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हाथी गांव में पड़ रहा अकाल, हाथियों को नहाना तो दूर, पीने के लिए भी नसीब नहीं हो रहा पानी...

हाथियों को प्राकृतिक और प्रदूषण मुक्त माहौल देने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर जयपुर में हाथी गांव को तैयार किया गया था. हाथी गांव में हाथियों को नहाने के लिए तालाब भी बनाए गए थे. करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी अब हालात यह है कि हाथी गांव में हाथियों को नहाना तो दूर पीने के लिए भी पानी नसीब नहीं हो रहा है.

हाथी गांव
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Published : Jun 20, 2019, 4:19 PM IST

जयपुर. प्रदेश में इन दिनों पानी का संकट सबसे बड़ी समस्या बना हुआ है. लोग पानी को लेकर परेशान हैं. वहीं जयपुर के आमेर स्थित हाथी गांव में भी पानी का संकट गहराया हुआ है. हाथी गांव में लाखों रुपए खर्च कर बनाए गए पानी के तालाब भी सूख गए हैं. जिससे पानी की समस्या ज्यादा बढ़ गई है.

जहां पानी से भरे तालाबों में हाथी अठखेलियां करते हुए नजर आते थे, वहां अब हाथियों को नहाना तो दूर पीने के लिए भी पानी मुश्किल से मिल रहा है. हालांकि वन विभाग की ओर से पीने के लिए पानी के टैंकरों की व्यवस्था तो की जा रही है लेकिन उससे भी पानी की किल्लत कम होती नजर नहीं आ रही. इसके अलावा कई हाथी मालिक खुद प्राइवेट टैंकर मंगवाकर हाथियों के लिए पानी की व्यवस्था कर रहे हैं. हाथियों को इस भीषण गर्मी से बचाने के लिए हाथी मालिक पानी के टैंकर मंगवाकर हाथियों को नहला भी रहे हैं.

हाथी गांव में अभी करीब 65 हाथी रह रहे हैं. हाथी मालिकों की माने तो एक हाथी को पीने के लिए एक बार मे 200 से 300 लीटर पानी की आवश्यकता होती है. रोजाना हजारों लीटर पानी की यहां पर खपत होती है जो कि टैंकरों से आपूर्ति होना मुश्किल है.

हाथी मालिक शाहिद खान ने बताया कि भीषण गर्मी पड़ने से हाथी गांव के तालाब भी सूख गए हैं. जिससे हाथियों को नहाना नसीब नहीं हो रहा और ऊपर से पीने के लिए भी समस्या खड़ी हो गई. हाथियों को पीने के लिए तो बाहर से प्राइवेट टैंकर मंगवा कर व्यवस्था की जा रही है. एक समय में एक हाथी ढाई सौ से 300 लीटर पानी पीता है. और दिन भर में दो से तीन बार हाथी को पानी की जरूरत पड़ती है, यानी एक हाथी को प्रतिदिन 1000 लीटर पानी की आवश्यकता पड़ रही है. इसके अलावा नहाने के लिए अलग से पानी की व्यवस्था करनी पड़ती है.

हाथी गांव में पड़ रहा अकाल

इस भीषण गर्मी से बचाने के लिए हाथी को नहाने के लिए भी पानी की जरूरत है. उन्होंने बताया कि इसके लिए वन विभाग को ट्यूबवेल की व्यवस्था करवानी चाहिए. ताकि हाथी गांव में पानी की समस्या दूर हो सके. हाथी गांव के रेंजर रामकिशोर बैरवा ने बताया कि बरसात कम होने से हाथी गांव के तालाबो में पानी भी सूख गया है. हाथी गांव में वन विभाग की ओर से प्राइवेट पानी के टैंकर मंगवाकर पानी की व्यवस्था की जा रही है. लेकिन बाहर भी पानी की कमी होने से टैंकर भी समय पर नहीं पहुंच पा रहे हैं. वन विभाग पानी की समस्या को लेकर गंभीर है और धीरे-धीरे इस समस्या को दुरस्त कर दिया जाएगा. एक हाथी को रोजाना पीने और नहाने के लिए दो से ढाई हजार लीटर पानी की आवश्यकता होती है.

बता दें कि पूर्व भाजपा सरकार में 8 करोड रुपए के बजट से हाथी गांव का थाईलैंड की तर्ज पर सौंदर्यीकरण का कार्य किया गया था. जिसमे हाथी गांव में हाथियों के नहाने और अठखेलियां करने के लिए तीन तालाब तैयार किए गए थे. साथ ही सैकड़ों की संख्या में पेड़ पौधे भी लगाए गए थे. हाथी गांव को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए वाहनों की अलग से पार्किंग की व्यवस्था भी की गई थी.

