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दिव्यांगों ने की राहत पैकेज की मांग, कहा- 3 हजार रुपए पेंशन और खाद्य सामग्री दी जाए

कोविड- 19 संकट के समय दिव्यांग भी सरकार से अपने लिए राहत पैकेज की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि जिन लोगों की दिव्यांगता 40 प्रतिशत या इससे अधिक है. उन दिव्यांगों को स्पेशल राहत पैकेज 3 हजार रुपए पेंशन और कोरोना वायरस से प्रभावित रहने तक खाद्य सामग्री की सुचारू व्यवस्था करवाई जाए. दिव्यांगों ने इस संबंध में मंगलवार को मुख्यमंत्री के नाम कलेक्ट्रेट में अधिकारी को ज्ञापन भी सौंपा.

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दिव्यांगों ने की राहत पैकेज की मांग
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Published : Jul 8, 2020, 4:17 AM IST

जयपुर. विकलांग जन क्रांति सेना की ओर से राहत पैकेज और खाद्य सामग्री को लेकर मुख्यमंत्री के नाम जयपुर जिला कलेक्ट्रेट में ज्ञापन भी दिया गया. ज्ञापन में बताया गया कि देश में इस समय कोरोना वायरस का कहर चल रहा है. राजस्थान सरकार कोरोना संकट से निपटने के लिए अल्प आय वर्ग को आर्थिक एवं खाद्य राहत दे रही है.

ज्ञापन में बताया गया कि फुटपाथ पर सामान बेचकर अपना गुजारा करने वाले दिव्यांग अब बेरोजगार हो गए हैं और उनकी आर्थिक स्थिति भी खराब हो गई है. अब उनकी भूखे मरने तक की नौबत आ गई है. सरकार द्वारा जो खाद्य सामग्री का वितरण किया जा रहा है. वह बहुत ही अपर्याप्त है तथा अधिकांश दिव्यांग लाभार्थी सामग्री से वंचित हैं.

दिव्यांगों ने की राहत पैकेज की मांग
दिव्यांगों में इस बात को लेकर गुस्सा है कि वितरण अधिकारियों के पास कोई दिव्यांग पहुंच नहीं सकता. अगर कोई दिव्यांग वहां तक चला भी गया तो उसे यह कहकर मना कर दिया जाता है कि उसकी तो पेंशन आ रही है.

यह भी पढ़ेंः करौलीः बदमाशों ने दिव्यांग के साथ की बदसलूकी, पुलिस पर कार्रवाई ना करने का आरोप

दिव्यांगों ने मांग की कि वितरण अधिकारियों को निर्देश दिए जाए कि दिव्यांगों को रोजगार करने के लिए फुटपाथ पर दुकान लगाने के लिए लाइसेंस लेने के साथ ही संपूर्ण राजस्थान में दिव्यांगों को चिन्हित कर सूची बनाकर खाद्य सामग्री वितरित की जाए. दिव्यांगों ने कहा कि हाल ही में उपायुक्त निशक्तजन ने जिलाधीश जयपुर को 26 जून का आदेश दिया है. आदेश के तहत जयपुर शहर और ग्रामीण इलाके के संबंध में पत्र जारी किया है, जबकि आदेश पूरे राजस्थान में दिव्यांगों के लिए सभी जिला अधिकारियों को दिया जाना चाहिए था.

दिव्यांगों ने कहा कि हमें जो 750 रुपये पेंशन मिलती है, वह हमारे गुजारे भत्ते के लिए पर्याप्त नहीं है. दिव्यांगों को कम से कम 3 हजार रुपए महीने पेंशन देनी चाहिए.
कलेक्ट्रेट में आए दिव्यांगों ने कहा कि प्राइवेट सेक्टर वाले दिव्यांगों को नौकरी पर नहीं रखते हैं. राजस्थान सरकार को गुजरात सरकार की तरह प्राइवेट सेक्टर में 5 प्रतिशत कोटा निर्धारित करना चाहिए. उन्होंने मांग की कि हर कंपनी में 5 दिव्यांगों को नौकरी पर रखना जरूरी किया जाए, नहीं तो उद्योग विभाग से उसकी मान्यता निरस्त कर दी जाए. इस तरह से दिव्यांगों को रोजगार मिलेगा और जीने की उम्मीद भी मिलेगी.

जयपुर. विकलांग जन क्रांति सेना की ओर से राहत पैकेज और खाद्य सामग्री को लेकर मुख्यमंत्री के नाम जयपुर जिला कलेक्ट्रेट में ज्ञापन भी दिया गया. ज्ञापन में बताया गया कि देश में इस समय कोरोना वायरस का कहर चल रहा है. राजस्थान सरकार कोरोना संकट से निपटने के लिए अल्प आय वर्ग को आर्थिक एवं खाद्य राहत दे रही है.

ज्ञापन में बताया गया कि फुटपाथ पर सामान बेचकर अपना गुजारा करने वाले दिव्यांग अब बेरोजगार हो गए हैं और उनकी आर्थिक स्थिति भी खराब हो गई है. अब उनकी भूखे मरने तक की नौबत आ गई है. सरकार द्वारा जो खाद्य सामग्री का वितरण किया जा रहा है. वह बहुत ही अपर्याप्त है तथा अधिकांश दिव्यांग लाभार्थी सामग्री से वंचित हैं.

दिव्यांगों ने की राहत पैकेज की मांग
दिव्यांगों में इस बात को लेकर गुस्सा है कि वितरण अधिकारियों के पास कोई दिव्यांग पहुंच नहीं सकता. अगर कोई दिव्यांग वहां तक चला भी गया तो उसे यह कहकर मना कर दिया जाता है कि उसकी तो पेंशन आ रही है.

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दिव्यांगों ने मांग की कि वितरण अधिकारियों को निर्देश दिए जाए कि दिव्यांगों को रोजगार करने के लिए फुटपाथ पर दुकान लगाने के लिए लाइसेंस लेने के साथ ही संपूर्ण राजस्थान में दिव्यांगों को चिन्हित कर सूची बनाकर खाद्य सामग्री वितरित की जाए. दिव्यांगों ने कहा कि हाल ही में उपायुक्त निशक्तजन ने जिलाधीश जयपुर को 26 जून का आदेश दिया है. आदेश के तहत जयपुर शहर और ग्रामीण इलाके के संबंध में पत्र जारी किया है, जबकि आदेश पूरे राजस्थान में दिव्यांगों के लिए सभी जिला अधिकारियों को दिया जाना चाहिए था.

दिव्यांगों ने कहा कि हमें जो 750 रुपये पेंशन मिलती है, वह हमारे गुजारे भत्ते के लिए पर्याप्त नहीं है. दिव्यांगों को कम से कम 3 हजार रुपए महीने पेंशन देनी चाहिए.
कलेक्ट्रेट में आए दिव्यांगों ने कहा कि प्राइवेट सेक्टर वाले दिव्यांगों को नौकरी पर नहीं रखते हैं. राजस्थान सरकार को गुजरात सरकार की तरह प्राइवेट सेक्टर में 5 प्रतिशत कोटा निर्धारित करना चाहिए. उन्होंने मांग की कि हर कंपनी में 5 दिव्यांगों को नौकरी पर रखना जरूरी किया जाए, नहीं तो उद्योग विभाग से उसकी मान्यता निरस्त कर दी जाए. इस तरह से दिव्यांगों को रोजगार मिलेगा और जीने की उम्मीद भी मिलेगी.

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