जयपुर. पिछले कुछ समय से गुटों में बंटे होने को लेकर सुर्खियों में रही राजस्थान कांग्रेस 27 फरवरी को 'एकजुट' नजर आई. जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कुछ महीने पहले उनके खिलाफ बगावत करने वाले पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट एक ही हेलीकॉप्टर से सभा स्थल तक पहुंचे. ये दोनों नेता कांग्रेस की ओर से आयोजित दो किसान पंचायतों को संबोधित करने साथ-साथ पहुंचे थे. लेकिन 27 फरवरी की यह तस्वीरें अभी धुंधली भी नहीं हुई कि पायलट कैंप के विधायकों ने एक बार फिर नाराजगी के स्वर उठा दिए.
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सचिन पायलट कैंप के माने जाने वाले विधायक रमेश मीणा के बाद इसी कैंप के मुरारी लाल मीणा और वेद प्रकाश सोलंकी ने सदन के बाहर एससी, एसटी और माइनॉरिटी के विधायकों के साथ भेदभाव करने और इसकी शिकायत राहुल गांधी से करने की बात कही, तो कांग्रेस पार्टी में एक बार फिर सियासी हलचल बढ़ गई.
एससी-एसटी के साथ भेदभाव और पार्टी के कमजोर होने की बात को लेकर पायलट कैंप के विधायक रमेश मीणा और वेद सोलंकी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खास सिपहसालार माने जाने वाले महेश जोशी पर सीधा हमला किया है. इसके बाद जोशी भी एक्टिव मोड में आ गए. कहने को तो महेश जोशी शनिवार को पश्चिम बंगाल चुनाव की स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में भाग लेने दिल्ली गए हैं, लेकिन उनकी दिल्ली यात्रा के पीछे मकसद राजस्थान में गरमाई सियासत भी है.
कहा जा रहा है कि महेश जोशी राजस्थान के प्रदेश प्रभारी अजय माकन से मिलकर अपनी बात भी रखेंगे और विधायकों की ओर से दिए जा रहे सामूहिक रूप से पार्टी कमजोर होने के बयान के मामले में भी प्रदेश प्रभारी को अवगत कराएंगे. दरअसल, कारण यह है कि विधानसभा में सीट निर्धारण और सीट पर माइक नहीं होने पर रमेश मीणा और वेद सोलंकी ने सीधे तौर पर महेश जोशी को इस निशाने पर लिया.
दोनों विधायकों ने ही एससी, एसटी और माइनॉरिटी के साथ ही वरिष्ठता को नजरअंदाज करने के आरोप महेश जोशी पर लगाए. ऐसे में इन आरोपों से आहत महेश जोशी अपना पक्ष रखने के साथ ही इन विधायकों की शिकायत करने भी वह अजय माकन से मुलाकात कर सकते हैं.
पायलट कैंप के विधायक मुखर, लेकिन गहलोत के विधायक शांत
एक ओर पायलट कैंप के विधायकों की बयानबाजी से प्रदेश नेतृत्व गंभीर है, लेकिन जानकारों की मानें तो पायलट कैंप के तीनों विधायकों की ओर से दिए गए बयान के विरोध में किसी भी तरीके की बयानबाजी करने से गहलोत कैंप के नेताओं को मना किया गया है.
प्रदेश नेतृत्व की ओर से गहलोत कैंप के विधायकों के साथ ही पीसीसी के नेताओं को भी इस मामले में बोलने से मना किया गया है. प्रदेश कांग्रेस के नेता इसे विधानसभा का मामला कहते हुए अपना पल्ला झाड़ रहे हैं, लेकिन तीनों विधायकों की बयानों की रिपोर्ट और वीडियो फुटेज दिल्ली आलाकमान के पास भेजने की बातें कही जा रही है.
पायलट कैंप के विधायकों ने लगाए थे ये आरोप
राजस्थान विधानसभा में बुधवार को पायलट कैंप के विधायक रमेश मीणा ने सवाल पूछने के लिए जब अपनी सीट पर माइक नहीं होने और एससी एसटी विधायकों के साथ भेदभाव करने के आरोप लगाए तो उनकी तीखी नोकझोंक स्पीकर सीपी जोशी से हो गई. स्पीकर सीपी जोशी ने यहां तक कह दिया कि अगर उन्हें वह पसंद नहीं है तो स्पीकर पद से उन्हें हटा दें, लेकिन वह विधानसभा नियम कायदों से चलाएंगे.
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इसके साथ ही उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि सीट किसे कौन सी मिलेगी यह उनका कार्यक्षेत्र नहीं है, मुख्य सचेतक का है. इसके बाद रमेश मीणा, मुरारी लाल मीणा और वेद सोलंकी ने एक स्वर में मीडिया से कहा कि एससी, एसटी और माइनॉरिटी के वोटों से राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनी है. सदन के अंदर और बाहर इनके साथ भेदभाव होता है. जिनके वोटों से सरकार बनी है उनका सम्मान करना पार्टी के लिए जरूरी है और कांग्रेस पार्टी लगातार कमजोर हो रही है.
रमेश मीणा ने तो राहुल गांधी से मुलाकात करने की बात तो कही, इसके साथ ही अपनी बात नहीं सुने जाने पर इस्तीफे की भी बात कही है. इतना ही नहीं अब रमेश मीणा ने अपने ट्विटर पर जिस तरीके से अपनी जनता के बीच की तस्वीरें पोस्ट की है और लिखा है कि जहां विनाश मकसद है, एकता खतरनाक है संख्या में नहीं बल्कि एकता में हमारी महान शक्ति निहित है.