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जिन कच्ची बस्तियों में हो गया आधारभूत विकास अब वो नहीं रहेंगी कच्ची बस्ती

राजधानी जयपुर में जिन कच्ची बस्तियों में आधारभूत विकास हो गया है अब वो बस्ती कच्ची बस्ती नहीं रहेंगी. इन बस्तियों को अनाधिसूचित करने के लिए स्थानीय स्तर की संबंधित निकाय की एंपावर्ड कमेटी को अधिकृत किया गया है.

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Published : Aug 17, 2021, 8:13 AM IST

empowered committee, raw habitation
कच्ची बस्ती

जयपुर. जिन कच्ची बस्तियों में आधारभूत विकास हो चुका है और कच्ची बस्ती की परिभाषा से बाहर होने योग्य है, उन्हें डिनोटिफाई (अनाधिसूचित) करने के लिए स्थानीय स्तर की संबंधित निकाय की एंपावर्ड कमेटी को अधिकृत किया गया है.

पढ़ें- प्रशासन शहरों के संग अभियान : तो क्या जनता को राहत के नाम पर सरकार कर रही जेब भरने की तैयारी!

शहरी क्षेत्रों में बसी कच्ची बस्तियों में आधारभूत विकास होने की स्थिति में उन्हें कच्ची बस्ती की परिभाषा से बाहर किए जाने की मांग उठी थी. ऐसी कच्ची बस्तियों को डिनोटिफाई करने के लिए पूर्व में स्थानीय स्तर की एंपावर्ड कमेटी को अधिकृत किया गया था. हालांकि अब इसकी जिम्मेदारी संबंधित निकाय की एंपावर्ड कमेटी को दी गई है.

empowered committee, raw habitation
आदेश की कॉपी

दरअसल, 29 नवंबर 2012 को डीएलबी ने शहरी क्षेत्र में कच्ची बस्तियों का सर्वे कर विभागीय परिपत्र जारी किया था. हालांकि बीते 9 साल में इन कच्ची बस्तियों में पक्के मकान बन कर तैयार हो गए और आधारभूत विकास भी हुआ. ऐसी कच्ची बस्तियों को डिनोटिफाई कर सामान्य आवासीय क्षेत्रों में शुमार करने की मांग उठी ताकि यहां रह रहे लोगों को अपने आवास के आधार पर बैंक लोन जैसी सुविधाएं मिल सके.

इस संबंध में डीएलबी डायरेक्टर दीपक नंदी ने बताया कि कच्ची बस्तियों का सर्वे पुराना था. आलम ये है कि वहां पक्के मकान बन गए. ऐसे में लोगों की डिमांड थी कि इन्हें डिनोटिफाई किया जाए. इस संबंध में राज्य सरकार स्तर पर निर्णय लिया गया था. स्थानीय स्तर की एंपावर्ड कमेटी को अधिकृत किया गया था. हालांकि अब राज्य सरकार ने इसकी जिम्मेदारी संबंधित निकाय की एंपावर्ड कमेटी को दी है.

पढ़ें- चूरू : जिन आशियानों को अपने हाथों से संवारा-सजाया...उन्हें अब खुद कर रहे जमींदोज, 300 परिवार बेघर

बता दें कि प्रशासन शहरों के संग अभियान को सफल बनाने के लिए जोर शोर से प्रयास किए जा रहे हैं. इस अभियान में 10 लाख पट्टे वितरित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. कोशिश की जा रही है कि इससे ज्यादा पट्टे बनाकर आम जनता को राहत दी जाए.

5000 करोड़ राजस्व एकत्र करने का लक्ष्य

आमजन को त्वरित राहत देने के लिए प्रस्तावित प्रशासन शहरों के संग अभियान में 10 लाख पट्टे देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इस अभियान से सरकार ने राजस्व इकट्ठा करने की भी प्लानिंग की है. सरकार ने 5000 करोड़ का लक्ष्य निर्धारित किया है. और इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए राज्य सरकार नियम और कानूनों में भी बदलाव करने को तैयार है. ताकि राजघराने की जमीन या मंदिर की जमीन पर बसे लोगों को भी पट्टे वितरित किए जा सके.

ऑनलाइन होगा प्रशासन शहरों के संग अभियान

यूडीएच मंत्री (UDH Minister) शांति धारीवाल ने कोविड-19 को देखते हुए प्रशासन शहरों के संग अभियान इस बार ऑनलाइन होगा. साथ ही सभी नगरीय निकायों को कार्यों के निस्तारण के लिए साप्ताहिक और मासिक कैलेंडर बनाने के निर्देश जारी किए गए हैं. ताकि आवेदक को निर्धारित तिथि पर बुलाकर पट्टा दिया जा सके. इस कार्य के लिए प्रशिक्षित और अनुभवी कर्मचारियों को लगाने के निर्देश भी दिए गए हैं.

