जयपुर. गहलोत सरकार की इंदिरा रसोई योजना राजधानी जयपुर के दोनों नगर निगम क्षेत्र हेरिटेज और ग्रेटर में फेल साबित हो रही है. जयपुर हेरिटेज नगर निगम क्षेत्र में 22 फीसदी, जबकि ग्रेटर नगर निगम क्षेत्र में महज 24 फीसदी थाली ही उठ रही हैं. ईटीवी भारत पर इंदिरा रसोई की हकीकत प्रसारित होने के बाद डीएलबी डायरेक्टर ने अब निगम अधिकारियों को फेल हो रही रसोइयों की लोकेशन बदलने और कुछ रसोइयों को एक्सटेंशन करने निर्देश दिए हैं.
20 अगस्त को प्रदेश के 213 नगरीय निकायों में 358 इंदिरा रसोई शुरू की गई. महज साढ़े तीन महीनों में इन रसोइयों में एक करोड़ से ज्यादा लोगों ने भोजन किया. लेकिन राजधानी में अभी भी लाभार्थियों का आंकड़ा 25 प्रतिशत से ज्यादा नहीं पहुंचा है. ग्रेटर और हेरिटेज नगर निगम क्षेत्र में कुल 20 इंदिरा रसोई की शुरुआत की गई. लेकिन हेरिटेज नगर निगम क्षेत्र में 22 फीसदी जबकि ग्रेटर नगर निगम क्षेत्र में महज 24 फीसदी थाली सर्व हो रही हैं.
ऐसे में डीएलबी डायरेक्टर ने दोनों नगर निगम के कमिश्नर सभी उपायुक्त और योजना के तहत भोजन सर्व करने वाली दोनों संस्थानों के प्रतिनिधियों के साथ विस्तार से चर्चा की. इस दौरान खाने की क्वालिटी बेहतर होने के बावजूद लाभार्थियों की संख्या कम रहने पर डीएलबी डायरेक्टर ने चिंता जताई और इस संबंध में निगम अधिकारियों को इंदिरा रसोई का व्यापक प्रचार-प्रसार करने के निर्देश दिए. साथ ही आवश्यकता पड़ने पर एक्सटेंशन काउंटर खोलने और रसोइयों की लोकेशन बदलने के निर्देश भी दिए हैं.
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डीएलबी डायरेक्टर ने बताया कि अब तक भोजन की क्वालिटी या अन्य कोई शिकायत मिली नहीं है, लेकिन सवाल ये उठ रहा है कि आखिर जयपुर में लाभार्थियों की संख्या कम क्यों हैं. इसके लिए सभी डीसी लेवल तक के अधिकारियों को बुलाया गया. चर्चा के दौरान कोरोना का प्रभाव और लोकेशन संबंधी समस्याएं बताई गईं. निगम को इस संबंध में समीक्षा कर आवश्यकता पड़ने पर स्थान परिवर्तन और एक्सटेंशन काउंटर खोलने के निर्देश दिए हैं.
बता दें कि ग्रेटर नगर निगम की 10 रसोइयों में महज 1 लाख 61 हजार 318 लाभार्थी पहुंच हैं, जबकि हेरिटेज नगर निगम में यह संख्या 1 लाख 46 हजार 364 है. दोनों ही निगम में सर्विंग कैपेसिटी 6 लाख 72 हजार बताई गई है.