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Exclusive: बिजली के बढ़े हुए बिलों का समाधान हमारे पास नहीं: ऊर्जा मंत्री

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Published : Aug 27, 2020, 2:41 PM IST

राजस्थान में बिजली उपभोक्ताओं को अब बिजली बिल अधिक चुकाना पड़ेगा. आर्थिक संकट से जूझ रही डिस्कॉम ने बिजली उपभक्ताओं से फ्यूल चार्ज के नाम पर वसूली करने का निर्णय लिया है. इस विषय पर ETV ने ऊर्जा मंत्री बीडी कल्ला से खास बात की. बीडी कल्ला का कहना है कि इसका समाधान केवल केंद्र सरकार ही कर सकती है.

exclusive interview of bd kalla
बिजली के बढ़े हुए बिल पर रार

जयपुर. प्रदेश में बिजली के बढ़े हुए बिलों पर सियासत गरमा गई है. भाजपा इस मामले में प्रदेशव्यापी आंदोलन और धरना प्रदर्शन का ऐलान कर चुकी है. लेकिन ऊर्जा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला का कहना है कि इसका समाधान केवल केंद्र सरकार ही कर सकती है. कल्ला ने कोरोना के संक्रमण काल में आंदोलनकारी भाजपा नेता और कार्यकर्ताओं को डिजिटल और वर्चुअल तरीके से विरोध-प्रदर्शन करने की नसीहत दी है.

बिजली के बढ़े हुए बिल पर रार

नियामक आयोग करता है तय, डिस्कॉम को नहीं होता कोई फायदा

ऊर्जा मंत्री के अनुसार बीजेपी विपक्ष में होने के नाते विरोध प्रदर्शन कर रही है, जबकि आम उपभोक्ता सरकार की ओर से दी गई छूटों का फायदा उठाते हुए लगातार अपने बिजली के बिल जमा करवा रहे हैं. कल्ला ने यह भी कहा किस पर फ्यूल चार्जेस लगाना या नहीं लगाना यह सरकार का नहीं, बल्कि विद्युत विनियामक आयोग का काम है. उसमें डिस्कॉम को किसी तरह का का कोई फायदा नहीं होता, क्योंकि समय-समय पर जब कोयला या अन्य फ्यूल का चार्जेस बढ़ता है, तो इसके साथ ही आयोग की गाइडलाइन के अनुसार इस अधिभार को समायोजित करने के लिए उपभोक्ताओं पर भार डाला जाता है. लेकिन इसमें डिस्कॉम को अतिरिक्त कोई फायदा हो, ऐसा बिल्कुल नहीं है.

भाजपा की कथनी करनी में अंतर- कल्ला

ETV भारत से बातचीत के दौरान कल्ला ने भारतीय जनता पार्टी की कथनी और करनी में अंतर होने की बात भी कही. उनके अनुसार बिजली के बढ़े हुए बिल और भुगतान में राहत देने के लिए डिस्कॉम ने कई प्रकार की छूट उपभोक्ताओं को दी. इसका फायदा भी उपभोक्ताओं ने लिया और 90 फीसदी बिल भी जमा हुए. अब विपक्ष के नाते भाजपा 28 ,29 और 31 अगस्त और 2 सितंबर को विरोध प्रदर्शन करना चाह रही है, तो करें. लेकिन कोरोना के संकट काल में सोशल डिस्टेंसिंग और गाइडलाइन की पालना करना चाहिए और यदि विरोध प्रदर्शन करना ही है तो वर्चुअल और डिजिटल तरीके से करें.

यह भी पढे़ं : फ्यूल चार्ज के नाम पर बिजली उपभोक्ताओं की जेब को लगने वाला है बड़ा झटका!

किसानों पर किसी प्रकार का नहीं आएगा कोई भार सरकार संकल्पबद्ध

ऊर्जा मंत्री के अनुसार सरकार किसानों पर कोई दबाव ना आए, इसके लिए संकल्पबद्ध है. यही कारण है कि बिजली की दरों में इजाफा होने के बावजूद किसानों पर इसका भार अब तक नहीं डाला गया और आगे भी यदि फ्यूल चार्ज बढ़ा, तो भी सरकार अनुदान के जरिए इसकी आपूर्ति करेगी. लेकिन किसानों पर किसी प्रकार का कोई दबाव नहीं डाला जाएगा.

बिजली के बिल कम करने के लिए यह बताया समाधान

ETV भारत से खास बातचीत के दौरान जब बीडी कल्ला जो पूछा गया कि आखिर बिजली के बढ़े हुए बिलों से आम लोगों को किस प्रकार से राहत मिल सकती है, इसका आखिर स्थाई समाधान क्या हो सकता है? इस पर उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ही इस संबंध में समस्या का समाधान कर सकती है. उनके अनुसार वे खुद 5 बार केंद्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री आर के सिंह से इस संबंध में बात कर चुके हैं, लेकिन बार-बार आग्रह करने के बावजूद केंद्र सरकार इस मामले में कोई मदद नहीं करना चाह रही है.

