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गहलोत सरकार की ट्रांसफर पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार, इससे लगेगी तबादला उद्योग पर रोक, जानें इसकी खास बातें

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Published : Mar 27, 2021, 12:31 PM IST

गहलोत सरकार ने ट्रांसफर पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है. इस पॉलिसी से तबादला उद्योग पर रोक लगेगी. प्रशासनिक सुधार विभाग ने तबादला नीति का मसौदा तैयार कर विभागों को सुझाव के लिए भेज दिया है. इसके बाद मुख्यमंत्री से हरी झंडी मिलने के बाद ये पॉलिसी मूर्त रूप लेगी.

Gehlot government, राजस्थान में ट्रांसफर पॉलिसी
गहलोत सरकार की ट्रांसफर पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार

जयपुर. राजस्थान सरकार की ट्रांसफर पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार हो गया है. इससे राजस्थान के 8 लाख कर्मचारियों को बड़ी राहत मिलेगी. इस पॉलिसी से पात्र कर्मचारी तबादले के लिए आवेदन कर सकेंगे. वहीं तबादलों में विधायकों का डिजायर सिस्टम खत्म हो जाएगी. साथ ही सरकार तीन वर्ष पहले किसी भी कर्मचारी का तबादला नहीं कर सकेगी.

प्रदेश में अब तबादला उद्योग पर रोक लगने जा रही है. जल्द ही ट्रांसफर पॉलिसी मूर्त रूप ले लेगी. मूर्त रूप लेने से पहले सभी विभागों के सचिवों से सुझाव मांगे गए हैं. मुख्यमंत्री की हरी झंडी मिलने के बाद ट्रांसफर पॉलिसी जमीनी धरातल पर उतर जाएगी. उत्तरप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, हिमाचल की तर्ज पर प्रदेश की जल्द ट्रांसफर नीति जारी होगी.

यह भी पढ़ें. CM गहलोत आज विभिन्न कार्यों का करेंगे लोकार्पण-शिलान्यास, SMS अस्पताल को 10 बेड की ब्रेन स्ट्रोक ICU की सौगात

राजस्थान हाईकोर्ट ने भी दिसंबर 2014 में सरकार को नोटिस जारी किया था कि राजस्थान में ट्रांसफर पॉलिसी लागू की जाए. दरअसल, ट्रांसफर्स में इतने घपले सामने आ रहे हैं कि कहीं तालेबंदी हो रही है तो कहीं सीएम और विधायक-मंत्रियों को हजारों ज्ञापन दिए जा रहे. 1 साल पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कैबिनेट की बैठक के बाद प्रदेश में ट्रांसफर पॉलिसी लाने की बात कही थी.

तबादला नीति की खास बातें-

  • यह नीति लागू हुई तो तबादलों में विधायकों का डिजायर सिस्टम खत्म हो जाएगा
  • सरकार तीन वर्ष पहले किसी भी कर्मचारी का तबादला नहीं कर सकेगी
  • खुद कर्मचारी दो वर्ष पहले तबादले के लिए आवेदन नहीं कर सकेगा
  • रिक्त पदों की सूची 15 मार्च तक अपनी वेबसाइट या नोटिस बोर्ड पर जारी करनी होगी
  • तबादला चाहने वाले कर्मचारी को निर्धारित प्रारूप में 31 मार्च तक आवेदन करना होगा
  • कोई भी कर्मचारी पांच वर्ष से ज्यादा एक स्थान पर नही रह सकेगा
  • तबादले के लिए सम्बन्धित कर्मचारी की काउंसलिंग के माध्यम से तबादला किया जाएगा
  • तबादलों में दिव्यांग, एकल महिला, परित्यक्ता, विधवा, पूर्व सैनिक को प्राथमिकता दी जाएगी
  • उत्कृष्ट खिलाडी, पति-पत्नी, असाध्य रोगी और शहीद के आश्रित को प्राथमिकता दी जाएगी
  • कर्मचारी को मौजूदा पद पर कम से कम दो वर्ष काम करना होगा
  • हालांकि दिव्यांग, कैंसर, गुर्दा रोग, हृदय रोग, विधवा, परित्यकता आदि को इस नियम में छूट रहेगी
  • जहां तक सम्भव हो पति-पत्नी को एक ही स्थान पर रखा जाएगा
  • तबादले से कोई शिकायत है तो पहले उसे नई जगह पदभार ग्रहण करना होगा
  • परिवदेना मिलने के 45 दिन में इसका निपटारा करना होगा
  • किसी कर्मचरी के रिटायरमेंट में एक वर्ष शेष रहा हो तो उसका तबादला नहीं किया जाएगा
  • एक अप्रैल से तीस जून तक ही होंगे तबादले
  • यह नीति सभी सरकारी विभागों, बोर्ड, स्वायत्तशासी संस्थाओं, उपक्रमों में कार्यरत अराजपत्रित कर्मचारियों जिनमें मंत्रालयिक, तकनीकी कर्मचारी, लेखाकर्मी व अन्य कर्मचाारी शामिल है, उन पर लागू होगी
  • शिक्षा विभाग में यह अशैक्षणिक कर्मचारियो और प्रधानाचार्य से नीचे के शैक्षणिक कर्मचारियों और उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग में सहायक प्रोफेसर से नीचे के कर्मचारियों पर लागू होगी

