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SPECIAL: प्रदेश के करीब 20 जिलों में पेयजल संकट, विभाग टैंकरों से कर रहा है पानी सप्लाई

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Published : Jun 26, 2020, 10:37 PM IST

इन दिनोंं बढ़ती गर्मी से लगातार पानी का संकट बनता जा रहा है. प्रदेश के करीब 20 जिलों में पेयजल संकट बरकरार है. पेयजल संकट के दौरान सरकार की ओर से टैंकरों से भी पानी सप्लाई किया जा रहा है. टैंकरों के आंकड़ों को देखा जाए तो ग्रामीण क्षेत्रों के अनुसार 18 जिलों में पेयजल संकट बना हुआ है.

जयपुर न्यूज, jaipur news, पेयजल संकट, Drinking water crisis
20 जिलों में है पेयजल संकट

जयपुर. प्रदेश भर में गर्मी का दौर जारी है और लगातार तापमान भी बढ़ रहा है. इस बढ़ती गर्मी के बीच प्रदेश में पेयजल स्थिति की बात की जाए तो ऐसे कई जिले हैं जहां पेयजल संकट अभी भी बरकरार है. प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों की बात की जाए तो 33 में से 18 जिलों में पेयजल संकट बना हुआ है. प्रदेश में पेयजल संकट के दौरान सरकार की ओर से टैंकरों से भी पानी सप्लाई किया जा रहा है. टैंकरों के आंकड़ों को देखा जाए तो ग्रामीण क्षेत्रों के अनुसार 18 जिलों में पेयजल संकट बना हुआ है. प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में 1253 टैंकरों से पानी सप्लाई किया जा रहा है और यह 1253 टैंकर 5275 फेरे प्रतिदिन लगा रहे हैं.

20 जिलों में है पेयजल संकट

प्रदेश की राजधानी जयपुर की बात की जाए तो बाहरी क्षेत्रों में पेयजल संकट बना हुआ है. जयपुर शहर में प्रतिदिन 1750 और ग्रामीण क्षेत्र में 1050 पानी के टैंकरों के फेरे लगाए जाते हैं. एक टैंकर में करीब 4 हजार लीटर पानी आता है. जयपुर में 1577 स्थानों पर पीवीसी टैंकर भी रखे गए हैं, जिन्हें प्रतिदिन भरा जाता है. यहां से जनता अपने जरूरत के हिसाब से पानी लेती है. प्रदेश के कई ऐसे जिले जहां पानी के लिए प्रदर्शन भी होते हैं. प्रदेश में ऐसे कई जिले हैं जहां पेयजल संकट बना रहता है और जनता पानी के लिए प्रदर्शन भी करती है. इसके बावजूद भी जनता को पानी उपलब्ध नहीं हो पाता.

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ग्राफ संख्या-2

पानी के लिए लोग प्रदर्शन करते हैं

अधिकारियों के अनुसार दौसा, अलवर, सीकर, नागौर, झुंझुनू, बाड़मेर और पाली सहित अन्य कई ऐसे जिले हैं जहां पानी के लिए लोग प्रदर्शन करते हैं. जयपुर शहर उत्तर के अधीक्षण अभियंता अजय सिंह राठौड़ ने बताया की जयपुर शहर में वार्डों की संख्या बढ़ाकर 91 की गई थी. उस समय ग्रामीण क्षेत्रों को शहर में शामिल किया गया था. इसमें सुमेल, विजयपुरा और बगराना उपपंचायतों को भी शहरी क्षेत्र में शामिल किया गया था. इसके अलावा नांगल, बोहरा, माचड़ा, अनोखा गांव, नींदड़, हरमाड़ा, बढ़ारणा, आमेर, जयसिंह पुरा खोर, खोनागोरियान, जगतपुरा, सांगानेर और प्रताप नगर आदि शामिल किए गए थे.

कई क्षेत्रों को बीसलपुर बांध से जोड़ा गया.

उन्होंने कहा कि 2016-17 और 2017 -18 में इन क्षेत्रों को भी बीसलपुर से जोड़ दिया गया है. कुछ लोगों को आंशिक रूप से बीसलपुर का पानी सप्लाई किया जा रहा है. जयपुर शहर के भूजल स्तर की बात की जाए तो शहर में पिछले साल अतिवृष्टि जैसी कोई स्थिति नहीं बनी थी. इसलिए भूजल स्तर में खास प्रभाव नहीं पड़ा है, लेकिन जल की उपलब्धता बढ़ी है.

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ग्राफ संख्या-3

पढ़ेंः दौसा: पानी की समस्या को लेकर उपसभापति ने महिलाओं के साथ किया प्रदर्शन

ग्रामीण क्षेत्रों में भी यही स्थिति है, लेकिन चाकसू और दूदू अतिवृष्टि होने से भूजल स्तर बढ़ा है. चाकसू और दूदू में दो से ढाई मीटर भूजल स्तर बढ़ा है. जयपुर शहर में आमेर, जयसिंह पुरा खोर, खोनागोरियान, वाल सिटी और विद्याधर नगर ऐसे इलाके है, यहां सामान्य से अधिक बरसात हुई थी. बावजूद इसके यहां भूजल स्तर में कोई फर्क नहीं पड़ा है. यहां जरूर पानी की उपलब्धता बढ़ी है. मुख्य अभियंता सीएम चौहान ने कहा कि प्रदेश में पेयजल संकट जैसी कोई बात नहीं है.

शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के लिए 65 करोड़ रुपये जारी

चौहान ने कहा हमने पानी परिवहन के लिए शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के लिए 65 करोड़ रुपये जारी किए हैं. मार्च में ही राज्य सरकार की ओर से जिला कलेक्टरों को पानी के लिए कंटीन्जेसी प्लान बनाने के लिए 50-50 लाख रुपए की अनुशंसा जारी की गई थी. इसके अलावा हाल ही में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी सभी विधायकों को 25-25 लाख रुपए पानी के लिए जारी करने को कहा गया था. चौहान ने कहा कि हमने अप्रैल में हैंडपंप मरम्मत अभियान शुरू किया था. जिसके तहत अभी तक 55 हजार 500 हैंडपंपों को ठीक किया जा चुका है. इसके अलावा 1 अप्रैल से अब तक 550 नए हैंडपंप खोदे जा चुके हैं. 750 टू फेस ट्यूबवेल भी चालू कर दिए गए हैं.

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ग्राफ संख्या-1

पढ़ेंः राजधानी का ऐसा हाल... जल संकट से जूझ रहे लोगों ने PHED ऑफिस का किया घेराव

उन्होंने कहा कि प्रदेश में 4281 ग्राम ढाणियों में भी टैंकरों से पानी पहुंचाया जा रहा है. सीएम चौहान ने कहा कि पिछली बार बारिश अच्छी हुई थी जिसके कारण इस बार पर जल संकट जैसी कोई बात नहीं है और अच्छी बारिश होने से तालाब और पोखर भरे हुए हैं. पेयजल संकट के समय चारे को लेकर भी समस्या का सामना करना पड़ता है.

पशुओं के लिए हरा चारा नहीं मिल पाता है.

किसान नेता रामपाल जाट ने बताया कि बारिश नहीं होने और पेयजल संकट के समय पशुओं के लिए हरा चारा नहीं मिल पाता है. यह वह समय होता है जब जब पुराना चारा समाप्त होने को होता है और नया चारा नहीं आ पाता है. इस समय पशुपालकों को काफी समस्या का सामना करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि जहां भी पशुपालन होता है उन जिलों में पेयजल संकट के समय चारे को लेकर समस्या होती है. चारा नहीं होने पर ग्रामीण हरे पेड़ों के पत्ते तोड़ना शुरू कर देते है.

जयपुर. प्रदेश भर में गर्मी का दौर जारी है और लगातार तापमान भी बढ़ रहा है. इस बढ़ती गर्मी के बीच प्रदेश में पेयजल स्थिति की बात की जाए तो ऐसे कई जिले हैं जहां पेयजल संकट अभी भी बरकरार है. प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों की बात की जाए तो 33 में से 18 जिलों में पेयजल संकट बना हुआ है. प्रदेश में पेयजल संकट के दौरान सरकार की ओर से टैंकरों से भी पानी सप्लाई किया जा रहा है. टैंकरों के आंकड़ों को देखा जाए तो ग्रामीण क्षेत्रों के अनुसार 18 जिलों में पेयजल संकट बना हुआ है. प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में 1253 टैंकरों से पानी सप्लाई किया जा रहा है और यह 1253 टैंकर 5275 फेरे प्रतिदिन लगा रहे हैं.

20 जिलों में है पेयजल संकट

प्रदेश की राजधानी जयपुर की बात की जाए तो बाहरी क्षेत्रों में पेयजल संकट बना हुआ है. जयपुर शहर में प्रतिदिन 1750 और ग्रामीण क्षेत्र में 1050 पानी के टैंकरों के फेरे लगाए जाते हैं. एक टैंकर में करीब 4 हजार लीटर पानी आता है. जयपुर में 1577 स्थानों पर पीवीसी टैंकर भी रखे गए हैं, जिन्हें प्रतिदिन भरा जाता है. यहां से जनता अपने जरूरत के हिसाब से पानी लेती है. प्रदेश के कई ऐसे जिले जहां पानी के लिए प्रदर्शन भी होते हैं. प्रदेश में ऐसे कई जिले हैं जहां पेयजल संकट बना रहता है और जनता पानी के लिए प्रदर्शन भी करती है. इसके बावजूद भी जनता को पानी उपलब्ध नहीं हो पाता.

