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वरिष्ठ पोस्ट मास्टर पर हर्जाना, मुकदमा देरी से तय करने पर आयोग ने जताया खेद - Jaipur GPO news

जिला उपभोक्ता आयोग ने बचत योजना में जमा रुपए देरी से अदा करने पर जीपीओ के वरिष्ठ पोस्ट मास्टर पर 14 हजार आठ सौ रुपए का हर्जाना लगाया है. इसके साथ ही आयोग ने मुकदमें की सुनवाई में छह साल का समय लगने पर खेद भी जताया है.

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वरिष्ठ पोस्ट मास्टर पर हर्जाना
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Published : Mar 16, 2021, 8:12 PM IST

जयपुर. जिला उपभोक्ता आयोग ने बचत योजना में जमा रुपए देरी से अदा करने पर जीपीओ के वरिष्ठ पोस्ट मास्टर पर 14 हजार आठ सौ रुपए का हर्जाना लगाया है. इसके साथ ही आयोग ने मुकदमें की सुनवाई में छह साल का समय लगने पर खेद भी जताया है. आयोग ने यह आदेश 87 वर्षीय प्रो. केबी अग्रवाल के परिवाद पर दिए.

आयोग ने कहा कि मुकदमे की सुनवाई के दौरान जवाब पेश नहीं करने पर वरिष्ठ पोस्ट मास्टर पर पांच सौ रुपए की कोस्ट लगाई गई थी. लेकिन पांच साल से ज्यादा का समय बीतने के बाद अब तक यह राशि जमा नहीं कराई गई. जो पोस्ट ऑफिस की मनमानी को दर्शाता है. आयोग ने अपने आदेश में कहा कि यदि डाकघर का कोर बैकिंग सिस्टम काम नहीं कर रहा था तो दूसरी वैकल्पिक व्यवस्था की जानी चाहिए थी.

पढ़ें- Bank Strike: 35 हजार से ज्यादा बैंक कर्मचारी हड़ताल पर, करीब 20 हजार करोड़ का कारोबार प्रभावित

आयोग ने यह भी कहा कि परिवादी की उम्र को देखते हुए उसके निवास स्थान पर यह राशि उपलब्ध कराई जा सकती थी. परिवाद में कहा गया कि परिवादी ने वर्ष 1988 में जीपीओ, जयपुर में एनएसएस खाता शुरू किया था. परिवादी 2 अप्रैल 2014 को तीस हजार रुपए निकलवाने गया तो डाकघर ने सिस्टम काम नहीं करने का हवाला देते हुए भुगतान नहीं किया.

परिवादी की ओर से डाकघर के कई चक्कर लगाने के बाद लीगल नोटिस भेजा गया. इस पर डाकघर की ओर से 19 अप्रैल 2014 को भुगतान जारी किया गया. इस पर परिवादी की ओर से आयोग में परिवाद पेश कर क्षतिपूर्ति राशि दिलाने की गुहार की गई.

जयपुर. जिला उपभोक्ता आयोग ने बचत योजना में जमा रुपए देरी से अदा करने पर जीपीओ के वरिष्ठ पोस्ट मास्टर पर 14 हजार आठ सौ रुपए का हर्जाना लगाया है. इसके साथ ही आयोग ने मुकदमें की सुनवाई में छह साल का समय लगने पर खेद भी जताया है. आयोग ने यह आदेश 87 वर्षीय प्रो. केबी अग्रवाल के परिवाद पर दिए.

आयोग ने कहा कि मुकदमे की सुनवाई के दौरान जवाब पेश नहीं करने पर वरिष्ठ पोस्ट मास्टर पर पांच सौ रुपए की कोस्ट लगाई गई थी. लेकिन पांच साल से ज्यादा का समय बीतने के बाद अब तक यह राशि जमा नहीं कराई गई. जो पोस्ट ऑफिस की मनमानी को दर्शाता है. आयोग ने अपने आदेश में कहा कि यदि डाकघर का कोर बैकिंग सिस्टम काम नहीं कर रहा था तो दूसरी वैकल्पिक व्यवस्था की जानी चाहिए थी.

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आयोग ने यह भी कहा कि परिवादी की उम्र को देखते हुए उसके निवास स्थान पर यह राशि उपलब्ध कराई जा सकती थी. परिवाद में कहा गया कि परिवादी ने वर्ष 1988 में जीपीओ, जयपुर में एनएसएस खाता शुरू किया था. परिवादी 2 अप्रैल 2014 को तीस हजार रुपए निकलवाने गया तो डाकघर ने सिस्टम काम नहीं करने का हवाला देते हुए भुगतान नहीं किया.

परिवादी की ओर से डाकघर के कई चक्कर लगाने के बाद लीगल नोटिस भेजा गया. इस पर डाकघर की ओर से 19 अप्रैल 2014 को भुगतान जारी किया गया. इस पर परिवादी की ओर से आयोग में परिवाद पेश कर क्षतिपूर्ति राशि दिलाने की गुहार की गई.

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