इन पर लागू नहीं होगी ट्रांसफर पॉलिसी

  • शासन सचिवालय
  • राज्यपाल सचिवालय
  • विधानसभा सचिवालय
  • पुलिस, गृह रक्षा और होमगार्ड के वर्दीधारी कर्मचारियों पर लागू नहीं होगी

ARD ने विभागों के सचिवों से मांगे सुझाव

प्रशासनिक सुधार विभाग ने तबादला नीति का मसौदा तैयार कर विभागों को भेजा है. इस पर विभागों के प्रमुख सचिवों से सुझाव मांगे गए हैं. इन सुझावों के आने के बाद इस मसौदे को मुख्य सचिव को सौंपा जाएगा. प्रदेश में अभी कर्मचारियों और अधिकारियों के तबादलों की कोई नीति नहीं है.

यह भी पढ़ें. विधानसभा उपचुनाव-2021: 'वोटर हेल्पलाइन' एप के जरिए एक टच पर मिलेगी वोटर्स से जुड़ी जानकारी

सरकार ने भांपी कर्मचारियों की नाराजगी

कर्मचारी संगठन लंबे समय से तबादला नीति की मांग कर रहे हैं लेकिन अभी तक तबादला नीति बन नहीं पाई. शिक्षा विभाग में शिक्षकों के तबादलों के लिए तबादला नीति के मसौदे जरूर बने हैं लेकिन ये भी कभी लागू नहीं हो पाए. शिक्षक-चिकित्सकों की नाराजगी भांप सरकार ट्रांसफर पॉलिसी ला रही है. ट्रांसफर पॉलिसी आने से कर्मचारियों को राहत मिलेगी, वहीं आमजन को संवेदनशील, पारदर्शी और जवाबदेह शासन मिलेगा.

जयपुर. राजस्थान सरकार की ट्रांसफर पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार हो गया है. इससे राजस्थान के 8 लाख कर्मचारियों को बड़ी राहत मिलेगी. इस पॉलिसी से पात्र कर्मचारी तबादले के लिए आवेदन कर सकेंगे. वहीं तबादलों में विधायकों का डिजायर सिस्टम खत्म हो जाएगी. साथ ही सरकार तीन वर्ष पहले किसी भी कर्मचारी का तबादला नहीं कर सकेगी.

प्रदेश में अब तबादला उद्योग पर रोक लगने जा रही है. जल्द ही ट्रांसफर पॉलिसी मूर्त रूप ले लेगी. मूर्त रूप लेने से पहले सभी विभागों के सचिवों से सुझाव मांगे गए हैं. मुख्यमंत्री की हरी झंडी मिलने के बाद ट्रांसफर पॉलिसी जमीनी धरातल पर उतर जाएगी. उत्तरप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, हिमाचल की तर्ज पर प्रदेश की जल्द ट्रांसफर नीति जारी होगी.

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राजस्थान हाईकोर्ट ने भी दिसंबर 2014 में सरकार को नोटिस जारी किया था कि राजस्थान में ट्रांसफर पॉलिसी लागू की जाए. दरअसल, ट्रांसफर्स में इतने घपले सामने आ रहे हैं कि कहीं तालेबंदी हो रही है तो कहीं सीएम और विधायक-मंत्रियों को हजारों ज्ञापन दिए जा रहे. 1 साल पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कैबिनेट की बैठक के बाद प्रदेश में ट्रांसफर पॉलिसी लाने की बात कही थी.

