जयपुर. भले ही गोविंद सिंह डोटासरा (Govind Singh Dotasra) मानते हों कि 29 जुलाई को उन्हें अध्यक्ष बने एक साल हुआ है, लेकिन हकीकत यह है कि 14 जुलाई को ही गोविंद सिंह डोटासरा के कार्यकाल के 1 साल पूरा हो चुका है. डोटासरा को प्रदेश अध्यक्ष बने 1 साल का समय हो चुका है, लेकिन अब तक डोटासरा को उनकी टीम के जिला अध्यक्ष नहीं मिल सके हैं.
ऐसे में कांग्रेस पार्टी जो लगातार धरने-प्रदर्शन कर रही है ओर विधानसभा उपचुनाव, पंचायत राज उपचुनाव भी डोटासरा के सामने है. लेकिन जिला अध्यक्षों की ताजपोशी के बिना इन सब कामों में कांग्रेस पार्टी राजस्थान में समस्याओं का सामना कर रही है. हालांकि, प्रदेश प्रभारी महासचिव अजय माकन (Ajay Maken) ने प्रदेश पदाधिकारी जो जिलों के प्रभारी भी हैं, उनसे 30 जून तक सीधे नाम भी मंगवा लिए थे. लेकिन अब भी जिला अध्यक्षों को लेकर अंतिम फैसला नहीं हो सका है.
कारण साफ है कि जहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने जिला अध्यक्षों की घोषणा के लिए प्रदेश प्रभारी अजय माकन (Ajay Maken) को ग्रीन सिग्नल दे दिए हैं, तो वहीं पायलट गुट का कहना है कि जब तक प्रदेश में कैबिनेट विस्तार न हो तब तक संगठन में भी कोई नियुक्तियां नहीं की जाए. ऐसे में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा (Govind Singh Dotasra) के सामने भी यह मुसीबत आ खड़ी हुई है कि वे जिला अध्यक्षों की घोषणा कैसे करें.
लेकिन, दोनों कैंपों के बीच चल रहे शीत युद्ध के बीच गोविंद सिंह डोटासरा (Govind Singh Dotasra) ने प्रदेश प्रभारी अजय माकन (Ajay Maken) के साथ चर्चा कर बीच का रास्ता निकाला है और यह बीच का रास्ता है कि अभी राजस्थान कांग्रेस के 39 जिला अध्यक्षों में से कांग्रेस पार्टी 18 जिला अध्यक्षों के नाम घोषित कर देगी, जहां पर जिला अध्यक्ष के नाम को लेकर कोई विवाद नहीं है.
प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा चाहते हैं कि 39 में से 18 जिलाध्यक्षों की घोषणा 29 जुलाई से पहले कर दी जाएगी क्योंकि डोटासरा मानते हैं कि उनका 1 साल का कार्यकाल 29 जुलाई को पूरा होगा और अपने 1 साल के कार्यकाल पूरा होने से पहले वे 18 जिला अध्यक्ष बना देना चाहते हैं. ताकि जब उनसे सवाल पूछे जाएं तो उनके पास बताने के लिए पूरे 39 जिला अध्यक्ष न सही लेकिन आधे तो हों.
राजस्थान में गोविंद सिंह डोटासरा (Govind Singh Dotasra) को बीते साल जुलाई में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद की कमान सौंपी गई, लेकिन राजस्थान में जिस तरीके से गुटबाजी कांग्रेस पार्टी में हावी रही उसके चलते डोटासरा को उनकी पूरी टीम 1 साल में भी नहीं मिल सकी है. हालांकि, डोटासरा ने किसी तरह से अपने 39 पदाधिकारियों की घोषणा तो 6 महीने के बाद करवा ली, लेकिन अब भी कांग्रेस पार्टी प्रदेश में उन जिला अध्यक्षों और ब्लॉक अध्यक्षों की घोषणा नहीं कर सकी है जो पार्टी के रीड की हड्डी माने जाते हैं.
जिला अध्यक्षों और ब्लॉक अध्यक्षों की घोषणा नहीं हो पाने का सबसे प्रमुख कारण राजस्थान में पार्टी का पायलट (Pilot) और गहलोत (Gehlot) दो धड़ों में बंटा होना है. जहां पहले दोनों कैंपों में चल रही गुटबाजी के चलते घोषणा में देरी हुई तो अब पायलट गुट यह चाहता है कि प्रदेश में कैबिनेट विस्तार और संगठन का विस्तार एक साथ किया जाए.