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इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना में तय किए गए मिनीमम वेजेस पर बेरोजगारों ने उठाए सवाल

2022-23 के बजट में सरकार ने शहरों के बेरोजगारों को काम उपलब्ध करवाने और आर्थिक संबल देने के लिए इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना लागू करने की घोषणा की गई थी. इसे वित्त विभाग ने भी मंजूर कर दिया है. हालांकि इसके अंतर्गत मिलने वाली न्यूनतम मजदूरी को लेकर बेरोजगारों ने सवाल उठाए हैं. न्यूनतम मजूदरी को बढ़ाने की मांग की गई (Demand to increase minimum wage) है.

Demand to increase minimum wage in Indira Gandhi Shahri Rojgar Gurantee Yojana
शहरी रोजगार गारंटी योजना में तय किए गए मिनीमम वेजेस पर बेरोजगारों ने उठाए सवाल
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Published : May 10, 2022, 3:24 PM IST

Updated : May 10, 2022, 11:13 PM IST

जयपुर. बेरोजगारों को 100 दिन का रोजगार देने के लिए वित्त विभाग की ओर से तय किया गया मिनिमम वेजेस प्रदेश के बेरोजगारों को रास नहीं आ रहा. विभाग ने नगरीय निकायों से जुड़े कामों को इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना में शामिल करते हुए 259 से 333 रुपए तक मिनिमम वेजेस तय किया है. जिस पर बेरोजगार संघ ने आपत्ति जताई है. उन्होंने सवाल उठाया कि जब ईंट-भट्टा उठाने और दूसरी मजदूरी के काम करने वालों को ही दिन के 500 रुपए का मेहनताना मिल जाता है, तो फिर सरकार की योजना में न्यूनतम मजदूरी कम क्यों रखी गई है.

वित्तीय वर्ष 2022-23 के बजट में शहरों में आमजन के लिए रोजगार सुनिश्चित करने के उद्देश्य से इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना लागू करने की घोषणा की गई. इस योजना के जरिए राज्य के शहरी क्षेत्रों में निवास करने वाले परिवारों को उनकी ओर से मांगे जाने पर प्रतिवर्ष 100 दिवस का रोजगार उपलब्ध करवाया जाएगा. इसका उद्देश्य शहरी क्षेत्रों में नगरीय निकायों की सीमा में निवास करने वाले परिवारों, विशेष रूप से आर्थिक रूप से कमजोर, असहाय और बेरोजगार परिवारों को आर्थिक सम्बल प्रदान करना है. योजना को वित्त विभाग से मंजूरी भी मिल गई है. हालांकि योजना में जो मिनिमम वेज निर्धारित किया गया है, उससे बेरोजगार संतुष्ट नहीं (Unemployed youth not satisfied with minimum wage) हैं.

मिनीमम वेज पर बोले उपेन यादव...

पढ़ें: Rajasthan Budget CM Gehlot Big Announcement: इंदिरा गांधी शहर रोजगार गारंटी योजना होगी शुरू, बिजली उपभोक्ताओं को भी अनुदान

इसे लेकर बेरोजगार एकीकृत महासंघ के संयोजक उपेन यादव ने सवाल उठाते हुए कहा कि आज ईंट-भट्टा उठाने या दूसरे मजदूरी के काम में भी कम से कम 500 रुपए मेहनताना मिल जाता है. ऐसे में सरकार को इस वेज को बढ़ाना चाहिए. वहीं युवा बेरोजगार के लिए उनकी योग्यता के आधार पर भी कुछ काम निर्धारित करते हुए मेहनताना तय करना चाहिए. उन्होंने कहा कि पहले भी कई योजनाएं सरकार की ओर से घोषणा तो की गई, लेकिन उनको धरातल पर लागू नहीं किया गया. ऐसे में बेरोजगारों के हित में जो योजना लाई गई है, उसे जल्द धरातल पर उतारा जाए. साथ ही योजना का लाभ 100 दिन से बढ़ाते हुए और ज्यादा से ज्यादा युवाओं को इसका लाभ दिया जाए.