तबादला नीति की खास बातें-

  • यह नीति लागू हुई तो तबादलों में विधायकों का डिजायर सिस्टम खत्म हो जाएगा
  • सरकार तीन वर्ष पहले किसी भी कर्मचारी का तबादला नहीं कर सकेगी
  • खुद कर्मचारी दो वर्ष पहले तबादले के लिए आवेदन नहीं कर सकेगा
  • रिक्त पदों की सूची 15 मार्च तक अपनी वेबसाइट या नोटिस बोर्ड पर जारी करनी होगी
  • तबादला चाहने वाले कर्मचारी को निर्धारित प्रारूप में 31 मार्च तक आवेदन करना होगा
  • कोई भी कर्मचारी पांच वर्ष से ज्यादा एक स्थान पर नही रह सकेगा
  • तबादले के लिए सम्बन्धित कर्मचारी की काउंसलिंग के माध्यम से तबादला किया जाएगा
  • तबादलों में दिव्यांग, एकल महिला, परित्यक्ता, विधवा, पूर्व सैनिक को प्राथमिकता दी जाएगी
  • उत्कृष्ट खिलाडी, पति-पत्नी, असाध्य रोगी और शहीद के आश्रित को प्राथमिकता दी जाएगी
  • कर्मचारी को मौजूदा पद पर कम से कम दो वर्ष काम करना होगा
  • हालांकि दिव्यांग, कैंसर, गुर्दा रोग, हृदय रोग, विधवा, परित्यकता आदि को इस नियम में छूट रहेगी
  • जहां तक सम्भव हो पति-पत्नी को एक ही स्थान पर रखा जाएगा
  • तबादले से कोई शिकायत है तो पहले उसे नई जगह पदभार ग्रहण करना होगा
  • परिवदेना मिलने के 45 दिन में इसका निपटारा करना होगा
  • किसी कर्मचरी के रिटायरमेंट में एक वर्ष शेष रहा हो तो उसका तबादला नहीं किया जाएगा
  • एक अप्रैल से तीस जून तक ही होंगे तबादले
  • यह नीति सभी सरकारी विभागों, बोर्ड, स्वायत्तशासी संस्थाओं, उपक्रमों में कार्यरत अराजपत्रित कर्मचारियों जिनमें मंत्रालयिक, तकनीकी कर्मचारी, लेखाकर्मी व अन्य कर्मचाारी शामिल है, उन पर लागू होगी
  • शिक्षा विभाग में यह अशैक्षणिक कर्मचारियो और प्रधानाचार्य से नीचे के शैक्षणिक कर्मचारियों और उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग में सहायक प्रोफेसर से नीचे के कर्मचारियों पर लागू होगी

इन पर लागू नहीं होगी ट्रांसफर पॉलिसी

  • शासन सचिवालय
  • राज्यपाल सचिवालय
  • विधानसभा सचिवालय
  • पुलिस, गृह रक्षा और होमगार्ड के वर्दीधारी कर्मचारियों पर लागू नहीं होगी

ARD ने विभागों के सचिवों से मांगे सुझाव

प्रशासनिक सुधार विभाग ने तबादला नीति का मसौदा तैयार कर विभागों को भेजा है. इस पर विभागों के प्रमुख सचिवों से सुझाव मांगे गए हैं. इन सुझावों के आने के बाद इस मसौदे को मुख्य सचिव को सौंपा जाएगा. प्रदेश में अभी कर्मचारियों और अधिकारियों के तबादलों की कोई नीति नहीं है.

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सरकार ने भांपी कर्मचारियों की नाराजगी

कर्मचारी संगठन लंबे समय से तबादला नीति की मांग कर रहे हैं लेकिन अभी तक तबादला नीति बन नहीं पाई. शिक्षा विभाग में शिक्षकों के तबादलों के लिए तबादला नीति के मसौदे जरूर बने हैं लेकिन ये भी कभी लागू नहीं हो पाए. शिक्षक-चिकित्सकों की नाराजगी भांप सरकार ट्रांसफर पॉलिसी ला रही है. ट्रांसफर पॉलिसी आने से कर्मचारियों को राहत मिलेगी, वहीं आमजन को संवेदनशील, पारदर्शी और जवाबदेह शासन मिलेगा.

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