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अलविदा 2019 : राजस्थान पुलिस के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहा साल - अलवर गैंगरेप

साल 2019 में राजस्थान में ऐसी कई बड़ी घटनाएं हुईं, जिसने ना सिर्फ पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठे बल्कि संगीन अपराधों ने मानवता को भी झकझोर कर रख दिया.

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राजस्थान में साल 2019 में हुई आपराधिक घटनाएं
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Published : Dec 30, 2019, 10:18 AM IST

जयपुर. राजस्थान पुलिस का ध्येय वाक्य 'आमजन में विश्वास और अपराधियों में भय' साल 2019 में चरितार्थ होता नजर नहीं आया. प्रदेश में ऐसी कई बड़ी घटनाएं और वारदातें हुईं, जिसने मानवता को शर्मसार कर दिया. इन घटनाओं को लेकर पूरे देश में राजस्थान पुलिस की किरकिरी भी हुई.

राजस्थान में साल 2019 में हुई आपराधिक घटनाएं

साल 2019 की शुरुआत शांतिपूर्ण रही

जनवरी माह : जनवरी का महीना शांतिपूर्वक निकला तो राजस्थान पुलिस को लगा, कि पूरा साल ऐसे ही निकल जाएगा, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं हुआ. फरवरी से लेकर नवंबर महीने तक लगातार एक के बाद एक ऐसी घटनाएं घटित हुईं, जिसकी कल्पना भी शायद किसी ने नहीं की थी.

फरवरी-अक्टूबर तक हुई बड़ी घटनाएं:

फरवरी माह : जयपुर सेंट्रल जेल में बंद पाकिस्तानी कैदी शकरुल्लाह की पत्थर से वार कर निर्मम हत्या कर दी गई. 20 फरवरी को जेल के अंदर टेलीविजन की वॉल्यूम को कम करने की बात पर हुए विवाद के चलते पाकिस्तानी कैदी शकरुल्लाह को मौत के घाट उतार दिया गया. इस घटनाक्रम के बाद तत्कालीन जेल अधीक्षक को सस्पेंड कर दिया गया था.


मार्च-अप्रैल माह : मार्च और अप्रैल महीना राजस्थान पुलिस के लिए संतोषजनक रहा. इस दौरान कोई भी बड़ा घटनाक्रम घटित नहीं हुआ. लेकिन यह एक बड़े तूफान के आने से पहले पसरे सन्नाटा की तरह था. मई से लेकर नवंबर महीने तक ऐसी बड़ी और घिनौनी घटनाएं घटित हुईं, जिससे राजस्थान पुलिस चाहकर भी उबर नहीं पाई.

मई माह :1 मई को अलवर के थानागाजी इलाके में एक दलित महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म का प्रकरण सामने आया. अपने पति के साथ यात्रा कर रही एक दलित महिला को 5 दरिंदों ने दुष्कर्म का शिकार बनाया. यही नहीं दरिंदों ने घटना के वीडियो रिकॉर्ड किए और उन्हें सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया. इस पूरे घटनाक्रम में राजस्थान पुलिस का अमानवीय चेहरा देखने को मिला. घटना की जानकारी मिलने के बाद भी पुलिस ने कई दिनों तक FIR दर्ज नहीं की.

इस मामले की गंभीरता को देखते हुए राजस्थान सरकार ने प्रकरण की जांच के लिए आला अधिकारियों की एक कमेटी गठित की और इसके साथ ही ढिलाई बरतने पर पुलिसकर्मियों को निलंबित किया. 16 मई को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दलित महिला के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना के बाद अलवर जिले का विभाजन करते हुए जिले में 2 एसपी लगाने की घोषणा की.

यह भी पढ़ें- अलविदा 2019: कपड़ा उद्यमियों के लिए ये साल रहा रहा घाटे का सौदा

जून माह :11 जून को राजधानी के करधनी थाना इलाके में खनन माफियाओं ने कॉलोनी के अंदर से बजरी से भरे हुए डंपर ले जाने से रोकने पर 60 वर्षीय किशोर सिंह की निर्मम हत्या कर दी. किशोर सिंह ने कॉलोनी से गुजरने वाले अवैध खनन की बजरी से भरे हुए ट्रकों पर आपत्ति जताई थी, जिसके चलते खनन माफिया ने किशोर सिंह की हत्या की वारदात को अंजाम दिया. मृतक के परिजन कई बार पुलिस से गुहार लगा चुके थे, लेकिन पुलिस ने जरा भी ध्यान नहीं दिया. इस वारदात के बाद कई दिनों तक बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन हुए और दबाव के चलते पुलिस ने कार्रवाई करते हुए हत्यारे को गिरफ्तार कर लिया.

