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खबर का असर : RU में शिक्षकों के स्थायीकरण और प्रमोशन पर बनी बात तो ईटीवी भारत का किया धन्यवाद

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Published : Dec 31, 2020, 8:43 AM IST

प्रदेश में शिक्षा के सबसे बड़े केंद्र राजस्थान विश्वविद्यालय में सैकड़ों एसोसिएट प्रोफेसर के प्रमोशन और स्थायीकरण सालों से अटके पड़े हैं. ईटीवी भारत पर इस खबर को प्रमुखता से दिखाया गया था. विश्वविद्यालय प्रशासन ने सिंडिकेट की बैठक के बाद इस लंबित मांग को जल्द पूरा करने का फैसला लिया है. इस निर्णय पर शिक्षकों ने खुशी व्यक्त करते हुए ईटीवी भारत का आभार व्यक्त किया है.

ETV Bharat impact news, Khabar ka asar, ईटीवी भारत खबर का असर
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जयपुर. राजस्थान विश्वविद्यालय के शिक्षकों का लंबा इंतजार अब खत्म होगा. सिंडिकेट बैठक में 2018 में लगे शिक्षकों को स्थाई किए जाने और लंबित पड़ी पदोन्नति प्रक्रिया जल्द शुरू करने का फैसला लिया गया. शिक्षकों के इन दबे हुए मसलों को प्रमुखता से प्रसारित करने पर शिक्षक संगठन और प्रोफेसर्स ने ईटीवी भारत का आभार जताया.

ईटीवी भारत की खबर का असर

प्रदेश में शिक्षा के सबसे बड़े केंद्र राजस्थान विश्वविद्यालय में शिक्षकों की बेकद्री हो रही थी. यहां हर साल हजारों छात्र दाखिला लेते हैं. और हजारों छात्र यहां से पास आउट होकर अपने भविष्य की ओर बढ़ते हैं. लेकिन वर्तमान समय में विश्वविद्यालय में संचालित 32 डिपार्टमेंट और 4 बड़े संघटक कॉलेज महज 487 प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के भरोसे चल रहे हैं. जबकि विश्वविद्यालय में 450 से ज्यादा पद रिक्त हैं.

यही नहीं 272 एसोसिएट प्रोफेसर के सालों से प्रमोशन अटके पड़े थे. और 2018 में नियुक्त 125 असिस्टेंट प्रोफेसर और 22 एसोसिएट प्रोफेसर के स्थायीकरण का मसला विवाद का विषय बना हुआ था. हालांकि अब सिंडिकेट की बैठक में इन दोनों मसलों पर सकारात्मक फैसला लिया गया है. सिंडिकेट बैठक में 2018 में लगे शिक्षकों को स्थाई किए जाने और लंबित पड़ी पदोन्नति प्रक्रिया जल्द शुरू करने का फैसला लिया गया.

पढ़ेंः Special : राजस्थान विश्वविद्यालय में प्रोफेसरों का टोटा, भर्ती न प्रमोशन...स्थाईकरण भी अटका

इस पर शिक्षक संगठन और प्रोफेसर्स ने कहा कि 147 शिक्षकों के स्थायीकरण को लेकर शिक्षक कई महीनों से आंदोलनरत थे. यही नहीं 272 एसोसिएट प्रोफेसर की पदोन्नति करना तो प्रशासन भुला ही बैठा था. शिक्षकों के इन दबे हुए मसलों को ईटीवी भारत द्वारा तथ्यात्मक रिपोर्ट के साथ प्रसारित कर प्रशासन के सामने रखने के बाद अब इनका निपटारा हो सका है.

शिक्षकों ने विश्वविद्यालय कुलपति के साथ-साथ ईटीवी भारत को भी धन्यवाद ज्ञापित किया. आपको बता दें कि विश्वविद्यालय में अभी भी शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने का मसला पेंडिंग है. जिस पर प्रशासन को जल्द संज्ञान लेने की आवश्यकता है.

जयपुर. राजस्थान विश्वविद्यालय के शिक्षकों का लंबा इंतजार अब खत्म होगा. सिंडिकेट बैठक में 2018 में लगे शिक्षकों को स्थाई किए जाने और लंबित पड़ी पदोन्नति प्रक्रिया जल्द शुरू करने का फैसला लिया गया. शिक्षकों के इन दबे हुए मसलों को प्रमुखता से प्रसारित करने पर शिक्षक संगठन और प्रोफेसर्स ने ईटीवी भारत का आभार जताया.

ईटीवी भारत की खबर का असर

प्रदेश में शिक्षा के सबसे बड़े केंद्र राजस्थान विश्वविद्यालय में शिक्षकों की बेकद्री हो रही थी. यहां हर साल हजारों छात्र दाखिला लेते हैं. और हजारों छात्र यहां से पास आउट होकर अपने भविष्य की ओर बढ़ते हैं. लेकिन वर्तमान समय में विश्वविद्यालय में संचालित 32 डिपार्टमेंट और 4 बड़े संघटक कॉलेज महज 487 प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के भरोसे चल रहे हैं. जबकि विश्वविद्यालय में 450 से ज्यादा पद रिक्त हैं.

यही नहीं 272 एसोसिएट प्रोफेसर के सालों से प्रमोशन अटके पड़े थे. और 2018 में नियुक्त 125 असिस्टेंट प्रोफेसर और 22 एसोसिएट प्रोफेसर के स्थायीकरण का मसला विवाद का विषय बना हुआ था. हालांकि अब सिंडिकेट की बैठक में इन दोनों मसलों पर सकारात्मक फैसला लिया गया है. सिंडिकेट बैठक में 2018 में लगे शिक्षकों को स्थाई किए जाने और लंबित पड़ी पदोन्नति प्रक्रिया जल्द शुरू करने का फैसला लिया गया.

पढ़ेंः Special : राजस्थान विश्वविद्यालय में प्रोफेसरों का टोटा, भर्ती न प्रमोशन...स्थाईकरण भी अटका

इस पर शिक्षक संगठन और प्रोफेसर्स ने कहा कि 147 शिक्षकों के स्थायीकरण को लेकर शिक्षक कई महीनों से आंदोलनरत थे. यही नहीं 272 एसोसिएट प्रोफेसर की पदोन्नति करना तो प्रशासन भुला ही बैठा था. शिक्षकों के इन दबे हुए मसलों को ईटीवी भारत द्वारा तथ्यात्मक रिपोर्ट के साथ प्रसारित कर प्रशासन के सामने रखने के बाद अब इनका निपटारा हो सका है.

शिक्षकों ने विश्वविद्यालय कुलपति के साथ-साथ ईटीवी भारत को भी धन्यवाद ज्ञापित किया. आपको बता दें कि विश्वविद्यालय में अभी भी शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने का मसला पेंडिंग है. जिस पर प्रशासन को जल्द संज्ञान लेने की आवश्यकता है.

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