जयपुर. सड़कों और गलियों में घूमने वाली गायों के लिए अब आवारा शब्द का इस्तेमाल नहीं होगा. ग्रेटर नगर निगम के उपमहापौर पुनीत कर्णावट की पहल पर आयुक्त दिनेश यादव ने इस संबंध में आदेश जारी किए हैं. जिसके तहत अब सभी आदेशों, कामकाज और आपसी संवाद की भाषा में ऐसी गायों के लिए आश्रयहीन या बेसहारा गाय शब्द का इस्तेमाल किया जाएगा.
लोग पालतू गायों को सड़कों पर छोड़ देते हैं, ऐसे में कार्य प्रणाली को और दुरुस्त करने की आवश्यकता जताते हुए ग्रेटर नगर निगम डिप्टी मेयर पुनीत कर्णावट की पहल पर अब नगर निगम के विभिन्न पत्रावलियों और संवाद में गायों को आश्रयहीन या बेसहारा गाय शब्द का इस्तेमाल किया जाएगा. ईटीवी भारत से खास बातचीत में कर्णावत ने बताया कि नगर निगम की विभिन्न पत्रावलिओं के परीक्षण और शहर में विभिन्न स्थानों पर दौरे के दौरान ये बात सामने आई कि सड़क, गली या अन्य स्थानों पर खुले में घूमने वाली गायों के लिए आवारा गाय शब्द का इस्तेमाल किया जाता है.
उन्होंने कहा कि इस शब्द को सुनकर और कागजों में देखकर मन आहत हुआ क्योंकि एक ओर हम जिसे गौमाता कहते हैं, उसे ही आवारा कह रहे हैं. उन्होंने कहा कि भारतीय सभ्यता और संस्कृति में गाय का स्थान सर्वश्रेष्ठ है. गाय का सांस्कृतिक, सामाजिक और धार्मिक महत्व है. जन भावना के अनुरूप गौमाता के इसी महत्व और सम्मान को बरकरार रखने के लिए गाय के लिए आवारा के बजाय आश्रयहीन या बेसहारा शब्द इस्तेमाल करने का फैसला लिया गया है.
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उन्होंने शहर में पशु प्रबंधन को एक चुनौती बताते हुए कहा कि ये किसी भी बढ़ते हुए शहर की बड़ी समस्या है. आवारा पशुओं से यातायात, आम आदमी सभी प्रभावित होते हैं और सुरक्षा की दृष्टि से भी ये ठीक नहीं।. हालांकि ग्रेटर नगर निगम में इस संबंध में डिटेल में वर्किंग करने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने कहा कि अब हिंगोनिया गौशाला के अतिरिक्त भी दूसरी गौशालाओं से भी आग्रह किया जाएगा कि वो बेसहारा गौ माता को लें और उनका लालन-पालन करें.
वहीं उन्होंने शहर में संचालित अवैध डेयरियों को भी शहर के विकास को अवरुद्ध करने वाला बताया. साथ ही जयपुर शहर को एक बताते हुए बीते दिनों ग्रेटर नगर निगम की महापौर की तरफ से हेरिटेज नगर निगम क्षेत्र में की गई कार्रवाई को सही ठहराया.