जुलाई माह : जुलाई महीना राजस्थान पुलिस के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहा और इस दौरान प्रदेश में तीन बड़ी घटनाएं घटित हुईं.

  • 1 जुलाई को राजधानी के शास्त्री नगर थाना इलाके में 7 साल की एक मासूम को अगवा कर दरिंदगी का शिकार बनाया गया. इस घटनाक्रम के बाद भीड़ काफी उग्र हुई और राजधानी की कानून-व्यवस्था बिगड़ गई. गुस्साई भीड़ ने घरों के बाहर खड़े वाहनों में जमकर तोड़फोड़ की. प्रकरण में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 6 जुलाई को 7 साल की मासूम के साथ दरिंदगी करने वाले जीवाणु उर्फ सिकंदर को गिरफ्तार किया. आरोपी ने पुलिस पूछताछ में 22 जून को शास्त्री नगर इलाके में ही एक 4 साल की मासूम के साथ दरिंदगी करने की बात भी कबूली.
  • 13 जुलाई को चुरू जिले के सरदारशहर पुलिस थाने में एक 35 वर्षीय दलित महिला के साथ सामूहिक बलात्कार का मामला सामने आया. पीड़ित महिला ने पुलिसकर्मियों पर सामूहिक दुष्कर्म के साथ ही उसके जीजा को मौत के घाट उतारने के संगीन आरोप लगाए. पीड़ित महिला के शरीर पर चोटों के गंभीर निशान पाए गए और उसे इलाज के लिए राजधानी के एसएमएस अस्पताल में भर्ती करवाया गया. इस पूरे प्रकरण में सरदारशहर पुलिस स्टेशन के एसएचओ सहित 9 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया. वहीं चूरू जिले के तत्कालीन एसपी राजेंद्र कुमार को हटा दिया गया और डीएसपी भंवरलाल को निलंबित कर दिया गया.
  • 27 जुलाई को राजधानी के वैशाली नगर थाने में एक 35 वर्षीय दुष्कर्म पीड़िता ने आत्मदाह कर लिया. पीड़िता ने पुलिस पर प्रताड़ित करने और साथ ही चरित्रहीन बोलने के आरोप लगाए. इस प्रकरण में वैशाली नगर थाने के एसएचओ को निलंबित कर दिया गया.

यह भी पढ़ें- अलविदा 2019: बूंदी में आई प्राकृतिक आपदा इस साल दे गई कई जख्म, 11 लोगों की गई थी जान; 2025 आशियाने तबाह

अगस्त माह : इस महीने 2 बड़े घटनाक्रम हुए, जो राजस्थान पुलिस के लिए बड़ी चुनौती रहे.

  • 10 अगस्त को राजधानी जयपुर के परकोटे में हिंसा भड़क गई, जो बाद में एक बड़ी झड़प में बदल गई. जिसमें पुलिस अधिकारियों सहित एक दर्जन से ज्यादा लोग घायल हो गए. सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगड़ने पर राजधानी के 10 थाना क्षेत्रों में धारा 144 लागू की गई. जिसके बाद भी हिंसा जारी रही. बाद में हिंसा भड़काने वाले 100 से ज्यादा लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया.
  • पहलू खान मॉब लिंचिंग प्रकरण में 13 अगस्त को अलवर की स्थानीय अदालत ने सभी 6 आरोपियों को बरी कर दिया. प्रकरण में पुलिस द्वारा की गई जांच में पाई गई चूक की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया. एसआईटी ने अलवर पुलिस को लापरवाही के लिए जिम्मेदार ठहराया और सतर्कता विभाग को आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने के निर्देश दिए.


सितंबर माह : 6 सितंबर को अलवर के बहरोड़ थाने में लॉकअप में बंद हरियाणा के कुख्यात गैंगस्टर विक्रम सिंह उर्फ पपला को 1 दर्जन से ज्यादा हथियारों से लैस बदमाश थाने पर फायरिंग कर लॉकअप का ताला तोड़कर भगा ले गए. इस घटनाक्रम के बाद पूरे देश में राजस्थान पुलिस की किरकिरी हुई. डीजीपी भूपेंद्र सिंह यादव खुद बहरोड़ थाने पहुंचे और घटनाक्रम की जानकारी ली. मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच एसओजी को सौंपी गई. इस पूरे प्रकरण में एसओजी ने 13 शातिर बदमाशों को गिरफ्तार किया. विक्रम सिंह उर्फ पपला आज भी राजस्थान पुलिस की गिरफ्त से काफी दूर है.

