जयपुर. वक्त के साथ-साथ और लोगों की जरूरतों के हिसाब से साइबर ठग भी अपनी ठगी की शैली में लगातार परिवर्तन करते जा रहे हैं. कोरोना काल में साइबर ठगों ने लोगों की मजबूरी और जरूरत का फायदा उठाकर नए तरीके अपनाकर ठगी करना शुरू किया जो लगातार जारी है. साइबर ठग अब ब्लैक फंगस के इंजेक्शन दिलाने के नाम पर लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं.
यदि बात राजधानी जयपुर की करें तो रोजाना पुलिस को 25 से 30 ठगी की शिकायत हेल्पलाइन नंबर पर प्राप्त हो रही हैं. पहले ऑक्सीजन सिलेंडर, रेमडेसिविर इंजेक्शन, अस्पताल में बेड दिलाने के नाम पर लोगों से राशि ठगी गई. अब ब्लैक फंगस के इंजेक्शन (Black Fungus injection) के नाम पर लोगों को साइबर ठग अपना शिकार बनाने में लगे हुए हैं. इसके लिए ठग सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके साथ सरकारी वेबसाइट से मिलते जुलते नाम की फर्जी वेबसाइट बनाकर भी लोगों को ठगी का शिकार बनाया जा रहा है.
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एप, वेबसाइट, व्हाट्सएप ग्रुप और टेलीग्राम ग्रुप के जरिए किया जा रहा लोगों को टारगेट
साइबर ठग कोरोना काल में किस तरह से लोगों को अपनी ठगी का शिकार बना रहे हैं. इसके बारे में जानकारी देते हुए डीसीपी क्राइम दिगंत आनंद ने बताया कि ठगों की ओर से विभिन्न एप और वेबसाइट के माध्यम से लोगों को अपना टारगेट बनाया जा रहा है. इसके साथ ही इससे भी ज्यादा व्हाट्सएप ग्रुप और टेलीग्राम ग्रुप के जरिए लोगों को कोरोना से संबंधित विभिन्न तरह की सहायता प्रदान करने के नाम पर ठगा जा रहा है. ऐसा व्यक्ति जिसे दवाई या किसी भी अन्य वस्तु की आवश्यकता है, उसे ठग टारगेट कर रहे हैं और फिर तमाम सुविधा मुहैया कराने के नाम पर लोगों से एक बड़ी राशि ठग ली जाती है. कई प्रकरण में यह भी देखा गया है कि छोटी-छोटी राशि के रूप में हजारों लोगों से ठगी करके एक बड़ी राशि ठगों इकट्ठी कर ली जाती है.
दवाई और इंजेक्शन के नाम पर शहर के नामी अस्पताल के पास बुलाकर की जा रही ठगी
डीसीपी क्राइम दिगंत आनंद ने बताया कि ठगी का शिकार हुए लोगों से प्राप्त शिकायतों का जब अध्ययन किया गया तो यह बात सामने आई के साइबर ठगों की ओर से लोगों को इंजेक्शन और अन्य दवाइयां दिलाने का झांसा देकर शहर के नामी अस्पतालों के पास बुलाया जाता है. जहां पर उनसे कैश लेकर या फिर इलेक्ट्रॉनिक माध्यम के जरिए ट्रांजैक्शन कर मोटी राशि वसूली जाती है. पीड़ित से मोटी राशि हड़पने के बाद ठग पीड़ित को कुछ देर इंतजार करने के लिए कहते हैं और दवाई लाकर देने का झांसा देते हैं. उसके बाद ठग वहां से फरार हो जाते हैं और पीड़ित इंतजार ही करता रह जाता है. विभिन्न सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर ठगों की ओर से बनाए गए ग्रुप के माध्यम से ऐसे लोगों को अप्रोच किया जाता है. फिर उन्हें ठगी का शिकार बनाया जाता है.
ठगी के प्रकरण को सुलझाना पुलिस के लिए टेढ़ी खीर
डीसीपी क्राइम दिगंत आनंद ने बताया कि कोरोना की शुरुआत के साथ ही जामताड़ा और झारखंड के साइबर ठगों ने अपनी ठगी के तरीके में परिवर्तन किया है. पहले जहां साइबर ठग एटीएम कार्ड ब्लॉक होने का झांसा देकर या खाते की केवाईसी अपडेट करने के नाम पर और अन्य विभिन्न तरीके अपनाकर लोगों को ठगी का शिकार बनाते थे. वहीं ठग अब वैश्विक महामारी कोरोना के नाम पर लोगों को ठग रहे हैं. पुलिस के सामने सबसे बड़ा चैलेंज ठगी के इन प्रकरणों को सुलझाना है क्योंकि कोरोना काल में पुलिस टीम को दूसरे राज्यों में भेजना भी मुश्किल है. जिसके चलते पुलिस लगातार आमजन से अपील कर रही है कि वह ऐसे किसी भी ठग के झांसे में आने से बचें और सतर्क रहें.
ठगों के झांसे में ना आकर प्रॉपर चैनल के माध्यम से प्राप्त करें चिकित्सा सुविधाएं
डीसीपी क्राइम दिगंत आनंद का कहना है कि यदि कोई भी व्यक्ति किसी वेबसाइट या ग्रुप के माध्यम से चिकित्सा सुविधाएं मोटी राशि लेकर मुहैया कराने की बात कह रहा है तो वह व्यक्ति ठग है. ऐसे किसी भी व्यक्ति के झांसे में ना आएं. चाहे इंजेक्शन हो या कोई दवाई हो वह इन ठगों के माध्यम से लोगों तक नहीं पहुंचेगा बल्कि दवाई और इंजेक्शन प्राप्त करने के लिए लोगों को सरकार की ओर से निर्मित एक प्रॉपर चैनल का उपयोग करके की तमाम सुविधाएं प्राप्त करनी चाहिए. किसी भी तरह की चिकित्सा सुविधा व्यक्ति को अस्पताल के माध्यम से या सीएमएचओ के माध्यम से ही मुहैया करवाई जा रही हैं. ऐसे में किसी भी अन्य व्यक्ति के झांसे में आकर लोग ठगी का शिकार होने से बचे.
यदि इसके बावजूद भी कोई ठगी का शिकार होता है तो तुरंत इसकी शिकायत पुलिस के हेल्पलाइन नंबर 112, 100 और 15226 पर करें. इसके साथ ही पीड़ित अपनी शिकायत cybercrime.gov.in पर भी दर्ज करवा सकता है. ठगी का शिकार होने के जितना जल्द पीड़ित की ओर से पुलिस को शिकायत दर्ज करवाई जाती है, उतना ही जल्द पुलिस द्वारा कार्रवाई करते हुए जिस खाते में ठगी की राशि का ट्रांजैक्शन हुआ है. उसे ब्लॉक करवा कर ठगी गई राशि फिर से पीड़ित को दिलवाने का प्रयास किया जाता है.