जयपुर न्यूज, jaipur news, पेयजल संकट, Drinking water crisis
ग्राफ संख्या-2

पानी के लिए लोग प्रदर्शन करते हैं

अधिकारियों के अनुसार दौसा, अलवर, सीकर, नागौर, झुंझुनू, बाड़मेर और पाली सहित अन्य कई ऐसे जिले हैं जहां पानी के लिए लोग प्रदर्शन करते हैं. जयपुर शहर उत्तर के अधीक्षण अभियंता अजय सिंह राठौड़ ने बताया की जयपुर शहर में वार्डों की संख्या बढ़ाकर 91 की गई थी. उस समय ग्रामीण क्षेत्रों को शहर में शामिल किया गया था. इसमें सुमेल, विजयपुरा और बगराना उपपंचायतों को भी शहरी क्षेत्र में शामिल किया गया था. इसके अलावा नांगल, बोहरा, माचड़ा, अनोखा गांव, नींदड़, हरमाड़ा, बढ़ारणा, आमेर, जयसिंह पुरा खोर, खोनागोरियान, जगतपुरा, सांगानेर और प्रताप नगर आदि शामिल किए गए थे.

कई क्षेत्रों को बीसलपुर बांध से जोड़ा गया.

उन्होंने कहा कि 2016-17 और 2017 -18 में इन क्षेत्रों को भी बीसलपुर से जोड़ दिया गया है. कुछ लोगों को आंशिक रूप से बीसलपुर का पानी सप्लाई किया जा रहा है. जयपुर शहर के भूजल स्तर की बात की जाए तो शहर में पिछले साल अतिवृष्टि जैसी कोई स्थिति नहीं बनी थी. इसलिए भूजल स्तर में खास प्रभाव नहीं पड़ा है, लेकिन जल की उपलब्धता बढ़ी है.

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ग्राफ संख्या-3

पढ़ेंः दौसा: पानी की समस्या को लेकर उपसभापति ने महिलाओं के साथ किया प्रदर्शन

ग्रामीण क्षेत्रों में भी यही स्थिति है, लेकिन चाकसू और दूदू अतिवृष्टि होने से भूजल स्तर बढ़ा है. चाकसू और दूदू में दो से ढाई मीटर भूजल स्तर बढ़ा है. जयपुर शहर में आमेर, जयसिंह पुरा खोर, खोनागोरियान, वाल सिटी और विद्याधर नगर ऐसे इलाके है, यहां सामान्य से अधिक बरसात हुई थी. बावजूद इसके यहां भूजल स्तर में कोई फर्क नहीं पड़ा है. यहां जरूर पानी की उपलब्धता बढ़ी है. मुख्य अभियंता सीएम चौहान ने कहा कि प्रदेश में पेयजल संकट जैसी कोई बात नहीं है.

शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के लिए 65 करोड़ रुपये जारी

चौहान ने कहा हमने पानी परिवहन के लिए शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के लिए 65 करोड़ रुपये जारी किए हैं. मार्च में ही राज्य सरकार की ओर से जिला कलेक्टरों को पानी के लिए कंटीन्जेसी प्लान बनाने के लिए 50-50 लाख रुपए की अनुशंसा जारी की गई थी. इसके अलावा हाल ही में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी सभी विधायकों को 25-25 लाख रुपए पानी के लिए जारी करने को कहा गया था. चौहान ने कहा कि हमने अप्रैल में हैंडपंप मरम्मत अभियान शुरू किया था. जिसके तहत अभी तक 55 हजार 500 हैंडपंपों को ठीक किया जा चुका है. इसके अलावा 1 अप्रैल से अब तक 550 नए हैंडपंप खोदे जा चुके हैं. 750 टू फेस ट्यूबवेल भी चालू कर दिए गए हैं.

जयपुर न्यूज, jaipur news, पेयजल संकट, Drinking water crisis
ग्राफ संख्या-1

पढ़ेंः राजधानी का ऐसा हाल... जल संकट से जूझ रहे लोगों ने PHED ऑफिस का किया घेराव

उन्होंने कहा कि प्रदेश में 4281 ग्राम ढाणियों में भी टैंकरों से पानी पहुंचाया जा रहा है. सीएम चौहान ने कहा कि पिछली बार बारिश अच्छी हुई थी जिसके कारण इस बार पर जल संकट जैसी कोई बात नहीं है और अच्छी बारिश होने से तालाब और पोखर भरे हुए हैं. पेयजल संकट के समय चारे को लेकर भी समस्या का सामना करना पड़ता है.

पशुओं के लिए हरा चारा नहीं मिल पाता है.

किसान नेता रामपाल जाट ने बताया कि बारिश नहीं होने और पेयजल संकट के समय पशुओं के लिए हरा चारा नहीं मिल पाता है. यह वह समय होता है जब जब पुराना चारा समाप्त होने को होता है और नया चारा नहीं आ पाता है. इस समय पशुपालकों को काफी समस्या का सामना करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि जहां भी पशुपालन होता है उन जिलों में पेयजल संकट के समय चारे को लेकर समस्या होती है. चारा नहीं होने पर ग्रामीण हरे पेड़ों के पत्ते तोड़ना शुरू कर देते है.

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