जयपुर. राजस्थान हाइकोर्ट ने शहर की सफाई व्यवस्था से जुड़े मामले में राज्य सरकार की ओर से पेश किए गए शपथ पत्र से संतुष्ठ नहीं होने पर न्यायमित्र विमल चौधरी को लिखित तौर पर आपत्ति देने को कहा (Court asked Nyaya Mitra to file objection) है. वहीं अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि पब्लिक में सिविक सेंस होगा, तो शहर में भी सफाई रहेगी. इसके लिए सभी को जागरूक रहने की जरूरत है.
वहीं मामले की सुनवाई अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में रखी है. एक्टिंग सीजे एमएम श्रीवास्तव व जस्टिस वीके भारवानी की खंडपीठ ने यह आदेश शहर की सफाई व्यवस्था पर लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए. सुनवाई के दौरान अदालती आदेश के पालन में ग्रेटर नगर निगम कमिश्नर महेन्द्र सोनी व हेरिटेज निगम के अतिरिक्त कमिश्नर सहित अन्य अधिकारी पेश हुए. इस दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता एएजी अनिल मेहता ने कहा कि पूर्व में सफाई व्यवस्था की जानकारी को लेकर शपथ पत्र पेश किया जा चुका है.
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शहर में सुचारु तरीके से सफाई हो रही है और डोर टू डोर कचरा कलेक्शन हो रहा है. इस पर आपत्ति करते हुए न्यायमित्र विमल चौधरी ने कहा कि निगम रिकार्ड सहित यह बताए कि ये सफाईकर्मी किस-किस जगह पर काम कर रहे हैं. कचरा जमा होने पर उसे 8 दिनों में उठाया जाता है और कचरा फेंकने वालों पर कोई चालान नहीं हो रहा. इस पर अदालत ने न्यायमित्र को कहा कि यदि उन्हें राज्य सरकार के शपथ पत्र पर कोई आपत्ति है, तो वे लिखित रूप में दें. गौरतलब है कि पिछली सुनवाई पर भी राज्य सरकार ने शहर में सफाई व्यवस्था बेहतर रहने का दावा किया था, लेकिन न्यायमित्र ने मौखिक रूप से आपत्ति दर्ज कराई थी.