानों के हित की बात करते हैं और करते रहेंगे. सरकार नहीं मानेगी तो भी किसानों के साथ सड़कों पर उतरेंगे. इस दौरान जाट ने पिछले दिनों प्रदेश सरकार की ओर से किसानों के हित में लिए गए निर्णय की भी तारीफ की. हालांकि, जब उनसे पूछा कि क्या अब वह कांग्रेस की तरफ जाना चाहते हैं तो उन्होंने साफ कर दिया कि किसान हित की जो भी बात करेगा वह उसके साथ रहेंगे, फिर चाहे वह कोई भी राजनीतिक दल क्यों ना हो.

गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रामपाल जाट ने 4 दिन पहले अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था, साथ ही पार्टी से भी नाता तोड़ लिया था. माना जा रहा है कि जाट ने अपना इस्तीफा दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले ही दे दिया था, लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल ने कुछ समय के लिए पद पर बने रहने के लिए कहा था, लेकिन 25 जून को दिल्ली सीएम केजरीवाल ने जाट का इस्तीफा स्वीकार कर लिया.

जयपुर. पहले भारतीय जनता पार्टी और अब आम आदमी पार्टी से भी किसान नेता रामपाल जाट ने नाता तोड़ लिया है. रामपाल जाट ने आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद और पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. इस्तीफे के पीछे एक बड़ा कारण दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकार में जाट की ओर से भेजे गए किसान से जुड़े विधेयक को ना रखना था. ईटीवी भारत से खास बातचीत में रामपाल जाट ने साफ कर दिया कि वे राजनीति में जरूर हैं, लेकिन किसानों के राजदूत के रूप में हैं और जो राजनीतिक दल किसानों की हित की बात नहीं करेगा, वहां उनका मन नहीं लगेगा.

किसान नेता रामपाल जाट से खास बातचीत (पार्ट-1)

केजरीवाल सरकार ने जाट के सुझाव पर नहीं किया अमल...

किसानों के लिए समर्थन मूल्य से जुड़ा गारंटी विधेयक दिल्ली विधानसभा में नहीं रखे जाने से रामपाल जाट नाराज थे. रामपाल जाट ने पिछले दिनों आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात कर किसानों से जुड़े इस विधेयक के बारे में जानकारी दी थी. साथी ही आग्रह किया था कि दिल्ली विधानसभा में तो कम से कम इस विधेयक को पारित करवाकर पूरे देश में एक मिसाल पेश करें, लेकिन केजरीवाल सरकार की ओर से रामपाल जाट को महज आश्वासन ही मिलता रहा.

ऐसे में नाराज होकर रामपाल जाट ने आम आदमी पार्टी से भी अपना नाता तोड़ लिया. रामपाल जाट ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री उनके सुझाव पर अमल करते तो आम आदमी पार्टी को या दिल्ली सरकार को कोई नुकसान भी नहीं होता और देश भर में उनका यह विधायक एक मिसाल बनताा और बड़ी संख्या में किसान आम आदमी पार्टी से जुड़ते. उन्होंने कहा कि दिल्ली में तो कोई किसान ही नहीं, ऐसे में यदि वहां यह विधेयक पास होता तो सरकार पर कोई ज्यादा आर्थिक भार नहीं आता.

किसान नेता रामपाल जाट से खास बातचीत ( पार्ट-2)

किसानों के लिए बीजेपी भी छोड़ी थी : जाट

किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट का पूर्व में लंबे समय तक बीजेपी से भी नाता रहा है. वह प्रदेश बीजेपी के महामंत्री भी रहे और वसुंधरा राजे सरकार में उनकी गिनती राजे समर्थक नेताओं के रूप में होती थी. साल 2014 में जब देश में मोदी सरकार बनी तब भी जाट बीजेपी में ही थे. रामपाल जाट बताते हैं कि जब राज्य और देश में बीजेपी की सरकार थी, तब भी किसानों से जुड़े जो वादे थे वह दोनों ही सरकारों ने पूरे नहीं किए. जिसके कारण उन्हें किसान हित में बीजेपी को छोड़ना पड़ा.

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रामपाल जाट ने यह भी कहा कि उनके लिए कोई भी राजनीतिक दल अछूत नहीं है, बशर्ते जो दल किसान हित की बात करेगा वह उसके साथ रहेंगे. जाट ने कहा कि वह किसानों के हित की बात करते हैं और करते रहेंगे. सरकार नहीं मानेगी तो भी किसानों के साथ सड़कों पर उतरेंगे. इस दौरान जाट ने पिछले दिनों प्रदेश सरकार की ओर से किसानों के हित में लिए गए निर्णय की भी तारीफ की. हालांकि, जब उनसे पूछा कि क्या अब वह कांग्रेस की तरफ जाना चाहते हैं तो उन्होंने साफ कर दिया कि किसान हित की जो भी बात करेगा वह उसके साथ रहेंगे, फिर चाहे वह कोई भी राजनीतिक दल क्यों ना हो.

गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रामपाल जाट ने 4 दिन पहले अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था, साथ ही पार्टी से भी नाता तोड़ लिया था. माना जा रहा है कि जाट ने अपना इस्तीफा दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले ही दे दिया था, लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल ने कुछ समय के लिए पद पर बने रहने के लिए कहा था, लेकिन 25 जून को दिल्ली सीएम केजरीवाल ने जाट का इस्तीफा स्वीकार कर लिया.

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