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SPECIAL : ऑक्सीजन और रेमडेसिविर की कमी पर सियासत...भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बोले- प्रबंधन करें, राजनीति नहीं

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Published : Apr 26, 2021, 6:08 PM IST

ऑक्सीजन और रेमडेसिविर की कमी पर प्रदेश में सियासत हो रही है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में राज्य सरकार को घेरते हुए कहा कि मुख्यमंत्रीजी प्रधानमंत्री बनने के सपने देख रहे हैं, लेकिन उनके मंसूबे पूरे नहीं होंगे. सलाह है कोरोना पर राजनीति नहीं बल्कि प्रबंधन करें.

ऑक्सीजन और रेमडेसिविर की कमी पर सियासत

जयपुर. प्रदेश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप के बीच आ रही ऑक्सीजन और रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके मंत्री केंद्र की मोदी सरकार पर भेदभाव का आरोप लगा रहे हैं. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए यह तक कह दिया कि मुख्यमंत्रीजी प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं. राजस्थान से भेदभाव को लेकर लगे आरोपों पर ईटीवी भारत ने की भाजपा प्रदेश अध्यक्ष से खास बात.

कोरोना पर प्रदेश में सियासत, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष से सवाल-जवाब

ईटीवी भारत का सवाल महामारी के इस दौर में ऑक्सीजन और रेमडेसिविर दिए जाने में केंद्र सरकार गुजरात मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की तुलना में राजस्थान के साथ भेदभाव कर रही है, कितना उचित मानते हैं ?

महामारी में भेदभाव पर सवाल

जवाब - अभी तक तो हम इस बात से परहेज कर रहे थे कि इस वैश्विक महामारी में सियासत नहीं हो. लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है. अफसोसजनक और निंदनीय है कि प्रदेश कांग्रेस और सरकार के मुखिया प्रदेश में कोरोना के लेकर जिस तरीके से लोगों को डरा रहे हैं. जिस तरीके से भयाक्रांत कर रहे हैं. उनके मंत्री जिस तरीके की बदजुबानी कर रहे हैं. ये इसका समय नहीं था. कोई उनसे पूछे कि आप एक जिम्मेदार सरकार चलाते हो. लोगों को कल्याण का भरोसा देते हो. आप ने एहतियात के तौर पर क्या तैयारियां की थी. जब करोना संक्रमण की पहली लहर आ चुकी थी और यह भी पता था कि भविष्य में आ सकती है. तो आपने लोगों को ऑक्सीजन और रेमडेसिवीर उपलब्ध कराने के लिए किया क्या है ?

राजस्थान में अभी तक ऑक्सीजन की आपूर्ति हो रही है तो वो कहां से हो रही है. राजस्थान को ऑक्सीजन की रिक्वायरमेंट 250 मेट्रिक टन है और राजस्थान में प्रोडक्शन है 305 मेट्रिक टन की. मतलब इतनी अवेलेबिलिटी हो सकती है. तो राजस्थान में जब ऑक्सीजन है तो मुझे लगता है कि इसकी डिस्ट्रीब्यूशन मैनेजमेंट की कमी है. पूनिया ने कहा कि इनके पास कोई अच्छे तरीके से डेडीकेटेड एक्शन प्लान नहीं होना तो सरकार के मंत्रियों ने यह देख लिया कि केवल केंद्र के माथे पर ठीकरा फोड़ लो और इनको बदनाम करो.

मुझे लगता है कि मुख्यमंत्रीजी प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं लेकिन केंद्र की सरकार को बदनाम करके मंसूबे पूरे हो जाएंगे, मुझे ऐसा लगता नहीं. मैं उनको सलाह दूंगा कि अभी भी समय है कि राजस्थान में बहुत सारी समस्याएं हैं. इन समस्याओं को केंद्र के माथे मढ़ने की बजाय उस पर चर्चा करें. अच्छे तरीके और सकारात्मक तरीके से. लोगों में जो भय है उसे खत्म करें और जो इन्फ्रास्ट्रक्चर डवलप करना वो करें. 1 सप्ताह तो प्रदेश सरकार ने कोरोना वैक्सीन फ्री करने का निर्णय लेने में निकाल दिया. यूपी सरकार 11 हजार करोड़ खर्च कर रही है और राजस्थान सरकार को 3000 करोड़ खर्च करने में ही रोना आ रहा था. प्रदेश सरकार इस पूरे मामले में केवल सियासत कर रही है.