अक्टूबर माह : राजधानी जयपुर में मादक पदार्थों की तस्करी लगातार बढ़ने लगी. जयपुर पुलिस की आंखों के सामने तस्करों का बड़ा खेल चलता रहा, लेकिन पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रही. पुलिस मुख्यालय की सीआईडी सीबी टीम ने राजधानी के मानसरोवर थाना इलाके में मादक पदार्थों की एक बड़ी खेप पकड़ते हुए 1 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की कीमत का गांजा बरामद किया. जिसके बाद जयपुर पुलिस ने मादक पदार्थों की तस्करी रोकने और तस्करों पर नकेल कसने के लिए ऑपरेशन क्लीन स्वीप की शुरुआत की.

यह भी पढे़ं : स्पेशल: राजस्थान की इस बिटिया ने बढ़ाया मान, देश-दुनिया में रोशन किया नाम

नवंबर माह : इस महीने प्रदेश में 2 ऐसी बड़ी घटनाएं हुईं, जिन्होंने मानवता को शर्मसार कर दिया.

  • 7 नवंबर को भरतपुर में आगरा रोड हाईवे पर स्थित पॉश कॉलोनी सूर्य सिटी में एक डॉक्टर की पत्नी ने अपने पति की कथित प्रेमिका और उसके 6 साल के मासूम को आग के हवाले कर दिया.आरोपी महिला ने पति की प्रेमिका के घर में आग लगाकर घर के बाहर कुंडी लगा दी और आग की चपेट में आने से प्रेमिका और उसके 6 साल के बेटे की दर्दनाक मौत हो गई. इस घटना को अंजाम देने में डॉक्टर की मां ने भी अपनी बहू का साथ दिया और वारदात में मौजूद रही. पुलिस ने डॉक्टर की आरोपी पत्नी डॉ सीमा गुप्ता और उसकी मां को गिरफ्तार कर लिया.
  • 30 नवंबर को टोंक जिले के अलीगढ़ थाना इलाके में एक 6 साल की मासूम का अपहरण कर उसके साथ दरिंदगी की गई और फिर निर्मम हत्या कर दी गई. मासूम 30 नवंबर की दोपहर को लापता हुई थी, जिसका शव अगले दिन झाड़ियों के पीछे मिला था. इस पूरे प्रकरण में पुलिस ने मासूम के साथ दरिंदगी करने वाले आरोपी महेंद्र मीणा को गिरफ्तार किया. इंसानियत को झकझोर कर रख देने वाली इस वारदात के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी कहा, कि दोषी को बख्शा नहीं जाएगा. मुख्यमंत्री की ओर से मासूम के परिवार को 5 लाख रुपए की आर्थिक सहायता भी दी गई.


दिसंबर माह : प्रदेश में कोई भी बड़ी वारदात घटित नहीं हुई, लेकिन ये महीना राजस्थान पुलिस के लिए गंभीर चिंतन का महीना रहा. जिसमें पूरे साल भर में घटित हुई बड़ी घटनाओं को लेकर समीक्षा की गई. जिसमें पुलिस की गलतियों को लेकर मंथन किया गया.

जयपुर. राजस्थान पुलिस का ध्येय वाक्य 'आमजन में विश्वास और अपराधियों में भय' साल 2019 में चरितार्थ होता नजर नहीं आया. प्रदेश में ऐसी कई बड़ी घटनाएं और वारदातें हुईं, जिसने मानवता को शर्मसार कर दिया. इन घटनाओं को लेकर पूरे देश में राजस्थान पुलिस की किरकिरी भी हुई.

राजस्थान में साल 2019 में हुई आपराधिक घटनाएं

साल 2019 की शुरुआत शांतिपूर्ण रही

जनवरी माह : जनवरी का महीना शांतिपूर्वक निकला तो राजस्थान पुलिस को लगा, कि पूरा साल ऐसे ही निकल जाएगा, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं हुआ. फरवरी से लेकर नवंबर महीने तक लगातार एक के बाद एक ऐसी घटनाएं घटित हुईं, जिसकी कल्पना भी शायद किसी ने नहीं की थी.

फरवरी-अक्टूबर तक हुई बड़ी घटनाएं:

फरवरी माह : जयपुर सेंट्रल जेल में बंद पाकिस्तानी कैदी शकरुल्लाह की पत्थर से वार कर निर्मम हत्या कर दी गई. 20 फरवरी को जेल के अंदर टेलीविजन की वॉल्यूम को कम करने की बात पर हुए विवाद के चलते पाकिस्तानी कैदी शकरुल्लाह को मौत के घाट उतार दिया गया. इस घटनाक्रम के बाद तत्कालीन जेल अधीक्षक को सस्पेंड कर दिया गया था.


