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परकोटे में डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण व्यवस्था फेल, निगम ने लोगों पर फोड़ा लापरवाही का ठीकरा

राजधानी में कचरा संग्रहण की व्यवस्था सही होने का नाम नहीं ले रही है. शनिवार को आमेर, हवामहल पश्चिम और विद्याधर नगर के कई वार्डों में हूपर नहीं पहुंचे. वहीं, निगम में 70 फीसदी शिकायतें भी इससे संबंधित दर्ज हो रही हैं. हालांकि निगम कमिश्नर डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण को लेकर आने वाली खामियों का जिम्मेदार कंपनी के साथ-साथ आमजन को भी ठहरा रहे हैं.

Door to door waste collection , waste collection
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Published : Oct 12, 2019, 6:04 PM IST

जयपुर. महाराजा सवाई जयसिंह ने गुलाबी नगर के रूप में दुनिया को एक अनूठे शहर की सौगात दी थी. आज देश-विदेश से पर्यटक यहां आते हैं, लेकिन जयपुर में सरकार का स्वच्छ भारत अभियान नहीं पहुंच पाया है. यही कारण है कि यहां जगह-जगह गंदगी के ढेर लगे रहते हैं.

परकोटे में डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण व्यवस्था फेल

यहां तक कि दिपावली के त्योहार पर भी निगम प्रशासन ने शहर की सफाई को लेकर विशेष अभियान नहीं चलाया गया है. वर्तमान में परकोटे के बाहर शहर का विस्तार हो गया है, जो अब बड़े मॉल्स और बहुमंजिला इमारतों के रूप में विकसित होकर नए जयपुर के रूप में जाना जाता है. शायद सरकारी तंत्र का फोकस भी इसी पर है. यही वजह है कि पुराने परकोटे के अंदर स्थित जयपुर को पूरी तरह भुला दिया गया है.

पढ़ें: मास्टर भंवरलाल को अनिता भदेल की दो टूक...कहा- जमाना बदल गया है दलित वोटों की ठेकेदारी करना छोड़ दें और अपने बयान के लिए इस्तीफा दें

बता दें कि परकोटे को हाल ही में विश्व धरोहर में शामिल किया गया है, बावजूद इसके यहां डोर टू डोर कचरा संग्रहण फ्लॉप होता जा रहा है. आलम यह है कि निगम के अधिकारी लापरवाह कंपनी का ठीकरा आमजन के सिर फोड़ रहे हैं.

पढ़ें- चूरूः कस्तूरबा गांधी विद्यालय में तीन दिवसीय खेलकूद प्रतियोगिता का आगाज

निगम कमिश्नर विजय पाल सिंह ने कहा कि डोर-टू-डोर का हूपर समय पर नहीं आता और लोगों में भी जागरूकता का अभाव है. हालांकि उन्होंने अब कंपनी को ये निर्देश दिए हैं कि सुबह बाजार खुलने से पहले-पहले सड़क कचरा डिपो को क्लीन कर दिया जाए, ताकि जब बाजार खुले उस वक्त शहर साफ नजर आए.

जानकारी के अनुसार जयपुर नगर निगम में इन दिनों 1500 से ज्यादा शिकायतें लंबित चल रही है. इनमें से 70 फीसदी शिकायतें डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण और रोड साइड कचरा डिपो से जुड़ी हुई है. ऐसे में लोगों में जागरूकता का अभाव बताने के बजाय अधिकारियों को कंपनी पर सख्त होने और लंबित शिकायतों का निस्तारण कराने की जरूरत है.

जयपुर. महाराजा सवाई जयसिंह ने गुलाबी नगर के रूप में दुनिया को एक अनूठे शहर की सौगात दी थी. आज देश-विदेश से पर्यटक यहां आते हैं, लेकिन जयपुर में सरकार का स्वच्छ भारत अभियान नहीं पहुंच पाया है. यही कारण है कि यहां जगह-जगह गंदगी के ढेर लगे रहते हैं.

परकोटे में डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण व्यवस्था फेल

यहां तक कि दिपावली के त्योहार पर भी निगम प्रशासन ने शहर की सफाई को लेकर विशेष अभियान नहीं चलाया गया है. वर्तमान में परकोटे के बाहर शहर का विस्तार हो गया है, जो अब बड़े मॉल्स और बहुमंजिला इमारतों के रूप में विकसित होकर नए जयपुर के रूप में जाना जाता है. शायद सरकारी तंत्र का फोकस भी इसी पर है. यही वजह है कि पुराने परकोटे के अंदर स्थित जयपुर को पूरी तरह भुला दिया गया है.

