जयपुर. चुनावी गतिविधियों को आसान करने के लिए भारत निर्वाचन आयोग ने नवीन तकनीक का प्रयोग किया है. एक क्लिक पर मतदाता से जुड़ी सारी जानकरी मिले, इसके लिए गरुड़ एप विकसित किया गया है. इसके लिए राजस्थान की अलवर शहर और रामगढ़ विधानसभा को देश में पालयट प्रोजेक्ट चुना गया था, इसके सफल परीक्षण और बेहतर फीडबैक के बाद अब आयोग इसे देश में लागू कर सकती है.
इस एप में हर मतदाता की अब टैगिंग की जाएगी. एप के जरिए पोलिंग बूथ की व्यवस्था में सुधार के साथ ऑनलाइन प्रक्रिया होने से दस्तावेजों के प्रयोग में होने वाली परेशानियों से बचा जा सकेगा. दरअसल, चुनावी गतिविधियों को आसान करने के लिए गरुड़ मोबाइल एप विकसित किया गया है. पोलिंग बूथ की व्यवस्था में सुधार के साथ ऑनलाइन प्रक्रिया होने से दस्तावेजों के प्रयोग में होने वाली परेशानियों से बचने के लिए भारत निर्वाचन आयोग की ओर से विकसित डिजिटल एप गरुड़ का देश में पहली बार उपयोग किया जा रहा है.
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गरुड़ एप की शुरुआत राजस्थान के अलवर जिले के दो विधानसभा क्षेत्र अलवर शहर और रामगढ़ से किया गया है. भारत निर्वाचन आयोग की ओर से विकसित डिटिजल एप गरुड़ (जीएआरयूडीए) में ब्लॉक लेवल ऑफिसर (बीएलओ) मतदाता के घर पहुंचकर सभी प्रकार की जानकारी डिजिटल एप में फीड करेंगे.
जानकारी के अनुसार निर्वाचन संबंधी आवश्यक गतिविधियों को सुगम करने के लिए गरुड़ मोबाइल एप विकसित किया गया है. गरुड़ मोबाइल एप के माध्यम से बीएलओ प्रत्येक मतदाता और उनके घर की जीओ टेगिंग के साथ निर्वाचन संबंधी अन्य महत्वपूर्ण कार्य करेंगे.
राजस्थान की दो विधानसभा में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में काम किया गया है, जिसके सफल और अच्छे फीडबैक सामने आए हैं. इसकी रिपोर्ट भारत निर्वाचन आयोग को भेज दी गई है. अब आयोग आगे इस पर अपना काम करेगा. पायलट प्रोजेक्ट के बाद इस मोबाइल एप को संपूर्ण भारत में लागू किया जा सकता है.
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विधानसभा और लोकसभा चुनावों में वोटर लिस्ट, इलेक्टोरल रोल आदि को और बेहतर बनाने के लिए गरुड़ मोबाइल एप काफी कारगर है. इस मोबाइल एप के माध्यम से पोलिंग बूथ की व्यवस्था की गुणवत्ता में सुधार के साथ ही ऑनलाइन प्रक्रिया होने से दस्तावेजों के प्रयोग में होने वाली परेशानियों से बचा जा सकेगा.
यह होगा गरुड़ एप में...
गरुड़ एप मतदाताओं की सुविधा के लिए विकसित किया गया है. इस डिजिटल एप में बीएलओ मतदाता सूची में वोटर का नाम जोड़ने, नाम हटाने या पते में संशोधन के लिए प्रेषित किए जाने वाले फार्म नम्बर 6, 7 एवं 8 को फीड कर निस्तारण करा सकता है. एप में मतदान केन्द्रों की स्थिति, मतदान केन्द्रों पर मौजूद सुविधाओं की टैगिंग कर सकेगा.
इसमें मतदान केंद्र पर मौजूद 25 तरह की सुविधाओं की टैगिंग की जा सकेगी. इसके अलावा बीएलओ घर-घर जाकर हर मतदाता की टैगिंग करेगा. इसमें मतदाता कहां रहता है, मतदाता के मकान में और कितने और सदस्य रहते हैं सहित मतदाता के बारे में अन्य जानकारी की जीओ टैगिंग करेंगे.
एक परिवार के दो अलग-अलग मतदान केंद्र की शिकायत होगी खत्म
गरुड़ एप से काम में तो आसानी होगी, साथ ही एक परिवार सदस्यों का अलग-अलग मतदान केंद्र की समस्या भी आसानी से खत्म हो सकेगी. वर्ष 2013-14 के विधानसभा चुनाव के वक्त तत्कालीन मुख्य सचिव इंद्रजीत खन्ना और उनकी पत्नी का मतदान केंद्र अलग-अलग आने के बाद काफी बवाल मचा था.
बता दें कि इंद्रजीत खन्ना गांधी स्थित सरकारी बंगले में पत्नी के साथ रहते थे. पत्नी का तो मतदान केंद्र गांधी स्थित सरकरी स्कूल आया, लेकिन इंद्रजीत खन्ना का मतदान केंद्र उससे अलग जगह आया. इसको लेकर तत्कालीन मुख्य सचिव ने नाराजगी जताई थी कि एक परिवार के दो सदस्यों का अलग-अलग मतदान केंद्र कैसे हो सकता है.