जयपुर. राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को बलवान पूनिया ने कहा 'राजस्थानी राजस्थान प्रदेस री मातृभासा है, अर ईं गो संरक्षण अर संवर्धन करणो राज्य सरकार गो फरज है. आजादी पछै आ भासा राजकाज अर पढ़ाई-लिखाई सूं बारै करीजगी. आपणी ही भासा आपणै प्रांत में ओपरी होगी. वहीं, गोआ गी कोंकणी मान्यता सूं पैली राजभासा बणगी ही. झारखंड में मगही, भोजपुरी समेत 17 भासावां, छतीसगढ़ में छतीसगढ़ी, मेघालय में खासी अर गारो, सिक्किम में भूटिया अर लेपचा अर पश्चिम बंगाल में खमतपूरी अर राजबंशी इसी भासावां है, जिकी बिना संवैधानिक मान्यता गै ई राजभासा बणाईजी है'.
पढ़ें : उपचुनाव का रण : सतीश पूनिया बोले जनाक्रोश बनेगा कांग्रेस की हार का कारण - सतीश पूनिया
उन्होंने आगे कहा, 'ईं स्यूं आ बात सिद्ध होवै कै कोई भी राज्य आपगै राज्य गी भासा नै बिना संवैधानिक मान्यता गै ई राजभाषा गो दरजो दे सकै. राजस्थान में और भासावां पढेड़ा प्रतिभागी नौकरी लागै, पण राजस्थानी पढेड़ां नै कोई मौको कोनी. ओ अन्याय है. राजस्थानी नै बेगी सूं बेगी राजभासा गो दरजो दियो जाणो चहियै. सागै ही स्कूलां अर कोलेजां में राजस्थानी विषय गो विस्तार करणो जरूरी है'.
33 जिलों के 133 विधायकों ने लिखे मुख्यमंत्री को पत्र...
राजस्थानी मोट्यार परिषद के प्रदेश संगठन मंत्री सुरेंद्र कुमार स्वामी ने बताया कि राजस्थानी भाषा को प्रदेश की राजभाषा का दर्जा दिए जाने की मांग अब प्रदेशव्यापी हो गई है और 33 जिलों के 133 विधायक अब तक इस के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिख चुके हैं. शेष विधायकों से भी पत्र लिखवाने का सिलसिला जारी है.