जयपुर. प्रदेश में आदिवासियों के धर्म को लेकर खड़े हुए विवाद और नए भील राज्य की मांग पर सियासत गर्म है. इसी बीच नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा है कि हिमालय से लेकर हिंद महासागर के बीच के क्षेत्र में जो कोई रहता है और देश को मानता है वो हिंदू है. ईटीवी भारत से खास बातचीत में कटारिया ने यह भी कहा इस देश में हमारे धर्म, आस्था, ध्वजा और राम का विरोध करके कोई भी इस देश में नहीं टिक सकता.
बीटीपी से संघर्ष में नहीं टिक पा रहा गणेश घोघरा, धर्म का विरोध क्या अब चुनाव में जनता दिखाएगी आईना
ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि कांग्रेस विधायक गणेश घोघरा पिछले चुनाव में भी बीटीपी से संघर्ष में बमुश्किल टिक पाए और अब गणेश घोघरा को लग रहा है कि बीटीपी क्षेत्र में उन्हें टिकने नहीं देगी. यही कारण है कि वह भारतीय ट्राइबल पार्टी की भाषा बोलने लगे हैं लेकिन हिंदू धर्म का विरोध करके वह भी अगले चुनाव में परिणाम भुगतने को तैयार रहें. कटारिया के अनुसार जिस प्रकार की भाषा का इस्तेमाल उन्होंने हिंदू धर्म के लिए किया है, उसका परिणाम तो अगले विधानसभा चुनाव में जनता दे ही देगी.
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राजस्थान में तीन प्रमुख आदिवासी जिले उदयपुर संभाग में आते हैं और गुलाब चंद कटारिया उदयपुर संभाग के सबसे बड़े लीडर माने जाते हैं. कटारिया कहते हैं कि मुझे भी इस इलाके में 70 साल हो गए लेकिन इससे पहले भी मानिक लाल वर्मा और अन्य नेता जो आदिवासी तो नहीं थे लेकिन आदिवासियों के आंदोलन में शामिल रहे हैं. उन्होंने भी इस प्रकार की मांग नहीं उठाई, जो गणेश घोघरा और बीटीपी वाले उठाते हैं.
कटारिया के अनुसार भगवान राम को पैदा होते हुए आपने और हमने नहीं देखा लेकिन जंगल में रहकर शबरी के बेर खाकर उन्होंने समाज को नई दिशा दी बताया कि कोई छोटा-बड़ा जाति बिरादरी नहीं होती. वहीं महाराणा प्रताप के पास यदि कुंजा भील नहीं होता तो उनकी जीत नहीं होती. मतलब आदिकाल से जनजाति समाज देश के हर आंदोलन और संघर्ष में देश के लोगों के साथ ही खड़ा रहा है. इसलिए मैं कहता हूं जो हिमालय से लेकर हिंद महासागर के बीच के क्षेत्र में रहता है और जो इस देश को अपनी जन्मभूमि कर्मभूमि मानता है. फिर चाहे वह किसी भी पूजा पद्धति को मानता हो, वो हिंदू ही है.
झारखंड जाकर बीटीपी कई लोग तैयार होकर आते हैं, कामरेड देश को तोड़ने के लिए खड़े रहते हैं
नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने यह भी कहा कि भारतीय ट्राइबल पार्टी के लोग झारखंड जाते हैं और वहां से ही तैयार होकर आते हैं. कटारे ने कहा कांग्रेस विधायक गणेश घोघरा अभी तो पैदा नहीं हुआ, कई साल हो गए लेकिन उसने जो सवाल विधानसभा में उठाया, वह अपने पुरखों बाप दादाओ के सामने क्यों नहीं उठाया. कटारिया ने कहा यह सब कामरेडों का ख्याल है, जो हमेशा देश को तोड़ने के लिए खड़े रहते हैं.
धर्म, ध्वजा, राम और आस्था का विरोध करके कोई भी इस देश में नहीं टिक सकता
नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान यह भी कहा इस देश में धर्म, ध्वजा, राम और हमारी आस्था का विरोध करके कोई भी नहीं टिक सकता और यह बात देश के राजनीतिक दलों के नेताओं को भी समझ में आने लगी है. यही कारण है कि ममता बनर्जी जो कभी नहीं बोलती थी, वह भी आजकल राम जी की जय बोलने लगी है और कई विरोध करने वाले दलों के नेता जनेऊ पहनने लगे हैं.
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कटारिया के अनुसार इन सबको यह समझ में आने लगा है कि धर्म आस्था राम और ध्वजा का विरोध करके हिंदुस्तान में राजनीति नहीं की जा सकती. कटारिया कहते हैं कि जिस क्षेत्र से गणेश घोघरा आते हैं वहां पर कांग्रेस के कई नेता रहे हैं फिर चाहे महेंद्रजीत सिंह मालवीय हो दयाराम हो लेकिन इन नेताओं के मुंह से भी इस तरह की अलग राज्य या हिंदू धर्म के खिलाफ भाषा नहीं निकली. कटारिया के अनुसार गणेश घोघरा पहली बार जीत कर आया है इसलिए अपने आपको ज्यादा अकलमंद समझता होगा लेकिन अगले चुनाव में गणेश घोघरा को पता चल जाएगा किस प्रकार की भाषा का परिणाम क्या होता है.
BTP विधायक कहते हैं हम हिंदू नहीं हैं तो अगले चुनाव में जनता बीटीपी को सुलटा देगी
नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया के अनुसार जिस प्रकार की भाषा का इस्तेमाल बीटीपी के जनप्रतिनिधि और लोग कर रहे हैं, वो चुनाव में उन्हें भारी पड़ेगा. कटारिया ने कहा बीटीपी विधायक कहते हैं कि हम हिंदू नहीं है. उनका यही एक शब्द ही अगले चुनाव में उनके लिए भारी पड़ेगा, इसकी मैं गारंटी देता हूं. कटारिया ने कहा हाल ही में हुए पंचायत राज चुनाव में भाजपा ने बीटीपी को सुलटाया था और अब अगले चुनाव में जनता इस पार्टी को सुलटा देगी.
अलग राज्य की मांग इसलिए क्योंकि मुख्यमंत्री बनने का देख रहे सपना
ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान जब कटारिया से बीटीपी की ओर से अलग से नए भील राज्य बनाए जाने की मांग को लेकर सवाल पूछा गया. कटारिया ने कहा कि बीटीपी के इन जनप्रतिनिधियों को पता है कि जिंदगी में कभी यह मुख्यमंत्री नहीं बन सकते. इसलिए जो चार राज्य की बाउंड्री पर आदिवासी बहुल इलाके हैं, उन्हें जोड़ कर एक अलग से राज्य बना दें. जिससे उनके मुख्यमंत्री बनने के सपने पूरे हो जाएं लेकिन यह केवल देश और राज्य को तोड़ना होगा क्योंकि सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है आदिवासियों को मान सम्मान को पूरा महत्व मिलना. जो केवल बीजेपी और पूर्व में भैरों सिंह शेखावत कि सरकार ने दिया.
कटारिया कहते हैं आदिवासियों के लिए बनी भूरिया कमेटी की रिपोर्ट को देश में भैरों सिंह शेखावत सरकार ने ही सबसे पहले राजस्थान में लागू किया था. जिसके चलते आदिवासी क्षेत्रों में आरक्षण का लाभ इन लोगों को मिलने लगा.