जयपुर. प्रदेश में एक बार फिर पुलिस की कार्यशैली सवालों के घेरे में है. प्रदेश में बढ़ते अपराधों को लेकर जारी एनसीआरबी के आंकड़ों पर जारी सियासत के बीच अब राज्य मानव अधिकार आयोग में दर्ज हुए प्रकरण भी पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रही है. आयोग में पिछले डेढ़ साल में करीब 8 हजार मामले पहुंचे, जिनमें से करीब 50 फीसदी पुलिस और महिला अत्याचारों से जुड़े हैं. वहीं आयोग ने जिस तरह कई प्रकरणों में त्वरित कार्रवाई की उसके बाद यहां दर्ज होने वाले प्रकरणों की संख्या में भी इजाफा होने लगा है.
जनवरी 2021 से मई 2022 तक दर्ज हुए प्रकरण- राज्य मानव अधिकार आयोग में पिछले साल 1 जनवरी 2021 से लेकर इस साल 16 मई 2022 तक कुल 7940 प्रकरण दर्ज हुए. इनमें से 6355 प्रकरणों का आयोग ने निस्तारण भी किया और आवश्यक कार्रवाई करते हुए संबंधित विभाग और अधिकारियों पर जुर्माना तक लगाया. हालांकि, 1585 मामले अभी ऐसे हैं जो लंबित चल रहे हैं और उन पर कोई निर्णय नहीं हुआ. वहीं, साल 2021 से पहले के पेंडिंग पड़े प्रकरणों की संख्या देखी जाए तो वह करीब 5000 से अधिक है जिनका निस्तारण होना भी अभी शेष है.
पढ़ें- #Jagte Raho: ई-सिम के जरिए साइबर ठग कर रहे 'खेल', लगा रहे लाखों का चूना...ऐसे करें बचाओ
50 फीसदी पुलिस और महिला अत्याचार के मामले- राज्य मानव अधिकार आयोग में पिछले डेढ़ साल में जो मामले दर्ज हुए उनमें करीब आधे मामले पुलिस व महिला अत्याचार से जुड़े हैं. खुद यह बात आयोग के अध्यक्ष जस्टिस जी.के. व्यास स्वीकार करते हैं. ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान जस्टिस व्यास ने कहा कि देश और प्रदेश की आबादी लगातार बढ़ रही है लेकिन उसके अनुपात में पुलिस थाने और पुलिस कर्मचारियों की संख्या नहीं बढ़ पा रही.
जीके व्यास के अनुसार पुलिस थानों में मामला दर्ज कराने के दौरान प्रताड़ित करने, बुरा व्यवहार करने के साथ ही कई शिकायतें पुलिस की कार्यशैली से जुड़ी आयोग में आती है. वहीं, महिला व बालिका अत्याचार के मामले भी आयोग में दर्ज होते हैं जिनमें कहीं न कहीं पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए जाते हैं. इसके अलावा पेंशन और ग्रेजुएटी से जुड़े कई मामले आयोग में दर्ज हुए हैं जो सीधे तौर पर अलग-अलग विभागों द्वारा अपने ही सेवानिवृत्त कर्मचारियों को प्रताड़ित करने से जुड़े हैं. अन्य मामलों में पेयजल, सिलोकोसिस, बिजली आदि से जुड़े मामले दर्ज होते हैं.
आमजन का बढ़ रहा आयोग पर विश्वास- राज्य मानव अधिकार आयोग ने हाल ही में विभिन्न मामलों में जिस प्रकार संज्ञान लेते हुए संबंधित विभागों और अधिकारियों पर कार्रवाई की है उसके बाद आम जनता का भी मानव अधिकार आयोग पर विश्वास बढ़ा है. यही कारण है कि आयोग में पिछले कुछ महीनों में दर्ज होने वाली शिकायतों के आंकड़ों में भी इजाफा हुआ है. हालांकि आयोग में कर्मचारियों की कमी के चलते कामकाज भी प्रभावित हो रहा है.
आयोग में कर्मचारी और अधिकारियों के कुल स्वीकृत 69 दिन में से 38 पद अभी भी खाली चल रहे हैं. फिलहाल, आयोग अस्थाई और संविदा पर भर्ती के जरिए अपना काम चला रहा है, लेकिन जो पद खाली हैं वे सभी स्थाई प्रवृत्ति के हैं. ईटीवी भारत से खास बातचीत में आयोग अध्यक्ष कहते हैं कि आयोग कर्मचारियों की सेवा नियम नहीं बने और अब इस दिशा में काम करवाया जा रहा है ताकि आयोग में कर्मचारियों की स्थाई भर्ती हो सके.
प्रत्येक थाने में मानव अधिकार आयोग का पोस्टर चस्पा, लग रहे सीसीटीवी कैमरे- ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान आयोग अध्यक्ष जस्टिस जीके व्यास ने कहा कि पुलिस थाने पहुंचने वाले हर व्यक्ति को उसके मानवाधिकारों की जानकारी होना चाहिए. यही कारण है कि थाने के भीतर मानव अधिकारों से जुड़ा पोस्टर चस्पा हो इसके भी दिशा निर्देश दिए गए थे, जिसकी सभी पुलिस थानों में पालना की गई है. ऐसे में यदि पुलिस थाना पहुंचने वाले शिकायतकर्ता या यहां बंद आरोपियों के मानव अधिकार का हनन होता है तो वो भी उसकी शिकायत आयोग में कर सकते हैं. कुछ महीने पहले आयोग ने राजस्थान के सभी पुलिस थानों में सुधार की दृष्टि से अंदर और बाहर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने के निर्देश दिए थे. हाल ही में राज्य के बजट में इसके लिए 17 करोड़ रुपए का प्रावधान भी किया गया है. आयोग अध्यक्ष के अनुसार पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है जिसके जल्द ही सकारात्मक परिणाम भी सामने आएंगे.