जयपुर. प्रदेश में इन दिनों पानी का संकट सबसे बड़ी समस्या बना हुआ है. लोग पानी को लेकर परेशान हैं. वहीं जयपुर के आमेर स्थित हाथी गांव में भी पानी का संकट गहराया हुआ है. हाथी गांव में लाखों रुपए खर्च कर बनाए गए पानी के तालाब भी सूख गए हैं. जिससे पानी की समस्या ज्यादा बढ़ गई है.

जहां पानी से भरे तालाबों में हाथी अठखेलियां करते हुए नजर आते थे, वहां अब हाथियों को नहाना तो दूर पीने के लिए भी पानी मुश्किल से मिल रहा है. हालांकि वन विभाग की ओर से पीने के लिए पानी के टैंकरों की व्यवस्था तो की जा रही है लेकिन उससे भी पानी की किल्लत कम होती नजर नहीं आ रही. इसके अलावा कई हाथी मालिक खुद प्राइवेट टैंकर मंगवाकर हाथियों के लिए पानी की व्यवस्था कर रहे हैं. हाथियों को इस भीषण गर्मी से बचाने के लिए हाथी मालिक पानी के टैंकर मंगवाकर हाथियों को नहला भी रहे हैं.

हाथी गांव में अभी करीब 65 हाथी रह रहे हैं. हाथी मालिकों की माने तो एक हाथी को पीने के लिए एक बार मे 200 से 300 लीटर पानी की आवश्यकता होती है. रोजाना हजारों लीटर पानी की यहां पर खपत होती है जो कि टैंकरों से आपूर्ति होना मुश्किल है.

हाथी मालिक शाहिद खान ने बताया कि भीषण गर्मी पड़ने से हाथी गांव के तालाब भी सूख गए हैं. जिससे हाथियों को नहाना नसीब नहीं हो रहा और ऊपर से पीने के लिए भी समस्या खड़ी हो गई. हाथियों को पीने के लिए तो बाहर से प्राइवेट टैंकर मंगवा कर व्यवस्था की जा रही है. एक समय में एक हाथी ढाई सौ से 300 लीटर पानी पीता है. और दिन भर में दो से तीन बार हाथी को पानी की जरूरत पड़ती है, यानी एक हाथी को प्रतिदिन 1000 लीटर पानी की आवश्यकता पड़ रही है. इसके अलावा नहाने के लिए अलग से पानी की व्यवस्था करनी पड़ती है.

हाथी गांव में पड़ रहा अकाल

इस भीषण गर्मी से बचाने के लिए हाथी को नहाने के लिए भी पानी की जरूरत है. उन्होंने बताया कि इसके लिए वन विभाग को ट्यूबवेल की व्यवस्था करवानी चाहिए. ताकि हाथी गांव में पानी की समस्या दूर हो सके. हाथी गांव के रेंजर रामकिशोर बैरवा ने बताया कि बरसात कम होने से हाथी गांव के तालाबो में पानी भी सूख गया है. हाथी गांव में वन विभाग की ओर से प्राइवेट पानी के टैंकर मंगवाकर पानी की व्यवस्था की जा रही है. लेकिन बाहर भी पानी की कमी होने से टैंकर भी समय पर नहीं पहुंच पा रहे हैं. वन विभाग पानी की समस्या को लेकर गंभीर है और धीरे-धीरे इस समस्या को दुरस्त कर दिया जाएगा. एक हाथी को रोजाना पीने और नहाने के लिए दो से ढाई हजार लीटर पानी की आवश्यकता होती है.

बता दें कि पूर्व भाजपा सरकार में 8 करोड रुपए के बजट से हाथी गांव का थाईलैंड की तर्ज पर सौंदर्यीकरण का कार्य किया गया था. जिसमे हाथी गांव में हाथियों के नहाने और अठखेलियां करने के लिए तीन तालाब तैयार किए गए थे. साथ ही सैकड़ों की संख्या में पेड़ पौधे भी लगाए गए थे. हाथी गांव को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए वाहनों की अलग से पार्किंग की व्यवस्था भी की गई थी.