मार्च-अप्रैल माह : मार्च और अप्रैल महीना राजस्थान पुलिस के लिए संतोषजनक रहा. इस दौरान कोई भी बड़ा घटनाक्रम घटित नहीं हुआ. लेकिन यह एक बड़े तूफान के आने से पहले पसरे सन्नाटा की तरह था. मई से लेकर नवंबर महीने तक ऐसी बड़ी और घिनौनी घटनाएं घटित हुईं, जिससे राजस्थान पुलिस चाहकर भी उबर नहीं पाई.

मई माह :1 मई को अलवर के थानागाजी इलाके में एक दलित महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म का प्रकरण सामने आया. अपने पति के साथ यात्रा कर रही एक दलित महिला को 5 दरिंदों ने दुष्कर्म का शिकार बनाया. यही नहीं दरिंदों ने घटना के वीडियो रिकॉर्ड किए और उन्हें सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया. इस पूरे घटनाक्रम में राजस्थान पुलिस का अमानवीय चेहरा देखने को मिला. घटना की जानकारी मिलने के बाद भी पुलिस ने कई दिनों तक FIR दर्ज नहीं की.

इस मामले की गंभीरता को देखते हुए राजस्थान सरकार ने प्रकरण की जांच के लिए आला अधिकारियों की एक कमेटी गठित की और इसके साथ ही ढिलाई बरतने पर पुलिसकर्मियों को निलंबित किया. 16 मई को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दलित महिला के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना के बाद अलवर जिले का विभाजन करते हुए जिले में 2 एसपी लगाने की घोषणा की.

यह भी पढ़ें- अलविदा 2019: कपड़ा उद्यमियों के लिए ये साल रहा रहा घाटे का सौदा

जून माह :11 जून को राजधानी के करधनी थाना इलाके में खनन माफियाओं ने कॉलोनी के अंदर से बजरी से भरे हुए डंपर ले जाने से रोकने पर 60 वर्षीय किशोर सिंह की निर्मम हत्या कर दी. किशोर सिंह ने कॉलोनी से गुजरने वाले अवैध खनन की बजरी से भरे हुए ट्रकों पर आपत्ति जताई थी, जिसके चलते खनन माफिया ने किशोर सिंह की हत्या की वारदात को अंजाम दिया. मृतक के परिजन कई बार पुलिस से गुहार लगा चुके थे, लेकिन पुलिस ने जरा भी ध्यान नहीं दिया. इस वारदात के बाद कई दिनों तक बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन हुए और दबाव के चलते पुलिस ने कार्रवाई करते हुए हत्यारे को गिरफ्तार कर लिया.

जुलाई माह : जुलाई महीना राजस्थान पुलिस के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहा और इस दौरान प्रदेश में तीन बड़ी घटनाएं घटित हुईं.

  • 1 जुलाई को राजधानी के शास्त्री नगर थाना इलाके में 7 साल की एक मासूम को अगवा कर दरिंदगी का शिकार बनाया गया. इस घटनाक्रम के बाद भीड़ काफी उग्र हुई और राजधानी की कानून-व्यवस्था बिगड़ गई. गुस्साई भीड़ ने घरों के बाहर खड़े वाहनों में जमकर तोड़फोड़ की. प्रकरण में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 6 जुलाई को 7 साल की मासूम के साथ दरिंदगी करने वाले जीवाणु उर्फ सिकंदर को गिरफ्तार किया. आरोपी ने पुलिस पूछताछ में 22 जून को शास्त्री नगर इलाके में ही एक 4 साल की मासूम के साथ दरिंदगी करने की बात भी कबूली.
  • 13 जुलाई को चुरू जिले के सरदारशहर पुलिस थाने में एक 35 वर्षीय दलित महिला के साथ सामूहिक बलात्कार का मामला सामने आया. पीड़ित महिला ने पुलिसकर्मियों पर सामूहिक दुष्कर्म के साथ ही उसके जीजा को मौत के घाट उतारने के संगीन आरोप लगाए. पीड़ित महिला के शरीर पर चोटों के गंभीर निशान पाए गए और उसे इलाज के लिए राजधानी के एसएमएस अस्पताल में भर्ती करवाया गया. इस पूरे प्रकरण में सरदारशहर पुलिस स्टेशन के एसएचओ सहित 9 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया. वहीं चूरू जिले के तत्कालीन एसपी राजेंद्र कुमार को हटा दिया गया और डीएसपी भंवरलाल को निलंबित कर दिया गया.
  • 27 जुलाई को राजधानी के वैशाली नगर थाने में एक 35 वर्षीय दुष्कर्म पीड़िता ने आत्मदाह कर लिया. पीड़िता ने पुलिस पर प्रताड़ित करने और साथ ही चरित्रहीन बोलने के आरोप लगाए. इस प्रकरण में वैशाली नगर थाने के एसएचओ को निलंबित कर दिया गया.

