जयपुर. कृषि बिल के खिलाफ कांग्रेस पार्टी की ओर से शुरू किए गए विरोध पखवाड़े के तहत होने वाले प्रदर्शनों को अब सरकार के आदेशों की ही मार पड़ रही है. प्रदेश में कोरोना संक्रमण के चलते 11 जिलों में धारा 144 लगी हुई है. जिसके कारण कांग्रेस कृषि बिल के विरोध में केवल सांकेतिक विरोध का ही सहारा ले पा रही है.
धारा 144 के चलते सोमवार को पहले प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय से राजभवन तक होने वाले पैदल मार्च को स्थगित करना पड़ा था और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पीसीसी चीफ गोविंद डोटासरा दोनों ने जाकर राज्यपाल को ज्ञापन दिया. अब धारा 144 का असर कांग्रेस के आगे आने वाले कार्यक्रम पर भी देखने को मिल सकता है.
पढ़ें- कृषि कानूनों की जगह प्रदेश में अलग कृषि अध्यादेश लाने की तैयारी, सोनिया गांधी ने दिए निर्देश
दरअसल, विरोध पखवाड़े के तहत 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर किसान मजदूर बचाओ दिवस कार्यक्रम है, जो प्रदेश भर में मनाया जाएगा. वहीं 10 अक्टूबर को प्रदेश स्तरीय किसान सम्मेलन का भी आयोजन होना है. ऐसे में निषेधाज्ञा लागू होने के चलते किसान मजदूर बचाओ दिवस पर संशय के बादल हैं. अब इन्हें लेकर कांग्रेस हलकों में चर्चाओं का भी दौर है कि आगे के कार्यक्रम भी धारा 144 के चलते होंगे या वह भी केवल सांकेतिक तौर पर होंगे.
हालांकि, सरकार की ओर से 2 अक्टूबर को मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड पेश किया जाएगा, लेकिन यह कार्यक्रम भी एक सीमित दायरे में ही आयोजित होगा. कांग्रेस पार्टी की ओर से 24 सितंबर से 10 अक्टूबर तक कृषि कानूनों के विरोध में विरोध पखवाड़ा मनाने के आदेश दिए गए थे. इसमें 24 और 25 सितंबर को प्रेस वार्ता, 26 सितंबर को स्पीकर फॉर फार्मर कैंपेन, 28 सितंबर को पीसीसी से राजभवन तक पैदल मार्च और 2 अक्टूबर को गांधी शास्त्री की जयंती पर किसान मजदूर बचाओ दिवस आयोजित करना तो वहीं 10 अक्टूबर को प्रदेश स्तरीय किसान सम्मेलन जैसे टास्क दिए गए थे.
पढ़ें- जोधपुर : मंदबुद्धि बता पति ने मुंडन कर पत्नी को घर से निकाला...महिला थाने में मामला दर्ज
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने कोरोना संक्रमण के चलते जयपुर सहित 11 जिलों में 144 लागू कर दि जिसके तहत पांच व्यक्तियों से ज्यादा इकट्ठे नहीं हो सकते हैं. ऐसे में प्रेस वार्ता और स्पीकर फॉर फार्मर कार्यक्रम तो कांग्रेस का हुआ, लेकिन बाकी कार्यक्रम सांकेतिक तौर पर ही राजस्थान में किए जा रहे हैं.