जयपुर. हाईकोर्ट ने निजी स्कूल संचालकों को 70 फीसदी स्कूल फीस लेने का निर्णय दिया है. इस निर्णय को लेकर शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि हम हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं, लेकिन जो भी ऑनलाइन क्लासेज चलाने वाले स्कूल संचालक फीस लेगा, उन्हें स्कूल खुलने के बाद पूरा पाठ्यक्रम पढ़ाना होगा.
फीस को लेकर आए HC के निर्णय को लेकर गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि हमने फीस को लेकर दो निर्देश निकाले थे, जिसे हाईकोर्ट ने कैंसिल कर दिया है. अब हाईकोर्ट ने कहा है कि जो भी स्कूल ऑनलाइन एजुकेशन दे रहा है, वह ट्यूशन फीस का 70 फीसदी तीन किस्तों में ले सकता है. हाईकोर्ट के फैसले का हम अध्ययन करवा रहे हैं, लेकिन विभाग का मानना यह है कि जो भी स्कूल ऑनलाइन क्लासेज संचालित करवा रहे हैं, उन्हें स्कूल खुलने के बाद पूरा पाठ्यक्रम पढ़ाना अनिवार्य होगा. यदि कोई बच्चा ऑनलाइन एजुकेशन नहीं लेता है तो उसका नाम स्कूल से नहीं काटा जाएगा. इसके लिए विभाग की ओर से परिपत्र भी जारी किया जाएगा.
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शिक्षा मंत्री ने साफ किया कि विभाग की ओर से किसी भी अभिभावक और बच्चों के साथ कोई खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा. शिक्षा मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री का भी यही मानना है कि ना तो किसी स्कूल संचालक के साथ और ना ही किसी अभिभावकों के साथ कोई गलत हो. दोनों ही चीजों को ध्यान में रखते हुए सरकार आगे फैसला करेगी. साथ ही डोटासरा ने कहा कि स्कूल खुलने के बाद हाईकोर्ट के निर्णय को देखते हुए विस्तृत गाइडलाइन जारी की जाएगी. जिससे स्कूल संचालक अभिभावक और विद्यार्थियों में कोई भ्रांति ना हो.
उर्दू की पढ़ाई नहीं की जा रही समाप्त...
वहीं, शिक्षा मंत्री ने कहा कि उर्दू को लेकर भी भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं कि उर्दू विषय समाप्त किया जा रहा है, लेकिन ऐसा नहीं है. विभाग की तरफ से यह प्रस्ताव आया था कि जिस स्कूल में भी 10 से ज्यादा बच्चे तृतीय भाषा पढ़ने के लिए हैं, वहां अतिरिक्त टीचर लगाए जाएं. इसी को लेकर विभाग की ओर से काम किया जा रहा है. इस पर जल्द ही निर्णय भी ले लिया जाएगा.
बता दें कि उर्दू विषय बंद करने को लेकर बुधवार को जयपुर जिला कलेक्ट्रेट पर राजस्थान उर्दू शिक्षक संघ और अन्य संगठनों ने प्रदर्शन करने का ऐलान किया है. राजस्थान उर्दू शिक्षक संघ की मांग है कि विभाग की ओर से 2 और 5 सितंबर को जो आदेश निकाले गए हैं, उनको वापस लिया जाए.