ETV Bharat / city

लॉकडाउन का असरः प्राइवेट अस्पताल और क्लिनिक्स से 70 फीसदी मरीज हुए दूर - Corona virus

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन लगाया गया है. लॉकडाउन का असर छोटे प्राइवेट अस्पतालों और क्लिनिक्स पर भी पड़ा है. बता दें लॉकडाउन के दौरान करीब 70 फीसदी मरीज अस्पताल से दूर हो गए हैं.

प्राइवेट अस्पतालों पर कोरोना का असर, COVID-19,  Corona virus
नहीं आ रहे मरीज
author img

By

Published : May 29, 2020, 7:49 PM IST

जयपुर. कोरोना वायरस का असर देश-दुनिया पर साफ तौर पर देखा जा रहा है. हर दिन कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. राजस्थान की बात करें तो पिछले 2 महीने से पूरे राज्य में लॉकडाउन है और इस लॉकडाउन का असर छोटे प्राइवेट अस्पतालों और क्लिनिक्स पर साफ तौर पर देखने को मिला है.

मरीज नहीं पहुंच रहे अस्पताल

प्राइवेट अस्पताल और छोटे क्लिनिक्स से जुड़े चिकित्सकों का कहना है कि जिस तरह से कोरोना के मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है, उसके बाद छोटी-बड़ी समस्याओं से जूझ रहे मरीज अस्पताल में आने से कतरा रहे हैं. उनका कहना है कि ऐसे में पिछले 2 महीने में करीब 70 फीसदी से अधिक मरीजों ने अस्पताल आना बंद कर दिया है. वहीं हालातों को देखते हुए इन अस्पतालों ने अपने स्टाफ में भी कटौती करना शुरू कर दिया है.

कोरोना वायरस का डर

प्राइवेट अस्पताल से जुड़े चिकित्सकों का कहना है कि कोरोना के बढ़ते मामलों के बाद लॉकडाउन लगाया गया. ऐसे में लोग घरों से नहीं निकल पाए. उनका कहना है कि इस दौरान वही लोग अस्पताल पहुंच रहे थे जिन्हें आपातकालीन चिकित्सा सेवा की जरूरत थी. इसके अलावा छोटी-बड़ी समस्याओं से जूझ रहे मरीज सिर्फ इसलिए अपना इलाज कराने अस्पताल नहीं जा रहे थे क्योंकि उन्हें कोरोना का डर सता रहा था.

पढ़ें- पहले आधुनिकता की भेंट चढ़ा हथकरघा उद्योग, अब लॉकडाउन ने तोड़ी कमर

राजधानी जयपुर की बात करें तो कुछ इलाकों में छोटे-बड़े क्लीनिक चलाने वाले चिकित्सक और उनका स्टाफ भी पॉजिटिव पाया गया था. ऐसे में लोगों के मन में इस बीमारी को लेकर डर बैठ गया और उन्होंने सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों से दूरी बना ली.

प्राइवेट अस्पतालों पर कोरोना का असर, COVID-19,  Corona virus
दंत चिकित्सकों पर संकट

दांतों और डायलिसिस के मरीज परेशान

प्राइवेट अस्पताल बंद होने के कारण डायलिसिस पर चल रहे मरीजों को सबसे अधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. डायलिसिस से जूझ रहे मरीजों का कहना था कि जब भी अस्पताल में इलाज करवाने जाते तो कोरोना रिपोर्ट उनसे मांगी जाती थी. ऐसे में उन्हें सबसे अधिक परेशानी का सामना करना पड़ा. इसके अलावा दांतों और अन्य छोटी-मोटी समस्या से जूझ रहे मरीज भी काफी परेशान रहे.

लॉकडाउन के दौरान दी जा रही ऑनलाइन परामर्श

प्राइवेट अस्पतालों में कार्यरत चिकित्सकों का कहना है कि छोटी-बड़ी समस्या से जूझ रहे मरीजों को उनकी ओर से ऑनलाइन परामर्श दी जा रही है, ताकि संक्रमण का खतरा ना फैले. निजी अस्पताल से जुड़े चिकित्सक डॉ. अशोक गर्ग का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान करीब 70 फीसदी मरीजों ने प्राइवेट अस्पतालों से दूरी बना ली. उनका कहना है कि कोरोना के डर के कारण वे अस्पताल में इलाज कराने ही नहीं पहुंच पा रहे थे, ऐसे में इमरजेंसी से जुड़े केस ही अस्पताल लाए जा रहे थे.

प्राइवेट अस्पतालों पर कोरोना का असर, COVID-19,  Corona virus
जयपुर में प्राइवेट अस्पताल

दंत चिकित्सकों को हुई सबसे अधिक परेशानी

प्रदेश में लगभग 10 हजार दंत चिकित्सकों के सामने लॉकडाउन के दौरान आर्थिक संकट खड़ा हो गया. दंत चिकित्सकों का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान पूरे 2 महीने तक क्लीनिक बंद कर दिए गए. वहीं, इंडियन डेंटल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. समीर शर्मा ने कहा कि अधिकतर दंत चिकित्सक प्राइवेट क्लीनिक चला कर गुजारा करते हैं.

पढ़ें- बांसवाड़ाः क्वॉरेंटाइन से बचने के लिए प्रवासी दे रहे थे गलत पता, पुलिस ने अपनाया वेरिफिकेशन का रास्ता...

