जयपुर. राज्य सरकार ने शहर को दो निगम में बांटते हुए हेरिटेज निगम में सरकार बनाई. लेकिन ग्रेटर नगर निगम बीजेपी के खाते में गया. यहां डॉ सौम्या गुर्जर महापौर बनीं, लेकिन 7 महीने बाद ही कमिश्नर के साथ हुई तथाकथित हाथापाई के मामले में महापौर को निलंबित कर दिया गया. इसके बाद शील धाभाई को कार्यवाहक महापौर की जिम्मेदारी दी गई, जो कि किसी के गले नहीं उतरा.
इन सब के बीच 1 साल में हुई एक मात्र बोर्ड मीटिंग में लिए गए फैसलों को धरातल पर उतारने और 150 वार्डों में विकास कार्य करने की बड़ी जिम्मेदारी बीजेपी बोर्ड और कार्यवाहक महापौर के कंधों पर थी. अपने कार्यकाल में धाभाई ने कई वादे और घोषणाएं की. जिनके पूरा होने का इंतजार है. ईटीवी भारत ने बीते 1 साल में कितने वादों को धरातल मिल सका और कितने अभी कागजों तक सीमित हैं इसे जानने के लिए महापौर शील धाभाई से खास बातचीत की.
5 महीने के कार्यकाल में बीजेपी पार्षदों में ही दिखी बगावत
बीजेपी के ही पार्षदों ने अपने ही बोर्ड के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया. यही नहीं महापौर के खिलाफ एकजुट होकर पार्टी कार्यालय में भी शिकायत दर्ज कराई. इस पर महापौर ने बताया कि वार्ड में विकास कार्यों को लेकर पार्षदों में कई गलतफहमी थी. जिन्हें दूर किया गया है. पार्षदों ने तकनीकी समस्या को समझने के बाद क्षमा भी मांगी थी. जहां तक पार्षदों के बीजेपी कार्यालय पहुंचने का मसला है तो वहां पार्टी प्रदेश अध्यक्ष के जन्मदिन के नाम पर पार्षदों को मिस गाइड करके बुलाया गया. वहां भी महज वार्डों की समस्या और कमिश्नर के रवैए को लेकर शिकायत दर्ज कराई गई थी
1 साल में हुई महज एक साधारण सभा की बैठक
ग्रेटर नगर निगम में पार्षदों की एक शिकायत साल में महज एक साधारण सभा की बैठक होने की भी है. इस पर महापौर ने कहा कि पहली बैठक में ही लंबा-चौड़ा एजेंडा था. जिन्हें कंप्लीट करना एक बड़ी चुनौती थी, तभी नया एजेंडा लाया जा सकेगा. लेकिन अब पार्षदों से एजेंडा मंगवाया जा रहा है. 5 से 10 एजेंडा होते ही साधारण सभा कॉल कर दी जाएगी. साधारण सभा कोई मसला ही नहीं है.
साधारण सभा में पास...पेंडिंग कार्यों की लंबी फेहरिस्त
ग्रेटर नगर निगम के सभी 150 वार्डों में 50-50 लाख के विकास कार्य किए जाने थे. महापौर ने दावा किया कि लगभग सभी वार्डों में वर्क ऑर्डर जारी कर दिए गए हैं. कुछ वार्डों में काम पूरा भी हो चुका है. हालांकि विद्याधर नगर के कुछ वार्डों में तकनीकी समस्या की वजह से काम डिले हुआ, लेकिन वहां भी काम शुरू हो गया है.
सभी वार्डों में आने वाली जनरेशन के लिए ऑक्सी जोन विकसित करने के लिए 500-500 पौधे लगाए गए. कुछ जगह पौधों को सुरक्षित रखने के लिए ट्री गार्ड भी लगाए गए. इसके साथ ही राज्य सरकार की औषधीय पौधे वितरण करने की योजना को भी पार्षदों की मदद से साकार किया गया.
2017 से स्ट्रीट लाइट लगाने वाले ठेकेदारों का पेमेंट नहीं हुआ था. जिसे राज्य सरकार की मदद से भुगतान करवाया गया. और उसके बाद लगभग सभी वार्डों में 100-100 स्ट्रीट लाइट लगाई गई.
पार्षदों की मांग पर वार्ड पार्षद कार्यालय बनाने की भी बड़ी जिम्मेदारी थी. जहां निगम की जमीन थी, वहां काम शुरू हो चुके हैं. कुछ वार्डों में जेडीए की जमीन थी इसके लिए जेडीए को पत्र भी लिखा गया. लेकिन वहां से पार्षद कार्यालय बनाने के लिए जमीन आवंटित नहीं करने का रिप्लाई आया. ऐसे में अब दूसरे विकल्प ढूंढे जा रहे हैं.
