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स्वयं सहायता समूहों से पोषण सामग्री का वितरण क्यों नहीं: हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, राज्य के मुख्य सचिव, प्रमुख महिला एवं बाल विकास सचिव और बाल विकास निदेशालय को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. याचिका में बताया गया कि, आईसीडीएस के तहत 6 साल तक के बच्चों, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को पोषण सामग्री वितरण का काम स्वयं सहायता समूह से नहीं करवाकर आंगनबाड़ी केंद्रों से करवाया जा रहा है.

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महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस
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Published : Jul 23, 2020, 7:42 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने आईसीडीएस के तहत 6 साल तक के बच्चों, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को पोषण सामग्री वितरण का काम स्वयं सहायता समूह के बजाय आंगनबाड़ी केंद्रों के जरिए कराने पर केंद्र और राज्य सरकार से जवाब तलब किया है.

अदालत ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, राज्य के मुख्य सचिव, प्रमुख महिला एवं बाल विकास सचिव और बाल विकास निदेशालय को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने आदेश स्नेहलता की ओर से दायर याचिका पर दिए.

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याचिका में अधिवक्ता नयाना सर्राफ ने अदालत को बताया कि 6 साल तक के बच्चों, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के पोषण के लिए सरकार ने आईसीडीएस योजना शुरू की थी. वहीं योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2001 में पोषण सामग्री का वितरण डिसेंट्रलाइज व्यवस्था से कराने को कहा था. जिसके चलते प्रदेश में महिलाओं के स्वयं सहायता समूह को यह काम दिया गया.

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याचिका में कहा गया कि, राज्य सरकार ने कोरोना संक्रमण की आड़ में यह काम स्वयं सहायता समूह से लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को दे दिया. वहीं समूह के बकाया करीब 400 करोड़ रुपए का भुगतान भी नहीं किया गया. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने लाभान्वित को 300 दिन पोषण सामग्री वितरण को कहा था, लेकिन गत तीन माह से इसका वितरण भी नहीं किया गया है. याचिका में कहा गया कि, अदालती आदेश की पालना में पोषण का काम स्वयं सहायता समूहों से ही कराया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने आईसीडीएस के तहत 6 साल तक के बच्चों, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को पोषण सामग्री वितरण का काम स्वयं सहायता समूह के बजाय आंगनबाड़ी केंद्रों के जरिए कराने पर केंद्र और राज्य सरकार से जवाब तलब किया है.

अदालत ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, राज्य के मुख्य सचिव, प्रमुख महिला एवं बाल विकास सचिव और बाल विकास निदेशालय को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने आदेश स्नेहलता की ओर से दायर याचिका पर दिए.

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याचिका में अधिवक्ता नयाना सर्राफ ने अदालत को बताया कि 6 साल तक के बच्चों, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के पोषण के लिए सरकार ने आईसीडीएस योजना शुरू की थी. वहीं योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2001 में पोषण सामग्री का वितरण डिसेंट्रलाइज व्यवस्था से कराने को कहा था. जिसके चलते प्रदेश में महिलाओं के स्वयं सहायता समूह को यह काम दिया गया.

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याचिका में कहा गया कि, राज्य सरकार ने कोरोना संक्रमण की आड़ में यह काम स्वयं सहायता समूह से लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को दे दिया. वहीं समूह के बकाया करीब 400 करोड़ रुपए का भुगतान भी नहीं किया गया. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने लाभान्वित को 300 दिन पोषण सामग्री वितरण को कहा था, लेकिन गत तीन माह से इसका वितरण भी नहीं किया गया है. याचिका में कहा गया कि, अदालती आदेश की पालना में पोषण का काम स्वयं सहायता समूहों से ही कराया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

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