ऊर्जा मंत्री के अनुसार यदि केंद्र सरकार पूरे देश को लेकर यह डिसीजन ले, ले कि बिजली के बिलों में स्थाई शुल्क नहीं वसूला जाए, तो हम भी वसूल नहीं करेंगे और केंद्र सरकार अगर इसके पुनर्भरण का ऐलान कर दे, तब भी हम ये नहीं वसूल करेंगे. लेकिन भाजपा नेता यहां तो विरोध प्रदर्शन करते हैं पर केंद्र सरकार पर कोई दबाव नहीं बनाते.

जयपुर. प्रदेश में बिजली के बढ़े हुए बिलों पर सियासत गरमा गई है. भाजपा इस मामले में प्रदेशव्यापी आंदोलन और धरना प्रदर्शन का ऐलान कर चुकी है. लेकिन ऊर्जा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला का कहना है कि इसका समाधान केवल केंद्र सरकार ही कर सकती है. कल्ला ने कोरोना के संक्रमण काल में आंदोलनकारी भाजपा नेता और कार्यकर्ताओं को डिजिटल और वर्चुअल तरीके से विरोध-प्रदर्शन करने की नसीहत दी है.

बिजली के बढ़े हुए बिल पर रार

नियामक आयोग करता है तय, डिस्कॉम को नहीं होता कोई फायदा

ऊर्जा मंत्री के अनुसार बीजेपी विपक्ष में होने के नाते विरोध प्रदर्शन कर रही है, जबकि आम उपभोक्ता सरकार की ओर से दी गई छूटों का फायदा उठाते हुए लगातार अपने बिजली के बिल जमा करवा रहे हैं. कल्ला ने यह भी कहा किस पर फ्यूल चार्जेस लगाना या नहीं लगाना यह सरकार का नहीं, बल्कि विद्युत विनियामक आयोग का काम है. उसमें डिस्कॉम को किसी तरह का का कोई फायदा नहीं होता, क्योंकि समय-समय पर जब कोयला या अन्य फ्यूल का चार्जेस बढ़ता है, तो इसके साथ ही आयोग की गाइडलाइन के अनुसार इस अधिभार को समायोजित करने के लिए उपभोक्ताओं पर भार डाला जाता है. लेकिन इसमें डिस्कॉम को अतिरिक्त कोई फायदा हो, ऐसा बिल्कुल नहीं है.

भाजपा की कथनी करनी में अंतर- कल्ला

ETV भारत से बातचीत के दौरान कल्ला ने भारतीय जनता पार्टी की कथनी और करनी में अंतर होने की बात भी कही. उनके अनुसार बिजली के बढ़े हुए बिल और भुगतान में राहत देने के लिए डिस्कॉम ने कई प्रकार की छूट उपभोक्ताओं को दी. इसका फायदा भी उपभोक्ताओं ने लिया और 90 फीसदी बिल भी जमा हुए. अब विपक्ष के नाते भाजपा 28 ,29 और 31 अगस्त और 2 सितंबर को विरोध प्रदर्शन करना चाह रही है, तो करें. लेकिन कोरोना के संकट काल में सोशल डिस्टेंसिंग और गाइडलाइन की पालना करना चाहिए और यदि विरोध प्रदर्शन करना ही है तो वर्चुअल और डिजिटल तरीके से करें.

यह भी पढे़ं : फ्यूल चार्ज के नाम पर बिजली उपभोक्ताओं की जेब को लगने वाला है बड़ा झटका!

किसानों पर किसी प्रकार का नहीं आएगा कोई भार सरकार संकल्पबद्ध

ऊर्जा मंत्री के अनुसार सरकार किसानों पर कोई दबाव ना आए, इसके लिए संकल्पबद्ध है. यही कारण है कि बिजली की दरों में इजाफा होने के बावजूद किसानों पर इसका भार अब तक नहीं डाला गया और आगे भी यदि फ्यूल चार्ज बढ़ा, तो भी सरकार अनुदान के जरिए इसकी आपूर्ति करेगी. लेकिन किसानों पर किसी प्रकार का कोई दबाव नहीं डाला जाएगा.

बिजली के बिल कम करने के लिए यह बताया समाधान

ETV भारत से खास बातचीत के दौरान जब बीडी कल्ला जो पूछा गया कि आखिर बिजली के बढ़े हुए बिलों से आम लोगों को किस प्रकार से राहत मिल सकती है, इसका आखिर स्थाई समाधान क्या हो सकता है? इस पर उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ही इस संबंध में समस्या का समाधान कर सकती है. उनके अनुसार वे खुद 5 बार केंद्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री आर के सिंह से इस संबंध में बात कर चुके हैं, लेकिन बार-बार आग्रह करने के बावजूद केंद्र सरकार इस मामले में कोई मदद नहीं करना चाह रही है.

ऊर्जा मंत्री के अनुसार यदि केंद्र सरकार पूरे देश को लेकर यह डिसीजन ले, ले कि बिजली के बिलों में स्थाई शुल्क नहीं वसूला जाए, तो हम भी वसूल नहीं करेंगे और केंद्र सरकार अगर इसके पुनर्भरण का ऐलान कर दे, तब भी हम ये नहीं वसूल करेंगे. लेकिन भाजपा नेता यहां तो विरोध प्रदर्शन करते हैं पर केंद्र सरकार पर कोई दबाव नहीं बनाते.

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