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पट्टों के प्रारूप पर उठे सवाल : मेयर, सभापति और अध्यक्ष के हस्ताक्षर के बिना जारी होंगे प्रशासन शहरों के संग अभियान में दिए जाने वाले पट्टे - campaign with the administration cities

पट्टों के आकार से लेकर प्रिंटिंग तक हर छोटी-बड़ी बात का ध्यान रखा गया है. लेकिन इन पट्टों पर मेयर, सभापति और अध्यक्ष के हस्ताक्षर का कॉलम नहीं बनाया गया है. जिसे लेकर ग्रेटर नगर निगम के उपमहापौर पुनीत कर्णावट ने सवाल उठाते हुए कहा कि स्थानीय निकायों के सदस्यों द्वारा चुना गया जनप्रतिनिधि नगर पालिका, निगम परिषद और नगर निगम का मुखिया होता है.

पट्टों के प्रारूप पर उठे सवाल
पट्टों के प्रारूप पर उठे सवाल
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Published : Sep 14, 2021, 9:28 PM IST

जयपुर. नगर निगम, नगर परिषद और नगर पालिका की ओर से अब तक जारी होते आए पट्टों पर मेयर, सभापति और अध्यक्ष के भी हस्ताक्षर होते हैं. हालांकि प्रशासन शहरों के संग अभियान में आवंटित किए जाने वाले पट्टों के प्रारूप में मेयर, सभापति और अध्यक्ष के हस्ताक्षर कॉलम नहीं दिए गए हैं.

इसे नियम विरुद्ध बताते हुए ग्रेटर नगर निगम के उपमहापौर पुनीत कर्णावट ने राज्य सरकार की ओर से जनप्रतिनिधियों की भूमिका और अधिकारों को कम करके स्थानीय निकायों की स्वायत्तता खत्म करने के प्रयास का आरोप लगाया है.

प्रशासन शहरों के संग अभियान में पट्टे वितरण से पहले ही पट्टों के प्रारूप को लेकर सवाल उठ रहे हैं. राज्य सरकार ने इस बार पट्टों का प्रारूप बदलते हुए उन्हें रंगीन किया है. आवासीय उपयोग, व्यवसायिक/पर्यटन उपयोग, मिश्रित उपयोग, संस्थागत उपयोग, औद्योगिक उपयोग और 69ए के पट्टे (हेरिटेज) अलग-अलग (पीले, लाल, नारंगी, नीले, बैंगनी और गेरुआ) रंग में जारी किए जाएंगे.

पट्टों के आकार से लेकर प्रिंटिंग तक हर छोटी-बड़ी बात का ध्यान रखा गया है. लेकिन इन पट्टों पर मेयर, सभापति और अध्यक्ष के हस्ताक्षर का कॉलम नहीं बनाया गया है. जिसे लेकर ग्रेटर नगर निगम के उपमहापौर पुनीत कर्णावट ने सवाल उठाते हुए कहा कि स्थानीय निकायों के सदस्यों द्वारा चुना गया जनप्रतिनिधि नगर पालिका, निगम परिषद और नगर निगम का मुखिया होता है.

पढ़ें- संपर्क पोर्टल : कहीं फेल, कहीं पास, शिकायतों के निस्तारण में पिछड़ गए राजस्थान के कई जिले..समय पर नहीं हो रहा समाधान

जिसे क्षेत्र की सम्पूर्ण जानकारी होती है. भूखण्ड की वास्तविक स्थिति, स्थान, किस्म और भूखण्ड सम्बन्धी विवाद की पूरी जानकारी जनप्रतिनिधि होने के कारण मेयर, सभापति, अध्यक्ष को रहती है. न कि अधिकारी-कर्मचारियों को. अधिकारी के हस्ताक्षर युक्त पट्टे वितरण की व्यवस्था करके राज्य सरकार जनप्रतिनिधियों के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने का काम कर रही है, यह उचित नहीं है.

कर्णावट ने कहा कि दस्तावेज पर हस्ताक्षर होने का उद्देश्य मात्र प्रसिद्धि या दिखावा नहीं. बल्कि कार्य के प्रति जनप्रतिनिधि का नैतिक, विधिक प्रतिबद्धता और अधिकार भी है. इसलिए कर्णावट ने जनहित के कार्यों में जनप्रतिनिधियों का सम्मान, उपयोगिता, भूमिका और प्रतिबद्धता सुनिश्चित करने के लिए पट्टों के प्रारूप में संस्था प्रमुख मेयर, सभापति, अध्यक्ष के हस्ताक्षर का प्रावधान आवश्यकरूप से रखने की मांग उठाई.