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बता दें कि परकोटे को हाल ही में विश्व धरोहर में शामिल किया गया है, बावजूद इसके यहां डोर टू डोर कचरा संग्रहण फ्लॉप होता जा रहा है. आलम यह है कि निगम के अधिकारी लापरवाह कंपनी का ठीकरा आमजन के सिर फोड़ रहे हैं.

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निगम कमिश्नर विजय पाल सिंह ने कहा कि डोर-टू-डोर का हूपर समय पर नहीं आता और लोगों में भी जागरूकता का अभाव है. हालांकि उन्होंने अब कंपनी को ये निर्देश दिए हैं कि सुबह बाजार खुलने से पहले-पहले सड़क कचरा डिपो को क्लीन कर दिया जाए, ताकि जब बाजार खुले उस वक्त शहर साफ नजर आए.

जानकारी के अनुसार जयपुर नगर निगम में इन दिनों 1500 से ज्यादा शिकायतें लंबित चल रही है. इनमें से 70 फीसदी शिकायतें डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण और रोड साइड कचरा डिपो से जुड़ी हुई है. ऐसे में लोगों में जागरूकता का अभाव बताने के बजाय अधिकारियों को कंपनी पर सख्त होने और लंबित शिकायतों का निस्तारण कराने की जरूरत है.

Intro:जयपुर - राजधानी में कचरा संग्रहण की व्यवस्था सही होने का नाम नहीं ले रही। शनिवार को आमेर, हवामहल पश्चिम और विद्याधर नगर के कई वार्डों में हूपर नहीं पहुंचे। वहीं निगम में 70 फ़ीसदी शिकायतें भी इससे संबंधित दर्ज हो रही है। हालांकि निगम कमिश्नर डोर टू डोर कचरा संग्रहण को लेकर आने वाली खामियों का जिम्मेदार कंपनी के साथ साथ आमजन को भी ठहरा रहे हैं।


Body:महाराजा सवाई जयसिंह ने गुलाबी नगर जयपुर के रूप में दुनिया को एक अनूठे शहर की सौगात दी थी। आज देश-विदेश से पर्यटक यहां आते हैं। लेकिन असली जयपुर में सरकार का स्वच्छ भारत अभियान नहीं पहुंच पाया। यही कारण है कि यहां जगह-जगह गंदगी के ढेर लगे रहते हैं। त्यौहार पर भी निगम प्रशासन ने शहर की सफाई को लेकर विशेष अभियान नहीं चलाया। वर्तमान में परकोटे के बाहर शहर का विस्तार हो गया है। जो अब बड़े मॉल्स और बहुमंजिला इमारतों के रूप में विकसित होकर नए जयपुर के रूप में जाना जाता है। शायद सरकारी तंत्र का फोकस भी इसी पर है। यही वजह है कि असली जयपुर को पूरी तरह भुला दिया गया है।

परकोटे को हाल ही में विश्व धरोहर में शामिल किया गया है, बावजूद इसके यहां डोर टू डोर कचरा संग्रहण फ्लॉप होता जा रहा है। आलम ये है कि निगम के अधिकारी लापरवाह कंपनी का ठीकरा आमजन के सिर फोड़ रहे हैं। निगम कमिश्नर विजय पाल सिंह ने कहा कि डोर टू डोर का हूपर समय पर नहीं आता और लोगों में भी जागरूकता का अभाव है। हालांकि उन्होंने अब कंपनी को ये निर्देश दिए हैं कि सुबह बाजार खुलने से पहले-पहले सड़क कचरा डिपो को क्लीन कर दिया जाए। ताकि जब बाजार खुले उस वक्त शहर साफ नजर आए।
बाईट - विजय पाल सिंह, निगम कमिश्नर


Conclusion:जयपुर नगर निगम में इन दिनों 1500 से ज्यादा शिकायतें लंबित चल रही है। इनमें से 70 फ़ीसदी शिकायतें डोर टू डोर कचरा संग्रहण और रोड साइड कचरा डिपो से जुड़ी हुई है। ऐसे में लोगों में जागरूकता का अभाव बताने के बजाय अधिकारियों को कंपनी पर सख्त होने और लंबित शिकायतों का निस्तारण कराने की जरूरत है।
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