पढ़ें- बेटे के मदद-मदद चिल्लाते-चिल्लाते मां चल बसी...और केंद्रीय मंत्री ने कहा- नारियल चढ़ाओ, परमात्मा का नाम लो

ईटीवी भारत का सवाल - मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास 2 दिन से बीजेपी के नेताओं से जवाब मांग रहे हैं. सरकारी आंकड़े भी मीडिया में रख रहे हैं. क्या केंद्र सरकार ऑक्सीजन और रेमडेसिविर मामले में भेदभाव नहीं कर रही ?

खाचरियावास के आरोप पर सवाल

जवाब - ये केवल बयानबाजी करते हैं. मैंने पहले ही कहा कि यह चीजें उदारता के साथ और एक अच्छी नियत के साथ भी की जा सकती थी. अखबारों में बयान देना, मीडिया पर छपना और छपाना और सरकार को बदनाम करने का ये समय नहीं था. प्रधानमंत्री ने वीडियो कांफ्रेंस इसलिए की थी कि उन प्रदेशों की आपूर्ति कैसे करें इसके बारे में वो चिंतित हैं. प्रताप सिंह जी और मुख्यमंत्री जी भी देख रहे होंगे कि किस तरीके से ऑक्सीजन हवाई जहाज से जामनगर से और जोधपुर में ट्रांसपोर्ट हो रही है. वो केंद्र सरकार की संजीदगी को इसी बात से समझ सकते हैं.

टीकाकरण को लेकर सवाल जवाब

वो आंकड़े और तुलना में जाएंगे तो बहुत कुछ हमारे पास भी है कहने के लिए. केंद्र की सरकार ने एनआरएचएम के तहत प्रदेश सरकार को ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए जोधपुर में पैसा दिया था. बता दें कितने लगे वो खुद ही. उन्होंने कुछ किया नहीं है और इस तरीके की आंकड़ों की बयानबाजी करके वो किसी को डिफेंड करना चाहें. लेकिन राजस्थान की जनता इन बातों को समझ चुकी है. मेरी उनको नसीहत है कि वो भी अभी सियासत छोड़कर कोरोना के प्रबंधन का काम करेंगे तो बेहतर होगा.

पढ़ें- Free Vaccination : गहलोत सरकार ने दिया 3.75 करोड़ डोज का ऑर्डर, 7.5 करोड़ का रखा लक्ष्य

ईटीवी भारत का सवाल - सीएम ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है केंद्र को जिस दर पर वैक्सीनेशन मिल रही है राज्यों को भी उसी दर पर मिले. केंद्र में आप की सरकार है कितनी मदद करवाएंगे आप राजस्थान की ?

सीएम के पत्र पर सवाल

जवाब - देखिए इसका अपना अपना एक अलग किस्म की अर्थमैटिक है. हेल्थ स्टेट का इशू है. इसमें आंकड़ेबाजी न करें. जब कोई घर चलाता तो उसका प्रबंधन वही करता है और जब इस तरीके का डिजास्टर होता है तो उस समय हमें कुछ बाकी चीजों में कटौती करनी होती है. मतलब हमारी प्राथमिकताएं क्या हैं यह तय करना पड़ता है. खास तौर पर सबके लिए वैक्सीन उपलब्ध हो ये पहली प्राथमिकता होना चाहिए. वैक्सीन सब लगाएं इसके लिए जागरूकता भी पैदा की जाना चाहिए.

ऑक्सीजन और रेमडेसिविर पर सवाल जवाब

लेकिन कितने कीमत में मिलेगी, कब मिलेगी, कौन देगा...मुझे लगता है कि इस पर ज्यादा बहस करने की आवश्यकता है नहीं है. सरकार प्रतिबद्ध है क्योंकि सहकारी संघवाद में राज्य कुछ चीजें सोच सकते हैं लेकिन केंद्र को मुझे लगता है कि समान तरीके से सारी चीजों की आवश्यकता होती है. प्रदेश तो दूसरे भी है जिन्होंने वैक्सीनेशन के लिए पूरी जिम्मेदारी उठाई है राजस्थान कोई बिरला नहीं है कि जहां कीमतों के आधार पर कोई फर्क पड़े.