शर्मा ने कहा कि अभी भी सरकार की ओर से जारी की गई एडवाइजरी में सिर्फ परामर्श और आपातकालीन ट्रीटमेंट की अनुमति ही दी गई है. ऐसे में सबसे अधिक परेशानी इस दौरान दंत चिकित्सकों को उठानी पड़ी है. उनका कहना है कि प्राइवेट अस्पतालों और क्लीनिक से जुड़े चिकित्सकों ने आर्थिक सहायता की मांग सरकार से की है.

जयपुर. कोरोना वायरस का असर देश-दुनिया पर साफ तौर पर देखा जा रहा है. हर दिन कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. राजस्थान की बात करें तो पिछले 2 महीने से पूरे राज्य में लॉकडाउन है और इस लॉकडाउन का असर छोटे प्राइवेट अस्पतालों और क्लिनिक्स पर साफ तौर पर देखने को मिला है.

मरीज नहीं पहुंच रहे अस्पताल

प्राइवेट अस्पताल और छोटे क्लिनिक्स से जुड़े चिकित्सकों का कहना है कि जिस तरह से कोरोना के मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है, उसके बाद छोटी-बड़ी समस्याओं से जूझ रहे मरीज अस्पताल में आने से कतरा रहे हैं. उनका कहना है कि ऐसे में पिछले 2 महीने में करीब 70 फीसदी से अधिक मरीजों ने अस्पताल आना बंद कर दिया है. वहीं हालातों को देखते हुए इन अस्पतालों ने अपने स्टाफ में भी कटौती करना शुरू कर दिया है.

कोरोना वायरस का डर

प्राइवेट अस्पताल से जुड़े चिकित्सकों का कहना है कि कोरोना के बढ़ते मामलों के बाद लॉकडाउन लगाया गया. ऐसे में लोग घरों से नहीं निकल पाए. उनका कहना है कि इस दौरान वही लोग अस्पताल पहुंच रहे थे जिन्हें आपातकालीन चिकित्सा सेवा की जरूरत थी. इसके अलावा छोटी-बड़ी समस्याओं से जूझ रहे मरीज सिर्फ इसलिए अपना इलाज कराने अस्पताल नहीं जा रहे थे क्योंकि उन्हें कोरोना का डर सता रहा था.

पढ़ें- पहले आधुनिकता की भेंट चढ़ा हथकरघा उद्योग, अब लॉकडाउन ने तोड़ी कमर

राजधानी जयपुर की बात करें तो कुछ इलाकों में छोटे-बड़े क्लीनिक चलाने वाले चिकित्सक और उनका स्टाफ भी पॉजिटिव पाया गया था. ऐसे में लोगों के मन में इस बीमारी को लेकर डर बैठ गया और उन्होंने सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों से दूरी बना ली.

प्राइवेट अस्पतालों पर कोरोना का असर, COVID-19,  Corona virus
दंत चिकित्सकों पर संकट

दांतों और डायलिसिस के मरीज परेशान

प्राइवेट अस्पताल बंद होने के कारण डायलिसिस पर चल रहे मरीजों को सबसे अधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. डायलिसिस से जूझ रहे मरीजों का कहना था कि जब भी अस्पताल में इलाज करवाने जाते तो कोरोना रिपोर्ट उनसे मांगी जाती थी. ऐसे में उन्हें सबसे अधिक परेशानी का सामना करना पड़ा. इसके अलावा दांतों और अन्य छोटी-मोटी समस्या से जूझ रहे मरीज भी काफी परेशान रहे.

लॉकडाउन के दौरान दी जा रही ऑनलाइन परामर्श

प्राइवेट अस्पतालों में कार्यरत चिकित्सकों का कहना है कि छोटी-बड़ी समस्या से जूझ रहे मरीजों को उनकी ओर से ऑनलाइन परामर्श दी जा रही है, ताकि संक्रमण का खतरा ना फैले. निजी अस्पताल से जुड़े चिकित्सक डॉ. अशोक गर्ग का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान करीब 70 फीसदी मरीजों ने प्राइवेट अस्पतालों से दूरी बना ली. उनका कहना है कि कोरोना के डर के कारण वे अस्पताल में इलाज कराने ही नहीं पहुंच पा रहे थे, ऐसे में इमरजेंसी से जुड़े केस ही अस्पताल लाए जा रहे थे.

प्राइवेट अस्पतालों पर कोरोना का असर, COVID-19,  Corona virus
जयपुर में प्राइवेट अस्पताल

दंत चिकित्सकों को हुई सबसे अधिक परेशानी

प्रदेश में लगभग 10 हजार दंत चिकित्सकों के सामने लॉकडाउन के दौरान आर्थिक संकट खड़ा हो गया. दंत चिकित्सकों का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान पूरे 2 महीने तक क्लीनिक बंद कर दिए गए. वहीं, इंडियन डेंटल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. समीर शर्मा ने कहा कि अधिकतर दंत चिकित्सक प्राइवेट क्लीनिक चला कर गुजारा करते हैं.

पढ़ें- बांसवाड़ाः क्वॉरेंटाइन से बचने के लिए प्रवासी दे रहे थे गलत पता, पुलिस ने अपनाया वेरिफिकेशन का रास्ता...

शर्मा ने कहा कि अभी भी सरकार की ओर से जारी की गई एडवाइजरी में सिर्फ परामर्श और आपातकालीन ट्रीटमेंट की अनुमति ही दी गई है. ऐसे में सबसे अधिक परेशानी इस दौरान दंत चिकित्सकों को उठानी पड़ी है. उनका कहना है कि प्राइवेट अस्पतालों और क्लीनिक से जुड़े चिकित्सकों ने आर्थिक सहायता की मांग सरकार से की है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.