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Special: स्मार्ट सिटी की सुस्त चाल, 100 साल पुराने परकोटे के बाजारों के बरामदे बदहाल - Jaipur News

100 साल पुराने परकोटे के बाजारों के बरामदे बदहाल हैं. बरामदे को संवारने का जिम्मा स्मार्ट सिटी लिमिटेड को दिया गया है लेकिन कंपनी की सुस्त चाल ने इसकी हालत बिगाड़ दी है. पहले परकोटा के बाजार के बरामदे यहां की रौनक हुआ करते थे लेकिन स्मार्ट सिटी की सुस्त कार्यशैली के कारण इसकी खूबसूरती दो साल से खोती जा रही है. पढ़ें पूरी खबर...

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परकोटे का बरामदा बदहाल
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Published : Oct 24, 2021, 8:21 PM IST

Updated : Oct 24, 2021, 10:42 PM IST

जयपुर. परकोटे के बाजार और यहां बने बरामदे अपनी बनावट और एकरूपता के कारण विश्व पटल पर अपनी अलग ही पहचान रखते हैं. परकोटे के बाजार की बनावट और रौनक पर्यटकों को हमेशा से ही आकर्षित करते आ रहे हैं. अब स्मार्ट सिटी बीते दो साल से इन बरामदों को संवारने का काम कर रही है, लेकिन यह काम 100 साल पुराने 'मखमल में टाट के पैबंद' साबित हो रहा है.

अब से कुछ दशक पहले तक जयपुर परकोटे में ही सिमटा हुआ था. तब इसका भव्य और कलात्मक रूप हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देता था. आज भी यहां के बाजारों की चौड़ी सड़कें, एक जैसे दिखने वाले बाजार और इन बाजारों में बने बरामदे सैलानियों का मन मोह लेते हैं. हाल ही में जयपुर के परकोटे को विश्व विरासत की सूची में भी शामिल किया गया है. लेकिन इसी विरासत के अंग 100 साल पुराने बाजारों के बरामदे अब अपनी रंगत और मजबूती खो रहे हैं.

परकोटे का बरामदा बदहाल

पढ़ें. Special : विकास की भेंट चढ़ गए जयपुर के ऐतिहासिक कुंड..पहले चौराहा बने और अब मेट्रो स्टेशन का हिस्सा

दरअसल सवाई मान सिंह द्वितीय ने बाजारों में आम उपभोक्ता के चलने के लिए बरामदों का निर्माण कराया था. फिर यहां धीरे-धीरे व्यापारियों ने अतिक्रमण शुरू कर दिया. हालांकि 1944 में मिर्जा इस्माईल ने बाजारों के बरामदों को खाली कराने की मुहिम छेड़ी, लेकिन बाद में यहां व्यापारियों ने दोबारा कब्जा कर लिया. इसे फरवरी 2000 से अगस्त 2001 तक जयपुर नगर निगम के सीईओ रहे मनजीत सिंह ने खाली कराया था जिसके बाद जयपुर के बाजारों में फुटपाथ की कमी महसूस नहीं हुई.

आधुनिकता की मार झेल रहे बरामदे

ये बरामदे गर्मी और बारिश में आमजन के लिए बेहद सुविधाजनक साबित होते हैं, लेकिन मेट्रो रेल के निर्माण के दौरान इन बरामदों को भी आधुनिकता की मार झेलनी पड़ी. चांदपोल और त्रिपोलिया बाजार में मेट्रो के काम के चलते बरामदों के गिरने की आशंका के कारण जगह-जगह लोहे के एंगल लगा दिए गए हैं. वहीं अब इन बरामदों के जीर्णोद्धार के नाम पर स्मार्ट सिटी प्रशासन मनमाना काम कर रही है.

पढ़ें. SPECIAL : देश का एकमात्र क्षेत्र है कोटा, जहां कुछ दूरी में 6 प्रकार से होता है बिजली उत्पादन..

बरामदों से टपकता है पानी

व्यापारियों ने बताया कि बरामदों में काम होने के बाद भी बारिश में इनसे कई जगह पानी टपकते हैं. स्मार्ट सिटी के काम के दौरान पुराना प्लास्टर हटाने के लिए हैमर मशीन का इस्तेमाल किया गया है जिससे बरामदों पर डली हुई पट्टियों के जोड़ भी खुल गए हैं. जब इस पर चूने का नया दड़ डाला गया तो बारिश का पानी उसमें ऑब्जर्व होने लगा और रिसाव शुरू हो गया. राहगीर भी जान जोखिम में लेकर इन बरामदों में गुजरने को मजबूर हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि बरामदों का काम पुरानी पद्धति से करने के दावे किए गए थे, लेकिन जिम्मेदारों की मॉनिटरिंग की कमी से मनमाफिक काम चल रहा है.

पढ़ें. Special: कोरोना का एक असर यह भी, बीकानेरी रसगुल्लों की मिठास और भुजिया के तीखेपन का स्वाद भूले लोग

हालांकि स्मार्ट सिटी के सीईओ इससे इत्तेफाक नहीं रखते हैं. उन्होंने बताया कि बरामदों का काम फाइनल स्टेज का चल रहा है. पहले क्वालिटी को लेकर कमियां जरूर आई थीं. बारिश का पानी दुकानों में जाने की भी शिकायत आई थी, लेकिन इन्हें अब दूर कर लिया गया है. बरामदों की छतों पर वाटर प्रूफिंग का काम भी कराया गया है. कुछ जगह नई पट्टियां लगाई गईं हैं और हेरिटेज सेल से अप्रूव कराकर फसाड़ वर्क भी किया गया है. इस काम में 8 से 10 करोड़ खर्च किए गए हैं. उन्होंने कहा कि काम पूरा होने के बाद ही इसकी महत्ता पता चलेगी.