जयपुर. प्रदेश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप के बीच आ रही ऑक्सीजन और रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके मंत्री केंद्र की मोदी सरकार पर भेदभाव का आरोप लगा रहे हैं. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए यह तक कह दिया कि मुख्यमंत्रीजी प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं. राजस्थान से भेदभाव को लेकर लगे आरोपों पर ईटीवी भारत ने की भाजपा प्रदेश अध्यक्ष से खास बात.

कोरोना पर प्रदेश में सियासत, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष से सवाल-जवाब

ईटीवी भारत का सवाल महामारी के इस दौर में ऑक्सीजन और रेमडेसिविर दिए जाने में केंद्र सरकार गुजरात मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की तुलना में राजस्थान के साथ भेदभाव कर रही है, कितना उचित मानते हैं ?

महामारी में भेदभाव पर सवाल

जवाब - अभी तक तो हम इस बात से परहेज कर रहे थे कि इस वैश्विक महामारी में सियासत नहीं हो. लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है. अफसोसजनक और निंदनीय है कि प्रदेश कांग्रेस और सरकार के मुखिया प्रदेश में कोरोना के लेकर जिस तरीके से लोगों को डरा रहे हैं. जिस तरीके से भयाक्रांत कर रहे हैं. उनके मंत्री जिस तरीके की बदजुबानी कर रहे हैं. ये इसका समय नहीं था. कोई उनसे पूछे कि आप एक जिम्मेदार सरकार चलाते हो. लोगों को कल्याण का भरोसा देते हो. आप ने एहतियात के तौर पर क्या तैयारियां की थी. जब करोना संक्रमण की पहली लहर आ चुकी थी और यह भी पता था कि भविष्य में आ सकती है. तो आपने लोगों को ऑक्सीजन और रेमडेसिवीर उपलब्ध कराने के लिए किया क्या है ?

राजस्थान में अभी तक ऑक्सीजन की आपूर्ति हो रही है तो वो कहां से हो रही है. राजस्थान को ऑक्सीजन की रिक्वायरमेंट 250 मेट्रिक टन है और राजस्थान में प्रोडक्शन है 305 मेट्रिक टन की. मतलब इतनी अवेलेबिलिटी हो सकती है. तो राजस्थान में जब ऑक्सीजन है तो मुझे लगता है कि इसकी डिस्ट्रीब्यूशन मैनेजमेंट की कमी है. पूनिया ने कहा कि इनके पास कोई अच्छे तरीके से डेडीकेटेड एक्शन प्लान नहीं होना तो सरकार के मंत्रियों ने यह देख लिया कि केवल केंद्र के माथे पर ठीकरा फोड़ लो और इनको बदनाम करो.

मुझे लगता है कि मुख्यमंत्रीजी प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं लेकिन केंद्र की सरकार को बदनाम करके मंसूबे पूरे हो जाएंगे, मुझे ऐसा लगता नहीं. मैं उनको सलाह दूंगा कि अभी भी समय है कि राजस्थान में बहुत सारी समस्याएं हैं. इन समस्याओं को केंद्र के माथे मढ़ने की बजाय उस पर चर्चा करें. अच्छे तरीके और सकारात्मक तरीके से. लोगों में जो भय है उसे खत्म करें और जो इन्फ्रास्ट्रक्चर डवलप करना वो करें. 1 सप्ताह तो प्रदेश सरकार ने कोरोना वैक्सीन फ्री करने का निर्णय लेने में निकाल दिया. यूपी सरकार 11 हजार करोड़ खर्च कर रही है और राजस्थान सरकार को 3000 करोड़ खर्च करने में ही रोना आ रहा था. प्रदेश सरकार इस पूरे मामले में केवल सियासत कर रही है.

