जयपुर. जालोर में हुआ बस हादसा प्रदेश में हाई टेंशन लाइन से हुआ कोई पहला हादसा नहीं था बल्कि इसके पहले भी प्रदेश में हाईटेंशन लाइन के चलते इस प्रकार के कई बड़े हादसे हो चुके हैं. लेकिन न तो डिस्कॉम प्रशासन ने और न सरकार में इससे कोई सबक लिया. इस बार भी हादसा हुआ तो डिस्कॉम के स्तर पर जांच बिठाई गई जिसकी रिपोर्ट में महज लीपापोती के अलावा और कुछ नहीं निकला.
दरअसल बाड़मेर चीफ इंजीनियर डिस्कॉम को शामिल करते हुए इस मामले की जांच बैठाई गई. लेकिन जो रिपोर्ट आई उसमें पूरी लापरवाही बस चालक और परिचालक की निकली. रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि बस चालक गलती से महेश आवास गांव की उस रोड पर आ गया जहां से इतना बड़ा वाहन निकल ही नहीं सकता था. वहीं बस की छत पर काफी सामान था जिससे उसकी ऊंचाई और अधिक बढ़ गई. रिपोर्ट में यह भी लिखा गया कि जिस रोड से बस निकल रही थी वहां हाई टेंशन लाइन के तार भी चालक और परिचालक ने देख लिया. जिसके चलते बस की छत पर कंडक्टर चढ़ गया. ताकि बिजली के तार ऊपर करके बस को निकाल सके. लेकिन इस दौरान यह हादसा हो गया. डिस्कॉम ने इस पूरे घटनाक्रम में बिजली के खंबे की ऊंचाई और यहां लगे तारों की ऊंचाई भी सही मानी.
पढ़ें- जालोर बस अग्निकांड: कई परिवारों को जिंदगी भर के जख्म दे गया भटकाव, हर कोई स्तब्ध
डिस्कॉम इंजीनियर की अनदेखी पड़ी भारी
दरअसल इस प्रकार के हादसों में सबसे बड़ी लापरवाही डिस्कॉम इंजीनियर और फील्ड में तैनात तकनीकी कर्मचारियों की भी होती है. हाई वोल्टेज बिजली की लाइन में खंबे की ऊंचाई कम से कम कितनी होना चाहिए उसके नीचे से बड़ा से बड़ा बाहर निकल जाए. इसके साथ ही कई और मापदंड भी हैं जिसकी पालना सुनिश्चित कराने की जिम्मेदारी भी डिस्कॉम इंजीनियर और फील्ड में तैनात कर्मचारियों की ही होती है. डिस्कॉम ने अधिकतर मेंटेनेंस का काम ठेके पर दे रखा है. लेकिन इसकी प्रॉपर मॉनिटरिंग जब तक ना हो तब तक इस प्रकार के हादसों की संभावनाएं बनी रहती है.
आपको बता दें कि रविवार रात जालोर के पास एक गांव में एक बस हाईटेंशन बिजली की लाइन की चपेट में आ गई थी. जिसके चलते बस में सवार छह लोगों की मौत हो गई थी जबकि कई यात्री गंभीर रूप से घायल हो गए थे.