जयपुर. राजधानी जयपुर में गलता तीर्थ के पास स्थित आमागढ़ किले को लेकर उठा बवाल फिलहाल थमता नहीं दिख रहा है. एक तरफ इस मुद्दे को लेकर आज गुरुवार को एक तरफ जहां भाजपा नेता किरोड़ीलाल मीणा (Kirodi Lal Meena) आज सचिवालय पहुंचे और प्रदर्शन किया. वहीं, अब इस पूरे मामले में आज एक और पक्ष की एंट्री हुई है.
यह पक्ष अपने आपको आमागढ़ किले में स्थित अम्बिका भवानी मंदिर का पुजारी बता रहा है, जबकि अब तक मीणा समाज और पुलिस इस जगह को वन विभाग के अधीन बताता आया है. इस पक्ष का कहना है कि वन विभाग और वन कानून आजादी के बाद अस्तित्व में आए हैं, जबकि उनके परिवार को इस मंदिर की सेवा-पूजा राजपरिवार से विरासत में मिली है और उनका परिवार करीब 200 साल से इस मंदिर की सेवा पूजा कर रहा है.
ठिकाना मंदिर श्री अम्बिका भवानी के संचालक एडवोकेट केदारनाथ शर्मा ने आज मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि आमागढ़ विवाद को लेकर प्राथमिकी दर्ज करवाने वाले दोनों पक्षों को पुलिस और प्रशासन बिठाकर समझाइश करे और शांतिपूर्ण तरीके से जल्द से जल्द इस विवाद का समाधान करवाए, ताकि मंदिर में सेवा-पूजा व अन्य कार्य बाधित नहीं हो. उनका यह भी कहना है कि उनका परिवार करीब दो सौ साल से मंदिर की सेवा-पूजा का काम कर रहा है.
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इसकी सेवा-पूजा उन्हें विरासत में मिली है. इस मंदिर और किले का स्वामित्व वन विभाग के अधीन होने के सवाल पर केदारनाथ शर्मा का कहना है कि वन विभाग और वन्य कानून तो आजादी के बाद अस्तित्व में आए हैं. जबकि उनके परिवार को राजपरिवार से इस मंदिर की सेवा पूजा 200 साल से भी पहले मिली है. उनका यह भी कहना है कि मंदिर में वन विभाग की कोई भूमिका नहीं है. मंदिर तक जाने का जो रास्ता बना हुआ है. उसके दोनों तरफ वन विभाग की जमीन है.
क्या है मामला ? बता दें कि आमागढ़ किले में कुछ संगठनों द्वारा झंडा लगाने की बात को लेकर विवाद हुआ था. हिंदूवादी संगठनों द्वारा यहां भगवा ध्वज लगाने के बाद मीणा समाज के लोगों ने इसका विरोध किया और झंडा हटवा दिया गया. इस घटना का वीडियो वायरल (Video Viral) हुआ था, जिसमें निर्दलीय विधायक रामकेश मीणा (MLA Ramkesh Meena) भी दिख रहे थे.
इसके बाद हिंदूवादी संगठनों ने भगवा ध्वज का अपमान करने और मीणा समाज के लोगों ने अनधिकृत रूप से ध्वज लगाने और सांस्कृतिक प्रतीकों से छेड़छाड़ का मामला दर्ज करवाया था. अब 1 अगस्त को विभिन्न संगठनों द्वारा आमागढ़ में एकत्रित होने के आह्वान के बाद पुलिस ने यहां किसी के भी इकट्ठा होने पर रोक लगा दी है. अब अपने आप को पुजारी बताने वाले पक्ष ने इस विवाद का जल्द निस्तारण करने की मांग की है.