यह भी पढ़ें- अलविदा 2019: बूंदी में आई प्राकृतिक आपदा इस साल दे गई कई जख्म, 11 लोगों की गई थी जान; 2025 आशियाने तबाह

अगस्त माह : इस महीने 2 बड़े घटनाक्रम हुए, जो राजस्थान पुलिस के लिए बड़ी चुनौती रहे.

  • 10 अगस्त को राजधानी जयपुर के परकोटे में हिंसा भड़क गई, जो बाद में एक बड़ी झड़प में बदल गई. जिसमें पुलिस अधिकारियों सहित एक दर्जन से ज्यादा लोग घायल हो गए. सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगड़ने पर राजधानी के 10 थाना क्षेत्रों में धारा 144 लागू की गई. जिसके बाद भी हिंसा जारी रही. बाद में हिंसा भड़काने वाले 100 से ज्यादा लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया.
  • पहलू खान मॉब लिंचिंग प्रकरण में 13 अगस्त को अलवर की स्थानीय अदालत ने सभी 6 आरोपियों को बरी कर दिया. प्रकरण में पुलिस द्वारा की गई जांच में पाई गई चूक की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया. एसआईटी ने अलवर पुलिस को लापरवाही के लिए जिम्मेदार ठहराया और सतर्कता विभाग को आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने के निर्देश दिए.


सितंबर माह : 6 सितंबर को अलवर के बहरोड़ थाने में लॉकअप में बंद हरियाणा के कुख्यात गैंगस्टर विक्रम सिंह उर्फ पपला को 1 दर्जन से ज्यादा हथियारों से लैस बदमाश थाने पर फायरिंग कर लॉकअप का ताला तोड़कर भगा ले गए. इस घटनाक्रम के बाद पूरे देश में राजस्थान पुलिस की किरकिरी हुई. डीजीपी भूपेंद्र सिंह यादव खुद बहरोड़ थाने पहुंचे और घटनाक्रम की जानकारी ली. मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच एसओजी को सौंपी गई. इस पूरे प्रकरण में एसओजी ने 13 शातिर बदमाशों को गिरफ्तार किया. विक्रम सिंह उर्फ पपला आज भी राजस्थान पुलिस की गिरफ्त से काफी दूर है.

अक्टूबर माह : राजधानी जयपुर में मादक पदार्थों की तस्करी लगातार बढ़ने लगी. जयपुर पुलिस की आंखों के सामने तस्करों का बड़ा खेल चलता रहा, लेकिन पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रही. पुलिस मुख्यालय की सीआईडी सीबी टीम ने राजधानी के मानसरोवर थाना इलाके में मादक पदार्थों की एक बड़ी खेप पकड़ते हुए 1 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की कीमत का गांजा बरामद किया. जिसके बाद जयपुर पुलिस ने मादक पदार्थों की तस्करी रोकने और तस्करों पर नकेल कसने के लिए ऑपरेशन क्लीन स्वीप की शुरुआत की.

यह भी पढे़ं : स्पेशल: राजस्थान की इस बिटिया ने बढ़ाया मान, देश-दुनिया में रोशन किया नाम

नवंबर माह : इस महीने प्रदेश में 2 ऐसी बड़ी घटनाएं हुईं, जिन्होंने मानवता को शर्मसार कर दिया.

  • 7 नवंबर को भरतपुर में आगरा रोड हाईवे पर स्थित पॉश कॉलोनी सूर्य सिटी में एक डॉक्टर की पत्नी ने अपने पति की कथित प्रेमिका और उसके 6 साल के मासूम को आग के हवाले कर दिया.आरोपी महिला ने पति की प्रेमिका के घर में आग लगाकर घर के बाहर कुंडी लगा दी और आग की चपेट में आने से प्रेमिका और उसके 6 साल के बेटे की दर्दनाक मौत हो गई. इस घटना को अंजाम देने में डॉक्टर की मां ने भी अपनी बहू का साथ दिया और वारदात में मौजूद रही. पुलिस ने डॉक्टर की आरोपी पत्नी डॉ सीमा गुप्ता और उसकी मां को गिरफ्तार कर लिया.
  • 30 नवंबर को टोंक जिले के अलीगढ़ थाना इलाके में एक 6 साल की मासूम का अपहरण कर उसके साथ दरिंदगी की गई और फिर निर्मम हत्या कर दी गई. मासूम 30 नवंबर की दोपहर को लापता हुई थी, जिसका शव अगले दिन झाड़ियों के पीछे मिला था. इस पूरे प्रकरण में पुलिस ने मासूम के साथ दरिंदगी करने वाले आरोपी महेंद्र मीणा को गिरफ्तार किया. इंसानियत को झकझोर कर रख देने वाली इस वारदात के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी कहा, कि दोषी को बख्शा नहीं जाएगा. मुख्यमंत्री की ओर से मासूम के परिवार को 5 लाख रुपए की आर्थिक सहायता भी दी गई.