95 फीसदी वार्डों में कर्मचारियों के लिए हाजिरीगाह लगाए जा चुके हैं. सफाई कर्मचारियों को दो-दो हाथ गाड़ी उपलब्ध कराई गई है. जहां तक सफाई कर्मचारियों के ड्रेस कोड का सवाल है, ये घोषणा हाईकोर्ट के किसी आदेश की वजह से लंबित था. जिसका अब रास्ता निकल गया है. जल्द कर्मचारियों को उनका ड्रेस कोड उपलब्ध कराया जाएगा.
पार्षदों को लैपटॉप को लेकर टेंडर कर दिए गए हैं. लैपटॉप की संख्या अधिक होने के चलते संबंधित फर्म ने 60 दिन का समय मांगा था. जल्द सभी पार्षदों के हाथ में लैपटॉप होगा.
प्रत्येक वार्ड में पहले 2 और फिर 7 सफाई कर्मचारी अतिरिक्त लगाए जाने की घोषणा की गई थी. लेकिन इससे निगम का बजट गड़बड़ा रहा था. अब अगली साधारण सभा की बैठक में इसे निस्तारित कर दिया जाएगा.
बीवीजी कंपनी से नहीं खुश:
महापौर शील धाभाई ने कहा कि बीवीजी कंपनी को नोटिस दिए जा चुके हैं. लेकिन अभी भी उनका काम संतुष्टि पूर्ण नहीं है. उनके कार्य से ना तो पार्षद खुश हैं, ना जनता. ऐसे में दीपावली से पहले उन्हें अल्टीमेटम भी दिया गया था. इस पर कंपनी ने 10 दिन का समय मांगा. हालांकि अब कंपनी से ज्यादा उम्मीद है नहीं. यही वजह है कि शहर की बिगड़ी सफाई व्यवस्था की तस्वीरें प्रूफ के रूप में राज्य सरकार और कोर्ट को भेजी जा रही हैं. दीपावली पर खुद के संसाधन लगाकर सफाई व्यवस्था को दुरुस्त भी किया है. उन्होंने कहा कि अब अचानक भी कंपनी का साथ छोड़ना पड़े तो निगम अपने संसाधनों से सफाई करने के लिए तैयार हैं. इसका एक उदाहरण सीवरेज का कॉन्ट्रैक्ट वापस लेकर निगम के संसाधनों से व्यवस्था करने को माना जा सकता है.
पार्कों और सड़कों की मरम्मत का चल रहा काम
महापौर ने बातचीत में बताया कि बारिश में उधड़ी सड़कों के पैच वर्क का काम किया जा रहा है. वहीं प्रत्येक वार्ड में पार्कों पर पांच-पांच लाख खर्च किए जा रहे हैं. एक लक्ष्य निर्धारित किया गया है कि हर वार्ड में एक पार्क आदर्श पार्क हो.
निगम में रेवेन्यू जेनरेट करने पर फोकस
महापौर शील धाभाई ने कहा कि हर विकास कार्य रेवेन्यू से जुड़ा हुआ है. ऐसे में निगम के सामने रेवेन्यू जनरेट करने की बड़ी चुनौती है. हालांकि बीते दिनों प्रशासन ने ट्रेड लाइसेंस शुल्क वसूलने की तैयारी की थी. जिसे व्यापारियों के विरोध के बाद स्थगित कर दिया गया है. महापौर ने बताया कि व्यापारियों के बीच एक भ्रम फैलाया गया कि छोटे व्यापारियों, थड़ी-ठेले वालों से भी लाइसेंस शुल्क वसूल किया जाएगा. जबकि ट्रेड लाइसेंस शुल्क तंबाकू बेचने वालों, पीजी-हॉस्टल, अस्पताल, डायग्नोसिस सेंटर आदि पर लगाया गया था.
हालांकि, अब व्यापारियों से दोबारा वार्ता कर समझाइश की जा रही है. इसके अलावा नई होर्डिंग और पार्किंग साइट्स भी विकसित की जा रही है. पार्षद खुद यूडी टैक्स कलेक्शन में जुटे हुए हैं. वहीं हाउसिंग बोर्ड और जेडीए पर निगम का करोड़ों बकाया है. उनसे वसूलने के लिए प्रेशर बनाया जा रहा है. महापौर ने बताया कि हुडको से भी विकास कार्यों के लिए 60 करोड़ रुपए का लोन मिला है. जैसे ही निगम अपने पैरों पर खड़ा होगा राज्य सरकार से पैसा मांगना बंद कर दिया जाएगा.
कोरोना काल में ग्रेटर नगर निगम ने अपने विकास कार्यों को भुलाकर आम जनता को जागरूक करने, मास्क वितरण और कोरोना प्रोटोकॉल की पालना कराने में जुट गया. हालांकि अब विकास कार्यों को गति दी जा रही है. सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए विकल्पों पर मंथन शुरू हो गया है. लेकिन अब निगम के सामने विकास कार्यों के अलावा स्वच्छ भारत मिशन 2.0 की भी चुनौती है. देखना होगा कि आगामी समय में ग्रेटर नगर निगम का बोर्ड आम जनता की उम्मीदों पर किस तरह खरा उतरता है.