नई दिल्ली/जयपुर. दिल्ली हाईकोर्ट ने राजस्थान की एक युवती को बिना मर्जी के उसके रिश्तेदारों को सौंपने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने राजस्थान पुलिस को निर्देश दिया है कि वो युवती को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश करें. जस्टिस जेआर मिधा और जस्टिस बृजेश सेठी ने 26 अगस्त को नंद नगरी थाने में युवती और उसके सभी रिश्तेदारों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई करने का आदेश दिया.
8 अगस्त को दिल्ली के एक मंदिर में की थी शादी
दरअसल राजस्थान की एक युवती ने नंदनगरी के युवक से पिछले 8 अगस्त को दिल्ली के एक मंदिर में अपने घरवालों की मर्जी के बिना शादी की. युवती ने 12 अगस्त को अपनी बहन को शादी की सूचना दी. युवती ने राजस्थान में अपने मायके स्थित स्थानीय थाने को भी अपनी शादी की सूचना दी. 13 अगस्त को राजस्थान पुलिस के दो कॉन्स्टेबल नंदनगरी थाने आए. राजस्थान के पुलिस कॉन्स्टेबल ने नंदनगरी थाने को बताया कि मोनिका इसी थाने के क्षेत्राधिकार में रहती है और वे उसे लेने आए हैं.
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नंद नगरी थाने से एक कॉन्स्टेबल को युवक के घर भेजा गया, जिसके बाद युवक और युवती नंद नगरी थाने पहुंचे. युवक के मुताबिक नंद नगरी थाने ने युवती को बिना उसकी सहमति के उसके रिश्तेदारों को सौंप दिया. सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने बताया कि युवती को अपनी मर्जी से उसके रिश्तेदारों को सौंपा गया. कोर्ट ने प्रथम दृष्टया युवती को उसके रिश्तेदारों को सौंपने के तरीके से संतुष्ट नहीं थी.
युवती से बात करेगी कोर्ट
कोर्ट ने राजस्थान पुलिस को निर्देश दिया कि वो युवती को नंद नगरी थाने लेकर आए. कोर्ट ने 26 अगस्त को युवती से बात करने का फैसला किया. कोर्ट ने राजस्थान पुलिस के उन कॉन्स्टेबल को भी उपस्थित होने का निर्देश दिया, जो 13 अगस्त को उसे लेने आए थे. कोर्ट ने युवती के रिश्तेदारों को भी सुनवाई के दौरान नंद नगरी थाने में उपस्थित रहने का निर्देश दिया.