दिसंबर माह : प्रदेश में कोई भी बड़ी वारदात घटित नहीं हुई, लेकिन ये महीना राजस्थान पुलिस के लिए गंभीर चिंतन का महीना रहा. जिसमें पूरे साल भर में घटित हुई बड़ी घटनाओं को लेकर समीक्षा की गई. जिसमें पुलिस की गलतियों को लेकर मंथन किया गया.

Intro:जयपुर
एंकर- वर्ष 2019 कुछ ही समय में अलविदा होने वाला है और वर्ष 2020 का आगाज होने वाला है। यदि बात की जाए राजस्थान पुलिस की तो वर्ष 2019 राजस्थान पुलिस के लिए काफी चुनौतियों से भरा हुआ रहा। वर्ष 2019 में राजस्थान में ऐसी अनेक बड़ी घटनाएं घटित हुई जिसने ना केवल पुलिस की कार्यशैली पर सवालिया निशान उठाए बल्कि मानवता को भी झकझोर कर रख दिया। मासूमों के साथ दरिंदगी, महिलाओं पर अत्याचार या फिर लॉकअप में से शातिर बदमाश को भगाकर ले जाने की वारदात यह तमाम बड़ी चुनौतियों में से महज कुछ घटनाएं हैं जिसने राजस्थान पुलिस को पूरी तरह से हिला कर रख दिया।


Body:वीओ- राजस्थान पुलिस का ध्येय वाक्य 'आमजन में विश्वास और अपराधियों में भय' वर्ष 2019 में चरितार्थ होता हुआ नजर नहीं आया। प्रदेश में ऐसी बड़ी घटनाएं और वारदातें घटित हुई जिसने मानवता को शर्मसार करके रख दिया और उन घटनाओं को लेकर पूरे देश में राजस्थान पुलिस की किरकिरी भी हुई। वर्ष 2019 में जनवरी माह शांतिपूर्वक निकला तो राजस्थान पुलिस को लगा कि पूरा वर्ष शांतिपूर्वक निकल जाएगा लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं हुआ, फरवरी से लेकर नवंबर माह तक लगातार एक के बाद एक ऐसी घटनाएं घटित हुई जिसकी कल्पना भी शायद किसी ने नहीं की थी।

वर्ष 2019 में फरवरी माह से लेकर अक्टूबर माह तक प्रदेश में घटित हुई बड़ी घटनाओं पर एक नजर:

फरवरी माह- जयपुर सेंट्रल जेल में बंद पाकिस्तानी कैदी शकरुल्लाह की पत्थर से वार करके निर्मम हत्या कर दी गई। 20 फरवरी को जेल के अंदर टेलीविजन की वॉल्यूम को कम करने की बात पर उपजे विवाद के चलते पाकिस्तानी कैदी शकरुल्लाह को मौत के घाट उतार दिया गया। इस घटनाक्रम के बाद तत्कालीन जेल अधीक्षक को सस्पेंड कर दिया गया।

मार्च और अप्रैल माह- वर्ष 2019 का मार्च और अप्रैल माह राजस्थान पुलिस के लिए संतोषजनक रहा और इस दौरान कोई भी बड़ा घटनाक्रम घटित नहीं हुआ। लेकिन यह एक बड़े तूफान के आने से पहले पसरे सन्नाटा की तरह था। मई माह से लेकर नवंबर माह तक ऐसी बड़ी और घिनौनी घटनाएं घटित हुई जिससे राजस्थान पुलिस चाहकर भी नहीं उबर पाई।