आपको बता दें कि प्रशासन शहरों के संग अभियान में मेयर, सभापति ,अध्यक्ष के हस्ताक्षर के बिना पट्टे जारी करने की प्लानिंग की गई है और ये पावर जोन उपायुक्त को सौंपी गई है.

जयपुर. नगर निगम, नगर परिषद और नगर पालिका की ओर से अब तक जारी होते आए पट्टों पर मेयर, सभापति और अध्यक्ष के भी हस्ताक्षर होते हैं. हालांकि प्रशासन शहरों के संग अभियान में आवंटित किए जाने वाले पट्टों के प्रारूप में मेयर, सभापति और अध्यक्ष के हस्ताक्षर कॉलम नहीं दिए गए हैं.

इसे नियम विरुद्ध बताते हुए ग्रेटर नगर निगम के उपमहापौर पुनीत कर्णावट ने राज्य सरकार की ओर से जनप्रतिनिधियों की भूमिका और अधिकारों को कम करके स्थानीय निकायों की स्वायत्तता खत्म करने के प्रयास का आरोप लगाया है.

प्रशासन शहरों के संग अभियान में पट्टे वितरण से पहले ही पट्टों के प्रारूप को लेकर सवाल उठ रहे हैं. राज्य सरकार ने इस बार पट्टों का प्रारूप बदलते हुए उन्हें रंगीन किया है. आवासीय उपयोग, व्यवसायिक/पर्यटन उपयोग, मिश्रित उपयोग, संस्थागत उपयोग, औद्योगिक उपयोग और 69ए के पट्टे (हेरिटेज) अलग-अलग (पीले, लाल, नारंगी, नीले, बैंगनी और गेरुआ) रंग में जारी किए जाएंगे.

पट्टों के आकार से लेकर प्रिंटिंग तक हर छोटी-बड़ी बात का ध्यान रखा गया है. लेकिन इन पट्टों पर मेयर, सभापति और अध्यक्ष के हस्ताक्षर का कॉलम नहीं बनाया गया है. जिसे लेकर ग्रेटर नगर निगम के उपमहापौर पुनीत कर्णावट ने सवाल उठाते हुए कहा कि स्थानीय निकायों के सदस्यों द्वारा चुना गया जनप्रतिनिधि नगर पालिका, निगम परिषद और नगर निगम का मुखिया होता है.

पढ़ें- संपर्क पोर्टल : कहीं फेल, कहीं पास, शिकायतों के निस्तारण में पिछड़ गए राजस्थान के कई जिले..समय पर नहीं हो रहा समाधान

जिसे क्षेत्र की सम्पूर्ण जानकारी होती है. भूखण्ड की वास्तविक स्थिति, स्थान, किस्म और भूखण्ड सम्बन्धी विवाद की पूरी जानकारी जनप्रतिनिधि होने के कारण मेयर, सभापति, अध्यक्ष को रहती है. न कि अधिकारी-कर्मचारियों को. अधिकारी के हस्ताक्षर युक्त पट्टे वितरण की व्यवस्था करके राज्य सरकार जनप्रतिनिधियों के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने का काम कर रही है, यह उचित नहीं है.

कर्णावट ने कहा कि दस्तावेज पर हस्ताक्षर होने का उद्देश्य मात्र प्रसिद्धि या दिखावा नहीं. बल्कि कार्य के प्रति जनप्रतिनिधि का नैतिक, विधिक प्रतिबद्धता और अधिकार भी है. इसलिए कर्णावट ने जनहित के कार्यों में जनप्रतिनिधियों का सम्मान, उपयोगिता, भूमिका और प्रतिबद्धता सुनिश्चित करने के लिए पट्टों के प्रारूप में संस्था प्रमुख मेयर, सभापति, अध्यक्ष के हस्ताक्षर का प्रावधान आवश्यकरूप से रखने की मांग उठाई.

आपको बता दें कि प्रशासन शहरों के संग अभियान में मेयर, सभापति ,अध्यक्ष के हस्ताक्षर के बिना पट्टे जारी करने की प्लानिंग की गई है और ये पावर जोन उपायुक्त को सौंपी गई है.

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