Intro:जयपुर
एंकर- हाथियों को प्राकृतिक और प्रदूषण मुक्त माहौल देने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर हाथी गांव को तैयार किया गया था। हाथी गांव में हाथियों को नहाने के लिए तालाब भी बनाए गए थे। करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी अब हालात यह है कि हाथी गांव में हाथियों को नहाना तो दूर पीने के लिए भी पानी नसीब नहीं हो रहा है।


Body:प्रदेश में इन दिनों पानी का संकट सबसे बड़ी समस्या बना हुआ है। लोग पानी को लेकर त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। वहीं जयपुर के आमेर स्थित हाथी गांव में भी पानी का संकट गहराया हुआ है। हाथी गांव में लाखों रुपए खर्च कर बनाए गए पानी के तालाब भी सूख गए हैं। जिससे पानी की समस्या ज्यादा बढ़ गई है। जहां पानी से भरे तालाबों में हाथी अठखेलियां करते हुए नजर आते थे, वहां अब हाथियों को नहाना तो दूर पीने के लिए भी पानी मुश्किल से मिल रहा है। हालांकि वन विभाग की ओर से पीने के लिए पानी के टैंकरों की व्यवस्था तो की जा रही है लेकिन उससे भी पानी की किल्लत कम होती नजर नहीं आ रही। इसके अलावा कई हाथी मालिक खुद प्राइवेट टैंकर मंगवाकर हाथियों के लिए पानी की व्यवस्था कर रहे हैं। हाथियों को इस भीषण गर्मी से बचाने के लिए हाथी मालिक पानी के टैंकर मंगवाकर हाथियों को नहला भी रहे हैं। हाथी गांव में अभी करीब 65 हाथी रह रहे हैं। हाथी मालिकों की माने तो एक हाथी को पीने के लिए एक बार मे 200 से 300 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। रोजाना हजारों लीटर पानी की यहां पर खपत होती है जो कि टैंकरों से आपूर्ति होना मुश्किल है।
हाथी मालिक शाहिद खान ने बताया कि भीषण गर्मी पड़ने से हाथी गांव के तालाब भी सूख गए हैं। जिससे हाथियों को नहाना नसीब नहीं हो रहा और ऊपर से पीने के लिए भी समस्या खड़ी हो गई। हाथियों को पीने के लिए तो बाहर से प्राइवेट टैंकर मंगवा कर व्यवस्था की जा रही है। एक समय में एक हाथी ढाई सौ से 300 लीटर पानी पीता है। और दिन भर में दो से तीन बार हाथी को पानी की जरूरत पड़ती है, यानी एक हाथी को प्रतिदिन 1000 लीटर पानी की आवश्यकता पड़ रही है। इसके अलावा नहाने के लिए अलग से पानी की व्यवस्था करनी पड़ती है। इस भीषण गर्मी से बचाने के लिए हाथी को नहाने के लिए भी पानी की जरूरत है। उन्होंने बताया कि इसके लिए वन विभाग को ट्यूबवेल की व्यवस्था करवानी चाहिए। ताकि हाथी गांव में पानी की समस्या दूर हो सके।
हाथी गांव के रेंजर रामकिशोर बैरवा ने बताया कि बरसात कम होने से हाथी गांव के तालाबो में पानी भी सूख गया है। हाथी गांव में वन विभाग की ओर से प्राइवेट पानी के टैंकर मंगवाकर पानी की व्यवस्था की जा रही है। लेकिन बाहर भी पानी की कमी होने से टैंकर भी समय पर नहीं पहुंच पा रहे हैं। वन विभाग पानी की समस्या को लेकर गंभीर है और धीरे-धीरे इस समस्या को दुरस्त कर दिया जाएगा। एक हाथी को रोजाना पीने और नहाने के लिए दो से ढाई हजार लीटर पानी की आवश्यकता होती है।

बता दे कि पूर्व भाजपा सरकार में 8 करोड रुपए के बजट से हाथी गांव का थाईलैंड की तर्ज पर सौंदर्यीकरण का कार्य किया गया था। जिसमे हाथी गांव में हाथियों के नहाने और अठखेलियां करने के लिए तीन तालाब तैयार किए गए थे। साथ ही सैकड़ों की संख्या में पेड़ पौधे भी लगाए गए थे। हाथी गांव को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए वाहनों की अलग से पार्किंग की व्यवस्था भी की गई थी।




Conclusion:बेहतर होगा कि वन विभाग हाथी गांव में पानी की समुचित व्यवस्था करें। जिससे हाथी गांव में पानी का संकट को दूर हो और
हाथियों को नहाने और पीने के लिए पर्याप्त पानी मिल सके। अब देखना होगा कि वन विभाग कब तक हाथी गांव में इस पानी की समस्या को दुरस्त कर पायेगा।

बाईट- शाहिद खान, हाथी मालिक
बाईट- मंजीत सिंह, हाथी महावत
बाईट- रामकिशोर बैरवा, रेंजर, हाथी गांव



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