पढ़ें: SPECIAL : मनरेगा ने प्रवासी मजदूरों का बदला मन...गांव में ही जम गए मजदूर, रोजी-रोटी का आधार बनी योजना

आपको बता दें कि इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना की जिम्मेदारी स्वायत्त शासन विभाग को सौंपी गई है. इस संबंध में नगरीय निकायों को विभाग की ओर जारी मार्गदर्शिका के अनुसार कार्यों का चिह्नीकरण कर निर्धारित प्रपत्र में एक्शन प्लान और लेबर बजट बनाने के निर्देश दिए गए हैं. जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित समिति से इसका अनुमोदन करवाया जाएगा. साथ ही योजना में पात्र परिवारों/श्रमिकों को सूचीबद्ध कर जॉब कार्ड जारी करने के लिए जल्द IRGY-Urban MIS Portal उपलब्ध कराया जाएगा. आवेदन के लिए ई मित्र और नगरीय निकाय कार्यालय/जोन कार्यालय में हेल्प डेस्क भी लगाई जाएगी.

जयपुर. बेरोजगारों को 100 दिन का रोजगार देने के लिए वित्त विभाग की ओर से तय किया गया मिनिमम वेजेस प्रदेश के बेरोजगारों को रास नहीं आ रहा. विभाग ने नगरीय निकायों से जुड़े कामों को इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना में शामिल करते हुए 259 से 333 रुपए तक मिनिमम वेजेस तय किया है. जिस पर बेरोजगार संघ ने आपत्ति जताई है. उन्होंने सवाल उठाया कि जब ईंट-भट्टा उठाने और दूसरी मजदूरी के काम करने वालों को ही दिन के 500 रुपए का मेहनताना मिल जाता है, तो फिर सरकार की योजना में न्यूनतम मजदूरी कम क्यों रखी गई है.

वित्तीय वर्ष 2022-23 के बजट में शहरों में आमजन के लिए रोजगार सुनिश्चित करने के उद्देश्य से इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना लागू करने की घोषणा की गई. इस योजना के जरिए राज्य के शहरी क्षेत्रों में निवास करने वाले परिवारों को उनकी ओर से मांगे जाने पर प्रतिवर्ष 100 दिवस का रोजगार उपलब्ध करवाया जाएगा. इसका उद्देश्य शहरी क्षेत्रों में नगरीय निकायों की सीमा में निवास करने वाले परिवारों, विशेष रूप से आर्थिक रूप से कमजोर, असहाय और बेरोजगार परिवारों को आर्थिक सम्बल प्रदान करना है. योजना को वित्त विभाग से मंजूरी भी मिल गई है. हालांकि योजना में जो मिनिमम वेज निर्धारित किया गया है, उससे बेरोजगार संतुष्ट नहीं (Unemployed youth not satisfied with minimum wage) हैं.

मिनीमम वेज पर बोले उपेन यादव...

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इसे लेकर बेरोजगार एकीकृत महासंघ के संयोजक उपेन यादव ने सवाल उठाते हुए कहा कि आज ईंट-भट्टा उठाने या दूसरे मजदूरी के काम में भी कम से कम 500 रुपए मेहनताना मिल जाता है. ऐसे में सरकार को इस वेज को बढ़ाना चाहिए. वहीं युवा बेरोजगार के लिए उनकी योग्यता के आधार पर भी कुछ काम निर्धारित करते हुए मेहनताना तय करना चाहिए. उन्होंने कहा कि पहले भी कई योजनाएं सरकार की ओर से घोषणा तो की गई, लेकिन उनको धरातल पर लागू नहीं किया गया. ऐसे में बेरोजगारों के हित में जो योजना लाई गई है, उसे जल्द धरातल पर उतारा जाए. साथ ही योजना का लाभ 100 दिन से बढ़ाते हुए और ज्यादा से ज्यादा युवाओं को इसका लाभ दिया जाए.

पढ़ें: SPECIAL : मनरेगा ने प्रवासी मजदूरों का बदला मन...गांव में ही जम गए मजदूर, रोजी-रोटी का आधार बनी योजना

आपको बता दें कि इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना की जिम्मेदारी स्वायत्त शासन विभाग को सौंपी गई है. इस संबंध में नगरीय निकायों को विभाग की ओर जारी मार्गदर्शिका के अनुसार कार्यों का चिह्नीकरण कर निर्धारित प्रपत्र में एक्शन प्लान और लेबर बजट बनाने के निर्देश दिए गए हैं. जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित समिति से इसका अनुमोदन करवाया जाएगा. साथ ही योजना में पात्र परिवारों/श्रमिकों को सूचीबद्ध कर जॉब कार्ड जारी करने के लिए जल्द IRGY-Urban MIS Portal उपलब्ध कराया जाएगा. आवेदन के लिए ई मित्र और नगरीय निकाय कार्यालय/जोन कार्यालय में हेल्प डेस्क भी लगाई जाएगी.

Last Updated : May 10, 2022, 11:13 PM IST
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