बीते दिनों त्रिपोलिया बाजार में स्मार्ट सिटी के काम के बाद चार दुकानों के बाहर बरामदे धराशायी हो गए. गनीमत यह थी कि उस दौरान बाजारों में कोरोना का प्रभाव था. अब इन बरामदों को खूबसूरती दी जा रही है. उम्मीद यही रहेगी कि अंदर इनकी मजबूती जवाब न दे जाए.

जयपुर. परकोटे के बाजार और यहां बने बरामदे अपनी बनावट और एकरूपता के कारण विश्व पटल पर अपनी अलग ही पहचान रखते हैं. परकोटे के बाजार की बनावट और रौनक पर्यटकों को हमेशा से ही आकर्षित करते आ रहे हैं. अब स्मार्ट सिटी बीते दो साल से इन बरामदों को संवारने का काम कर रही है, लेकिन यह काम 100 साल पुराने 'मखमल में टाट के पैबंद' साबित हो रहा है.

अब से कुछ दशक पहले तक जयपुर परकोटे में ही सिमटा हुआ था. तब इसका भव्य और कलात्मक रूप हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देता था. आज भी यहां के बाजारों की चौड़ी सड़कें, एक जैसे दिखने वाले बाजार और इन बाजारों में बने बरामदे सैलानियों का मन मोह लेते हैं. हाल ही में जयपुर के परकोटे को विश्व विरासत की सूची में भी शामिल किया गया है. लेकिन इसी विरासत के अंग 100 साल पुराने बाजारों के बरामदे अब अपनी रंगत और मजबूती खो रहे हैं.

परकोटे का बरामदा बदहाल

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दरअसल सवाई मान सिंह द्वितीय ने बाजारों में आम उपभोक्ता के चलने के लिए बरामदों का निर्माण कराया था. फिर यहां धीरे-धीरे व्यापारियों ने अतिक्रमण शुरू कर दिया. हालांकि 1944 में मिर्जा इस्माईल ने बाजारों के बरामदों को खाली कराने की मुहिम छेड़ी, लेकिन बाद में यहां व्यापारियों ने दोबारा कब्जा कर लिया. इसे फरवरी 2000 से अगस्त 2001 तक जयपुर नगर निगम के सीईओ रहे मनजीत सिंह ने खाली कराया था जिसके बाद जयपुर के बाजारों में फुटपाथ की कमी महसूस नहीं हुई.

आधुनिकता की मार झेल रहे बरामदे

ये बरामदे गर्मी और बारिश में आमजन के लिए बेहद सुविधाजनक साबित होते हैं, लेकिन मेट्रो रेल के निर्माण के दौरान इन बरामदों को भी आधुनिकता की मार झेलनी पड़ी. चांदपोल और त्रिपोलिया बाजार में मेट्रो के काम के चलते बरामदों के गिरने की आशंका के कारण जगह-जगह लोहे के एंगल लगा दिए गए हैं. वहीं अब इन बरामदों के जीर्णोद्धार के नाम पर स्मार्ट सिटी प्रशासन मनमाना काम कर रही है.

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बरामदों से टपकता है पानी

व्यापारियों ने बताया कि बरामदों में काम होने के बाद भी बारिश में इनसे कई जगह पानी टपकते हैं. स्मार्ट सिटी के काम के दौरान पुराना प्लास्टर हटाने के लिए हैमर मशीन का इस्तेमाल किया गया है जिससे बरामदों पर डली हुई पट्टियों के जोड़ भी खुल गए हैं. जब इस पर चूने का नया दड़ डाला गया तो बारिश का पानी उसमें ऑब्जर्व होने लगा और रिसाव शुरू हो गया. राहगीर भी जान जोखिम में लेकर इन बरामदों में गुजरने को मजबूर हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि बरामदों का काम पुरानी पद्धति से करने के दावे किए गए थे, लेकिन जिम्मेदारों की मॉनिटरिंग की कमी से मनमाफिक काम चल रहा है.

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हालांकि स्मार्ट सिटी के सीईओ इससे इत्तेफाक नहीं रखते हैं. उन्होंने बताया कि बरामदों का काम फाइनल स्टेज का चल रहा है. पहले क्वालिटी को लेकर कमियां जरूर आई थीं. बारिश का पानी दुकानों में जाने की भी शिकायत आई थी, लेकिन इन्हें अब दूर कर लिया गया है. बरामदों की छतों पर वाटर प्रूफिंग का काम भी कराया गया है. कुछ जगह नई पट्टियां लगाई गईं हैं और हेरिटेज सेल से अप्रूव कराकर फसाड़ वर्क भी किया गया है. इस काम में 8 से 10 करोड़ खर्च किए गए हैं. उन्होंने कहा कि काम पूरा होने के बाद ही इसकी महत्ता पता चलेगी.

बीते दिनों त्रिपोलिया बाजार में स्मार्ट सिटी के काम के बाद चार दुकानों के बाहर बरामदे धराशायी हो गए. गनीमत यह थी कि उस दौरान बाजारों में कोरोना का प्रभाव था. अब इन बरामदों को खूबसूरती दी जा रही है. उम्मीद यही रहेगी कि अंदर इनकी मजबूती जवाब न दे जाए.

Last Updated : Oct 24, 2021, 10:42 PM IST
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