पढ़ें- बेटे के मदद-मदद चिल्लाते-चिल्लाते मां चल बसी...और केंद्रीय मंत्री ने कहा- नारियल चढ़ाओ, परमात्मा का नाम लो

ईटीवी भारत का सवाल - मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास 2 दिन से बीजेपी के नेताओं से जवाब मांग रहे हैं. सरकारी आंकड़े भी मीडिया में रख रहे हैं. क्या केंद्र सरकार ऑक्सीजन और रेमडेसिविर मामले में भेदभाव नहीं कर रही ?

खाचरियावास के आरोप पर सवाल

जवाब - ये केवल बयानबाजी करते हैं. मैंने पहले ही कहा कि यह चीजें उदारता के साथ और एक अच्छी नियत के साथ भी की जा सकती थी. अखबारों में बयान देना, मीडिया पर छपना और छपाना और सरकार को बदनाम करने का ये समय नहीं था. प्रधानमंत्री ने वीडियो कांफ्रेंस इसलिए की थी कि उन प्रदेशों की आपूर्ति कैसे करें इसके बारे में वो चिंतित हैं. प्रताप सिंह जी और मुख्यमंत्री जी भी देख रहे होंगे कि किस तरीके से ऑक्सीजन हवाई जहाज से जामनगर से और जोधपुर में ट्रांसपोर्ट हो रही है. वो केंद्र सरकार की संजीदगी को इसी बात से समझ सकते हैं.

टीकाकरण को लेकर सवाल जवाब

वो आंकड़े और तुलना में जाएंगे तो बहुत कुछ हमारे पास भी है कहने के लिए. केंद्र की सरकार ने एनआरएचएम के तहत प्रदेश सरकार को ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए जोधपुर में पैसा दिया था. बता दें कितने लगे वो खुद ही. उन्होंने कुछ किया नहीं है और इस तरीके की आंकड़ों की बयानबाजी करके वो किसी को डिफेंड करना चाहें. लेकिन राजस्थान की जनता इन बातों को समझ चुकी है. मेरी उनको नसीहत है कि वो भी अभी सियासत छोड़कर कोरोना के प्रबंधन का काम करेंगे तो बेहतर होगा.

पढ़ें- Free Vaccination : गहलोत सरकार ने दिया 3.75 करोड़ डोज का ऑर्डर, 7.5 करोड़ का रखा लक्ष्य

ईटीवी भारत का सवाल - सीएम ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है केंद्र को जिस दर पर वैक्सीनेशन मिल रही है राज्यों को भी उसी दर पर मिले. केंद्र में आप की सरकार है कितनी मदद करवाएंगे आप राजस्थान की ?

सीएम के पत्र पर सवाल

जवाब - देखिए इसका अपना अपना एक अलग किस्म की अर्थमैटिक है. हेल्थ स्टेट का इशू है. इसमें आंकड़ेबाजी न करें. जब कोई घर चलाता तो उसका प्रबंधन वही करता है और जब इस तरीके का डिजास्टर होता है तो उस समय हमें कुछ बाकी चीजों में कटौती करनी होती है. मतलब हमारी प्राथमिकताएं क्या हैं यह तय करना पड़ता है. खास तौर पर सबके लिए वैक्सीन उपलब्ध हो ये पहली प्राथमिकता होना चाहिए. वैक्सीन सब लगाएं इसके लिए जागरूकता भी पैदा की जाना चाहिए.

ऑक्सीजन और रेमडेसिविर पर सवाल जवाब

लेकिन कितने कीमत में मिलेगी, कब मिलेगी, कौन देगा...मुझे लगता है कि इस पर ज्यादा बहस करने की आवश्यकता है नहीं है. सरकार प्रतिबद्ध है क्योंकि सहकारी संघवाद में राज्य कुछ चीजें सोच सकते हैं लेकिन केंद्र को मुझे लगता है कि समान तरीके से सारी चीजों की आवश्यकता होती है. प्रदेश तो दूसरे भी है जिन्होंने वैक्सीनेशन के लिए पूरी जिम्मेदारी उठाई है राजस्थान कोई बिरला नहीं है कि जहां कीमतों के आधार पर कोई फर्क पड़े.

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