जयपुर. प्रदेश में सरकारी बिजली घरों में कोयले के संकट के कारण बिजली की कमी का संकट भी गहरा रहा है. यह संकट आगामी 2 से 3 दिन तक और बना रहेगा. उसके बाद ही स्थिति सामान्य होने की संभावना है.
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ईटीवी भारत से ऊर्जा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने खास बातचीत की. कल्ला ने इस मसले पर केंद्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी से भी कोयले की आपूर्ति में आ रही रुकावट दूर करने का आग्रह किया गया है.
वित्त विभाग के जरिए आउटस्टैंडिंग पेमेंट करवाएंगे क्लियर
ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान जब ऊर्जा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला से पूछा गया कि कोयले की आपूर्ति रुकने का एक बड़ा कारण कोयले का भुगतान नहीं होना है तो उन्होंने कहा कि इस मसले में केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी से भी फोन पर चर्चा की.
उन्होंने आग्रह किया है कि कोयला आपूर्ति में आ रहे रुकावट को दूर करवाएं और हम भी वित्त विभाग के जरिए आउटस्टैंडिंग पेमेंट क्लियर करवाने का काम कर रहे हैं. ऊर्जा मंत्री ने कहा कि उम्मीद है शुक्रवार शाम या फिर 48 से 72 घंटे के बीच प्रदेश में बिजली आपूर्ति की स्थिति सामान्य हो जाएगी.
कमजोर मानसून के कारण एकाएक बढ़ी बिजली की खपत
कल्ला के अनुसार प्रदेश में मानसून कमजोर होने के कारण भी एकाएक बिजली की खपत में इजाफा हुआ है और अब तक की सर्वाधिक खपत मौजूदा समय में हो रही है. उनके अनुसार खरीफ के सीजन में मानसून आधारित फसलें लगाई जाती है, लेकिन किसान उनकी सिंचाई बरसात नहीं होने के कारण ट्यूबवेल के जरिए कर रहे हैं. जिसमें काफी बिजली लग रही है. ऊर्जा मंत्री के अनुसार प्रदेश में बिजली की जो डिमांड 1 माह पहले थी आज उस में काफी बढ़ोतरी हो गई है.
कालीसिंध की दो और सूरतगढ़ की एक यूनिट में उत्पादन बंद
प्रदेश में 1 से 17 अगस्त के बीच करीब 900 लाख यूनिट की खपत बढ़ी है. 1 अगस्त को प्रदेश में 2011 लाख यूनिट बिजली की खपत थी जो 17 अगस्त को बढ़कर 2983 लाख यूनिट तक पहुंच गई. इस दौरान पहले कालीसिंध में 600 मेगावाट की 1 इकाई बंद हुई और अब अब दूसरी इकाई भी बंद हो गई. इसी तरह कोयले की कमी के चलते सूरतगढ़ में 250 मेगावाट की एक अन्य इकाई में भी उत्पादन बंद हो गया है. वर्तमान में कोयले की कमी के कारण थर्मल आधारित कई इकाइयों में बिजली का उत्पादन कभी भी बंद हो सकता है. इसी तरह वर्तमान में 4800 मेगावाट बिजली का उत्पादन राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम की कार्य कर रही है.
डिस्कॉम ने अटका रखा है उत्पादन निगम का पेमेंट
राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम की इकाइयों से बनने वाली बिजली का इस्तेमाल डिस्कॉम कर रहा है, लेकिन लंबे समय से पेमेंट भी अटका हुआ है. बताया जा रहा है कि डिस्कॉम को राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम को करीब 2 हजार करोड़ से अधिक का भुगतान करना है, लेकिन दोनों ही सरकारी क्षेत्र की कंपनियां होने के कारण यह भुगतान में लेटलतीफी हो रही है. जिसका असर कोयला खरीद और उसका भुगतान पर भी पड़ रहा है.
ऊर्जा मंत्री बोले ऋण ग्रस्तता का शिकार है बिजली कंपनियां
ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान ऊर्जा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला से जब पूछा गया कि आखिर बिजली कंपनियों के हालात कब सुधरेंगे तब कल्ला ने कहा कि हमारा फोकस बिजली की छीजत कम करने पर है. कल्ला ने कहा कि हमने करीब औसतन पौने 3 प्रतिशत छीजत कम की है और अजमेर डिस्कॉम में तो छीजत का आंकड़ा 15 फीसदी के आसपास पहुंच चुका है, इससे टी एंड डी लॉस कम होगा.
ऊर्जा मंत्री ने कहा घाटा कम करने के लिए हमने अनावश्यक खर्चे भी कम करने के निर्देश दिए हैं लेकिन सबसे बड़ी समस्या बिजली कंपनियों की ओर से लिया गया ऋण है जिसके ब्याज को चुकाने के लिए भी ऋण लिया जाता है इसलिए मौजूदा समय में यह बिजली कंपनियां ऋण ग्रस्तता का शिकार हो गई है जिससे उबरने में थोड़ा समय तो लगेगा ही.