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डीजी जेल पेश होकर बताएं जेल में शराब पार्टी कैसे हो रही है: HC - Rajasthan High Court Order

राजस्थान हाईकोर्ट ने डीजी जेल को 31 अगस्त को पेश होकर बताने को कहा है कि जेल में शराब सहित अन्य मादक पदार्थों और मोबाइल कैसे पहुंच रहे हैं.

Liquor party in Rajasthan jail,  Rajasthan High Court Order
राजस्थान हाईकोर्ट
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Published : Aug 4, 2020, 7:55 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने डीजी जेल को 31 अगस्त को पेश होकर बताने को कहा है कि जेल में शराब सहित अन्य मादक पदार्थों और मोबाइल कैसे पहुंच रहे हैं. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांती और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने यह आदेश प्रकरण में लिए स्वप्रेरित पर सुनवाई करते हुए दिए.

सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए कहा कि जेलों में कैदी शराब पार्टी कर रहे हैं. वहीं उनके पास मोबाइल के अलावा मादक पदार्थ भी पहुंच रहे हैं, ऐसे में डीजी जेल पेश होकर इस संबंध में स्थिति स्पष्ट करें.

वहीं, न्याय मित्र प्रतीक कासलीवाल ने अदालत को बताया कि हाईकोर्ट पूर्व में भी 45 बिंदुओं पर विस्तृत दिशा-निर्देश दे चुका है. इसके अलावा जेलों में वर्ष 1960 में स्वीकृत किए चालानी गार्ड की संख्या अब तक नहीं बढ़ाई गई है. स्वीकृत पदों में से भी करीब 500 पद खाली चल रहे हैं, जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने डीजी जेल को पेश होकर इस संबंध में अपना स्पष्टीकरण पेश करने को कहा है.

पढ़ें- राज्यपाल को पद से हटाने की याचिका को सारहीन बताकर HC ने किया खारिज

गौरतलब है कि जेलों में मोबाइल मिलने की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए हाईकोर्ट ने मामले में कुछ सालों पहले स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लिया था. वहीं हाईकोर्ट ने समय-समय पर सुनवाई करते हुए जेल सुधार को लेकर भी राज्य सरकार को कई तरह के दिशा-निर्देश जारी किए थे.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने डीजी जेल को 31 अगस्त को पेश होकर बताने को कहा है कि जेल में शराब सहित अन्य मादक पदार्थों और मोबाइल कैसे पहुंच रहे हैं. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांती और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने यह आदेश प्रकरण में लिए स्वप्रेरित पर सुनवाई करते हुए दिए.

सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए कहा कि जेलों में कैदी शराब पार्टी कर रहे हैं. वहीं उनके पास मोबाइल के अलावा मादक पदार्थ भी पहुंच रहे हैं, ऐसे में डीजी जेल पेश होकर इस संबंध में स्थिति स्पष्ट करें.

वहीं, न्याय मित्र प्रतीक कासलीवाल ने अदालत को बताया कि हाईकोर्ट पूर्व में भी 45 बिंदुओं पर विस्तृत दिशा-निर्देश दे चुका है. इसके अलावा जेलों में वर्ष 1960 में स्वीकृत किए चालानी गार्ड की संख्या अब तक नहीं बढ़ाई गई है. स्वीकृत पदों में से भी करीब 500 पद खाली चल रहे हैं, जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने डीजी जेल को पेश होकर इस संबंध में अपना स्पष्टीकरण पेश करने को कहा है.

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गौरतलब है कि जेलों में मोबाइल मिलने की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए हाईकोर्ट ने मामले में कुछ सालों पहले स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लिया था. वहीं हाईकोर्ट ने समय-समय पर सुनवाई करते हुए जेल सुधार को लेकर भी राज्य सरकार को कई तरह के दिशा-निर्देश जारी किए थे.

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