मई माह- 1 मई को अलवर के थानागाजी इलाके में एक दलित महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म करने का प्रकरण सामने आया। अपने पति के साथ यात्रा कर रही एक दलित महिला को 5 दरिंदों ने दुष्कर्म का शिकार बनाया। यही नहीं दरिंदों ने घटना के वीडियो रिकॉर्ड किए और उन्हें सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया। इस पूरे घटनाक्रम में राजस्थान पुलिस का अमानवीय चेहरा देखने को मिला जहां घटना की जानकारी मिलने के बाद भी पुलिस ने कई दिनों तक एफआईआर दर्ज नहीं की। मामले की गंभीरता को देखते हुए राजस्थान सरकार ने प्रकरण की जांच के लिए आला अधिकारियों की एक कमेटी गठित की और इसके साथ ही ढिलाई बरतने पर पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया। वहीं 16 मई को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दलित महिला के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना के बाद अलवर जिले का विभाजन करते हुए जिले में दो एसपी लगाने की घोषणा की।

जून माह- 11 जून को राजधानी के करधनी थाना इलाके में खनन माफियाओं ने कॉलोनी के अंदर से बजरी से भरे हुए डंपर ले जाने से रोकने पर 60 वर्षीय किशोर सिंह की निर्मम हत्या कर दी। किशोर सिंह ने कॉलोनी से गुजरने वाले अवैध खनन की बजरी से भरे हुए ट्रकों पर आपत्ति जताई थी जिसके चलते खनन माफिया ने किशोर सिंह की हत्या की वारदात को अंजाम दिया। मृतक इस बारे में अनेक बार पुलिस से गुहार लगा चुका था लेकिन पुलिस ने इस ओर जरा भी ध्यान नहीं दिया। वहीं इस वारदात के बाद कई दिनों तक बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन हुए और दबाव के चलते पुलिस ने कार्रवाई करते हुए हत्यारे को गिरफ्तार कर लिया।

जुलाई माह- वर्ष 2019 का जुलाई माह राजस्थान पुलिस के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहा और इस दौरान प्रदेश में तीन बड़ी घटनाएं घटित हुई।

- 1 जुलाई को राजधानी के शास्त्रीनगर थाना इलाके में 7 साल की एक मासूम को अगवा कर दरिंदगी का शिकार बनाया गया। इस घटनाक्रम के बाद भीड़ काफी उग्र हुई और राजधानी की कानून व्यवस्था बिगड़ गई। गुस्साई भीड़ ने घरों के बाहर खड़े वाहनों में जमकर तोड़फोड़ की। प्रकरण में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 6 जुलाई को 7 साल की मासूम के साथ दरिंदगी करने वाले जीवाणु उर्फ सिकंदर को गिरफ्तार किया। आरोपी ने पुलिस पूछताछ में 22 जून को शास्त्रीनगर इलाके में ही एक 4 साल की मासूम के साथ दरिंदगी करने की बात भी कबूली।

- 13 जुलाई को चुरू जिले के सरदारशहर पुलिस थाने में एक 35 वर्षीय दलित महिला के साथ सामूहिक बलात्कार का मामला सामने आया। पीड़ित महिला ने पुलिसकर्मियों पर सामूहिक दुष्कर्म के साथ ही उसके जीजा को मौत के घाट उतारने के संगीन आरोप लगाए। पीड़ित महिला के शरीर पर चोटों के गंभीर निशान पाए गए और उसे इलाज के लिए राजधानी के एसएमएस अस्पताल में भर्ती करवाया गया। इस पूरे प्रकरण में सरदारशहर पुलिस स्टेशन के एसएचओ सहित 9 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया। वहीं चूरू जिले के तत्कालीन एसपी राजेंद्र कुमार को हटा दिया गया और डीएसपी भंवरलाल को निलंबित कर दिया गया।

- 27 जुलाई को राजधानी के वैशाली नगर थाने में एक 35 वर्षीय दुष्कर्म पीड़िता ने आत्मदाह कर लिया। पीड़िता ने पुलिस पर प्रताड़ित करने और साथ ही चरित्रहीन बोलने के आरोप लगाए। इस प्रकरण में वैशाली नगर थाने के एसएचओ को निलंबित कर दिया गया।

अगस्त माह- वर्ष 2019 के अगस्त माह में भी दो बडे घटनाक्रम घटित हुए जो राजस्थान पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती रहे

- 10 अगस्त को राजधानी जयपुर के परकोटे में हिंसा भड़क गई जो बाद में एक बड़ी झड़प में बदल गई। जिसमें पुलिस अधिकारियों सहित एक दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए। सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने पर राजधानी के 10 थाना क्षेत्रों में धारा 144 लागू की गई, जिसके बाद भी हिंसा जारी रही। जिसके बाद हिंसा भड़काने वाले 100 से अधिक लोगों को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया।