आम नागरिकों के सहयोग के लिए नगर मित्र (Nagar Mitr) लोगों का आवेदन करने में सहयोग करेंगे. इसके लिए 5 हज़ार रुपए का फाइल चार्ज भी निर्धारित किया गया है. ऑनलाइन अभियान के लिए सभी नगरीय निकायों को निकाय का फेसबुक पेज, टि्वटर अकाउंट बनाने और समय-समय पर सोशल मीडिया पर जानकारी साझा करने के निर्देश दिए गए हैं.

जयपुर. जिन कच्ची बस्तियों में आधारभूत विकास हो चुका है और कच्ची बस्ती की परिभाषा से बाहर होने योग्य है, उन्हें डिनोटिफाई (अनाधिसूचित) करने के लिए स्थानीय स्तर की संबंधित निकाय की एंपावर्ड कमेटी को अधिकृत किया गया है.

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शहरी क्षेत्रों में बसी कच्ची बस्तियों में आधारभूत विकास होने की स्थिति में उन्हें कच्ची बस्ती की परिभाषा से बाहर किए जाने की मांग उठी थी. ऐसी कच्ची बस्तियों को डिनोटिफाई करने के लिए पूर्व में स्थानीय स्तर की एंपावर्ड कमेटी को अधिकृत किया गया था. हालांकि अब इसकी जिम्मेदारी संबंधित निकाय की एंपावर्ड कमेटी को दी गई है.

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आदेश की कॉपी

दरअसल, 29 नवंबर 2012 को डीएलबी ने शहरी क्षेत्र में कच्ची बस्तियों का सर्वे कर विभागीय परिपत्र जारी किया था. हालांकि बीते 9 साल में इन कच्ची बस्तियों में पक्के मकान बन कर तैयार हो गए और आधारभूत विकास भी हुआ. ऐसी कच्ची बस्तियों को डिनोटिफाई कर सामान्य आवासीय क्षेत्रों में शुमार करने की मांग उठी ताकि यहां रह रहे लोगों को अपने आवास के आधार पर बैंक लोन जैसी सुविधाएं मिल सके.

इस संबंध में डीएलबी डायरेक्टर दीपक नंदी ने बताया कि कच्ची बस्तियों का सर्वे पुराना था. आलम ये है कि वहां पक्के मकान बन गए. ऐसे में लोगों की डिमांड थी कि इन्हें डिनोटिफाई किया जाए. इस संबंध में राज्य सरकार स्तर पर निर्णय लिया गया था. स्थानीय स्तर की एंपावर्ड कमेटी को अधिकृत किया गया था. हालांकि अब राज्य सरकार ने इसकी जिम्मेदारी संबंधित निकाय की एंपावर्ड कमेटी को दी है.

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बता दें कि प्रशासन शहरों के संग अभियान को सफल बनाने के लिए जोर शोर से प्रयास किए जा रहे हैं. इस अभियान में 10 लाख पट्टे वितरित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. कोशिश की जा रही है कि इससे ज्यादा पट्टे बनाकर आम जनता को राहत दी जाए.

5000 करोड़ राजस्व एकत्र करने का लक्ष्य

आमजन को त्वरित राहत देने के लिए प्रस्तावित प्रशासन शहरों के संग अभियान में 10 लाख पट्टे देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इस अभियान से सरकार ने राजस्व इकट्ठा करने की भी प्लानिंग की है. सरकार ने 5000 करोड़ का लक्ष्य निर्धारित किया है. और इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए राज्य सरकार नियम और कानूनों में भी बदलाव करने को तैयार है. ताकि राजघराने की जमीन या मंदिर की जमीन पर बसे लोगों को भी पट्टे वितरित किए जा सके.

ऑनलाइन होगा प्रशासन शहरों के संग अभियान

यूडीएच मंत्री (UDH Minister) शांति धारीवाल ने कोविड-19 को देखते हुए प्रशासन शहरों के संग अभियान इस बार ऑनलाइन होगा. साथ ही सभी नगरीय निकायों को कार्यों के निस्तारण के लिए साप्ताहिक और मासिक कैलेंडर बनाने के निर्देश जारी किए गए हैं. ताकि आवेदक को निर्धारित तिथि पर बुलाकर पट्टा दिया जा सके. इस कार्य के लिए प्रशिक्षित और अनुभवी कर्मचारियों को लगाने के निर्देश भी दिए गए हैं.

आम नागरिकों के सहयोग के लिए नगर मित्र (Nagar Mitr) लोगों का आवेदन करने में सहयोग करेंगे. इसके लिए 5 हज़ार रुपए का फाइल चार्ज भी निर्धारित किया गया है. ऑनलाइन अभियान के लिए सभी नगरीय निकायों को निकाय का फेसबुक पेज, टि्वटर अकाउंट बनाने और समय-समय पर सोशल मीडिया पर जानकारी साझा करने के निर्देश दिए गए हैं.

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