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Rajasthan High Court Hearing : पूर्व मुख्यमंत्री को बंगला देने से जुड़ी अवमानना याचिका पर फैसला सुरक्षित... - HC Decision Effect on Vasundhara

राजस्थान हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री को बंगला देने से जुड़ी अवमानना याचिका पर फैसला (Decision Reserved on Contempt Petition) सुरक्षित रख लिया है. जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस अनूप ढंड की खंडपीठ ने यह आदेश मिलापचन्द डांडिया व अन्य की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट
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Published : Mar 8, 2022, 10:13 PM IST

जयपुर. अवमानना याचिका में अधिवक्ता विमल चौधरी ने कहा कि हाईकोर्ट ने 4 सितंबर, 2019 को आदेश जारी कर राजस्थान मंत्री वेतन संशोधन अधिनियम, 2017 के उस प्रावधान को रद्द कर दिया था. जिसके तहत पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सुविधाएं देने का प्रावधान किया गया था.

इस आदेश के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 6 जनवरी को खारिज कर दिया था. अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ पहाड़िया ने सुविधाएं लौटाकर बंगला खाली कर दिया था. वहीं, पूर्व सीएम राजे ने (HC Decision Effect on Vasundhara) सिर्फ सुविधाएं लौटाईं थी.

पढ़ें : Rajasthan High Court Order : केजीएफ चैप्टर 2 फिल्म के टीजर में धूम्रपान का दृश्य दिखाने के मुद्दे को माना जनहित का

याचिकाकर्ता की ओर से यह भी बताया गया कि 18 अगस्त 2020 वरिष्ठ विधायकों को आवास आवंटित करने के लिए कैटेगरी तय की थी. इसके तहत पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को आवास देने की बात कही जा रही है, लेकिन वे पहले से वहां रह रही हैं. वहीं, राज्य सरकार ने 2 अगस्त 2019 को प्रावधान किया था कि तय अवधि में आवास खाली नहीं करने पर संबंधित मंत्री को प्रतिदिन दस हजार रुपये का हर्जाना देना होगा.

पढ़ें : Exclusive : राजस्थान सरकार के मैरिज एक्ट में संशोधन को HC में चुनौती, सारथी ट्रस्ट ने उठाई आवाज

ऐसे में अदालती आदेश 4 सितंबर 2019 से 17 अगस्त 2020 तक की अवधि में बंगले का उपयोग करने पर पूर्व सीएम राजे से हर्जाना क्यों नहीं वसूल किया गया. वहीं, राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि राजे को वरिष्ठ विधायक के नाते (Rajasthan Government on House Allotment) आवास दिया गया है. इसमें अदालती आदेश की अवमानना नहीं हुई है.

जयपुर. अवमानना याचिका में अधिवक्ता विमल चौधरी ने कहा कि हाईकोर्ट ने 4 सितंबर, 2019 को आदेश जारी कर राजस्थान मंत्री वेतन संशोधन अधिनियम, 2017 के उस प्रावधान को रद्द कर दिया था. जिसके तहत पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सुविधाएं देने का प्रावधान किया गया था.

इस आदेश के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 6 जनवरी को खारिज कर दिया था. अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ पहाड़िया ने सुविधाएं लौटाकर बंगला खाली कर दिया था. वहीं, पूर्व सीएम राजे ने (HC Decision Effect on Vasundhara) सिर्फ सुविधाएं लौटाईं थी.

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याचिकाकर्ता की ओर से यह भी बताया गया कि 18 अगस्त 2020 वरिष्ठ विधायकों को आवास आवंटित करने के लिए कैटेगरी तय की थी. इसके तहत पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को आवास देने की बात कही जा रही है, लेकिन वे पहले से वहां रह रही हैं. वहीं, राज्य सरकार ने 2 अगस्त 2019 को प्रावधान किया था कि तय अवधि में आवास खाली नहीं करने पर संबंधित मंत्री को प्रतिदिन दस हजार रुपये का हर्जाना देना होगा.

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ऐसे में अदालती आदेश 4 सितंबर 2019 से 17 अगस्त 2020 तक की अवधि में बंगले का उपयोग करने पर पूर्व सीएम राजे से हर्जाना क्यों नहीं वसूल किया गया. वहीं, राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि राजे को वरिष्ठ विधायक के नाते (Rajasthan Government on House Allotment) आवास दिया गया है. इसमें अदालती आदेश की अवमानना नहीं हुई है.

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