- पहलू खान मॉब लिंचिंग प्रकरण में 13 अगस्त को अलवर की स्थानीय अदालत ने सभी छह आरोपियों को बरी कर दिया। प्रकरण में पुलिस द्वारा की गई जांच में पाई गई चूक की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया। एसआईटी ने अलवर पुलिस को लापरवाही के लिए जिम्मेदार ठहराया और सतर्कता विभाग को आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने के निर्देश दिए।

सितंबर माह- 6 सितंबर को अलवर के बहरोड थाने में लॉकअप में बंद हरियाणा के कुख्यात गैंगस्टर विक्रम सिंह उर्फ पपला को 1 दर्जन से अधिक हथियारों से लैस बदमाश थाने पर फायरिंग कर लॉकअप का ताला तोड़कर भगा ले गए। इस घटनाक्रम के बाद पूरे देश में राजस्थान पुलिस की किरकिरी हुई। डीजीपी भूपेंद्र सिंह यादव खुद बहरोड थाने पहुंचे और घटनाक्रम की जानकारी ली। मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच एसओजी को सौंपी गई। इस पूरे प्रकरण में एसओजी द्वारा 13 शातिर बदमाशों को गिरफ्तार किया गया। वहीं विक्रम सिंह उर्फ पपला आज भी राजस्थान पुलिस की गिरफ्त से काफी दूर है।

अक्टूबर माह- राजधानी जयपुर में मादक पदार्थों की तस्करी लगातार बढ़ने लगी। जयपुर पुलिस के आंखों के सामने तस्करों का बड़ा खेल चलता रहा लेकिन पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रही। पुलिस मुख्यालय की सीआईडी सीबी टीम ने राजधानी के मानसरोवर थाना इलाके में मादक पदार्थों की एक बड़ी खेप पकड़ते हुए 1 करोड रुपए से भी अधिक की कीमत का गांजा बरामद किया। जिसके बाद जयपुर पुलिस द्वारा मादक पदार्थों की तस्करी रोकने और तस्करों पर नकेल कसने के लिए ऑपरेशन क्लीन स्वीप की शुरुआत की गई।

नवंबर माह- वर्ष 2019 के नवंबर माह में प्रदेश में दो ऐसी बड़ी घटनाएं घटित हुई जिन्होंने मानवता को शर्मसार कर दिया

- 7 नवंबर को भरतपुर में आगरा रोड हाईवे पर स्थित पॉश कॉलोनी सूर्य सिटी में एक डॉक्टर की पत्नी ने अपने पति की कथित प्रेमिका और उसके 6 साल के मासूम को आग के हवाले कर दिया। आरोपी महिला ने पति की प्रेमिका के घर में आग लगाकर घर के बाहर कुंडी लगा दी और आग की चपेट में आने से प्रेमिका और उसके 6 साल के बेटे की दर्दनाक मौत हो गई। इस घटना को अंजाम देने में डॉक्टर की मां ने भी अपनी बहू का साथ दिया और वारदात में मौजूद रही। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए डॉक्टर की आरोपी पत्नी डॉ सीमा गुप्ता और उसकी मां को गिरफ्तार कर लिया

- 30 नवंबर को टोंक जिले के अलीगढ़ थाना इलाके में एक 6 साल की मासूम का अपहरण कर उसके साथ दरिंदगी की गई और फिर निर्मम हत्या कर दी गई। मासूम 30 नवंबर की दोपहर को लापता हुई थी जिसका शव अगले दिन झाड़ियों के पीछे मिला था। इस पूरे प्रकरण में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए मासूम के साथ दरिंदगी करने वाले आरोपी महेंद्र मीणा को गिरफ्तार किया। इंसानियत को झकझोर कर रख देने वाली इस वारदात के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी कहा कि दोषी को बख्शा नहीं जाएगा और इसके साथ ही मुख्यमंत्री की ओर से मासूम के परिवार को पांच लाख रुपए की आर्थिक सहायता भी दी गई।

दिसंबर माह में प्रदेश में कोई भी बड़ी वारदात घटित नहीं हुई लेकिन दिसंबर माह राजस्थान पुलिस के लिए एक गंभीर चिंतन का माह रहा। जिसमें पूरे वर्ष भर में घटित हुई बड़ी घटनाओं को लेकर समीक्षा की गई। पुलिस द्वारा क्या गलतियां की गई इस पर गहन मंथन किया गया। उम्मीद है कि आने वाला नव वर्ष 2020 राजस्थान पुलिस के साथ-साथ प्रदेश की जनता के लिए भी सुखद रहे और जो गलतियां व कमियां वर्ष 2019 में रही उन्हें वर्ष 2020 में ना दोहराया जाए।


Conclusion:
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