जयपुर. राजस्थान विधानसभा 9 फरवरी से शुरू होने जा रहा है. इसी बजट सत्र (Rajasthan budget session 2022) में प्रदेश सरकार आगामी वित्त वर्ष का बजट पेश करेगी. लेकिन पिछले बजट में की गई ऊर्जा विभाग की कुछ घोषणाएं अब तक अधूरी हैं. इनमें प्रमुख घोषणा कृषि विद्युत वितरण कंपनी के गठन की है. जिसको लेकर अब तक सरकार या ऊर्जा विभाग की तरफ से कोई ठोस काम नहीं किया गया. हालांकि कागजों में इसके लिए काम चल रहा है लेकिन धरातल पर यह कहीं दिखाई नहीं देता.
कृषि विद्युत वितरण कंपनी के गठन का ऐलान : पिछले बजट में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gehlot) ने राजस्थान में कृषि विद्युत वितरण कंपनी के गठन का ऐलान किया गया था. मकसद था किसानों को अनुदानित दरों पर बिजली देने और किसानों के बिजली कनेक्शनों से जुड़े काम के निस्तारण के लिए डेडीकेटेड कंपनी बनाना. जिससे किसानों का काम समय पर हो और उन्हें किसी प्रकार की परेशानी ना आए.
कृषि विद्युत वितरण कंपनी (Agricultural Electricity Distribution Company) का प्रमुख काम कृषि कनेक्शन की पेंडेंसी कम करना और किसानों से जुड़े बिजली के मामले को सीधे डील करना था. इस कंपनी के जरिए कृषि कनेक्शन से जुड़ी सब्सिडी के साथ ही विद्युत लॉस कम करने पर भी फोकस होता. बताया जा रहा है कृषि विद्युत वितरण कंपनी के गठन की तैयारी के लिए ऊर्जा विभाग और वित्त विभाग के बीच मंथन का दौर चल रहा है. लेकिन इसे अंतिम रूप अब तक नहीं दिया जा सका है.
नई कंपनी का गठन इसलिए जरूरीः राजस्थान में कुल बिजली की खपत का 41 फीसदी केवल कृषि क्षेत्र में होता है. वहीं राजस्थान सरकार बिजली उपभोक्ताओं को सर्वाधिक अनुदान भी केवल कृषि कनेक्शन यानी किसानों को देती है. वर्तमान में 17,000 करोड़ रुपए की सब्सिडी कृषि कनेक्शन पर दी जा रही है. पिछले बजट में घोषित किसान मित्र योजना के तहत 1,450 करोड़ रुपए का सालाना भार अतिरिक्त आ रहा है. मतलब 17,450 करोड़ रुपए सालाना सब्सिडी केवल कृषि क्षेत्र में सरकार दे रही है. प्रदेश में 14 लाख से ज्यादा किसान उपभोक्ता हैं. इनका कुल बिजली बिल करीब 19,000 करोड़ रुपए सालाना है. जिसमें से 3,000 करोड़ रुपए कृषि उपभोक्ताओं से लिए जा रहे हैं. जबकि अन्य खर्चा सरकार अनुदान के रूप में दे रही है.
सभी जिलों में किसानों को दिन में बिजली देने का वादा भी अधूराः प्रदेश सरकार ने पिछले बजट में किसानों को दिन में बिजली दिए जाने की घोषणा की थी. इस दिशा में प्रदेश में तेजी से काम भी हुआ. वर्तमान में करीब 15 जिलों में किसानों को दिन में कृषि के लिए बिजली दी जा रही है. हालांकि बचे हुए जिलों में साल 2023 तक ही काम कंप्लीट होगा. इसके लिए ऊर्जा विभाग सोलर ऊर्जा के जरिए किसानों को दिन में बिजली देने की योजना भी बना रहा है. हालांकि इस काम को भी गति तब ही मिल पाती जब अलग से कृषि विद्युत वितरण कंपनी का गठन हो पाता.
यह भी पढ़ें- जीवन रक्षा के लिए संसाधन जुटाने में नहीं रखें कोई कमी : CM गहलोत
आएगा वित्तीय भार और कर्मचारियों की पड़ेगी आवश्यकताः अलग से कृषि विद्युत वितरण कंपनी के गठन में ऊर्जा विभाग पर वित्तीय भार भी आएगा और अलग से कर्मचारियों की आवश्यकता भी पड़ेगी. शुरुआत में यह माना जा रहा था कि अलग से कृषि कंपनी का गठन होने पर बिजली वितरण के लिए अलग से फीडर भी बनाने होंगे. जिसमें से केवल कृषि उपभोक्ताओं को बिजली मिल सके लेकिन वर्तमान में स्मार्ट मीटर का प्रयोग केंद्र और राज्य सरकार दोनों कर रही है. जिसमें बिजली उपभोक्ताओं को दी जाने वाली बिजली की अलग से गणना आसानी से हो सकेगी. ऐसे में अलग से फीडर का लंबा चौड़ा खर्चा बच पाएगा.कर्मचारियों की जहां तक बात है नई कंपनी में नए निदेशक और चेयरमैन व उनसे जुड़ा स्टाफ अलग से रखना होगा. जबकि डिस्कॉम के कर्मचारी ही इस कंपनी में तैनात किए जा सकते हैं.