जयपुर. राजस्थान में कांग्रेस कार्यकर्ता लंबे समय से राजनीतिक नियुक्तियों में अपना नंबर आने की आस लगाए बैठे हैं. फिलहाल कार्यकर्ताओं का नंबर लगता नजर नहीं आ रहा, दूसरी तरफ कुछ नियुक्तियां ऐसी हो गई हैं जिन पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं का सवाल उठाना लाजिमी लग रहा है.
दरअसल राज्य विद्युत नियामक आयोग में जयपुर विद्युत वितरण निगम के जयपुर जोन में उपभोक्ता शिकायत निवारण फोरम में जोनल सदस्य प्रतिभा शर्मा को और अजमेर में अशोक पारीक को मेंबर बनाया गया है. इन दोनों नियुक्तियों को लेकर विवाद शुरू हो गया है. कांग्रेस कार्यकर्ताओं का आरोप है कि जहां प्रतिभा शर्मा भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश मीडिया समन्वयक रहे आनंद शर्मा की पत्नी हैं तो वहीं अशोक पारीक वसुंधरा सरकार के समय भी जिला उपभोक्ता आयोग में मेंबर थे. ऐसे में कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता इन निर्णयों पर सवाल खड़े कर रहे हैं.
गलत सिफारिश करने वाले नेताओं की जिम्मेदारी हो तय
भाजपा नेताओं के परिजनों या भाजपा नेताओं को ऐसी जिम्मेदारियां दिए जाने को लेकर राजस्थान कांग्रेस के उपाध्यक्ष राजेंद्र चौधरी ने उन नेताओं की जिम्मेदारी तय करने की बात कही है जिनकी सिफारिश पर गलत लोगों को नियुक्तियां दी गई. चौधरी ने कहा कि यह गलती सिफारिश करने वाले उन नेताओं की है जो किसी के नाम को सिफारिश करते हैं. चौधरी ने कहा कि जब कोई जिम्मेदार नेता किसी की सिफारिश राजनीतिक नियुक्तियों के लिए करता है तो रिकमेंडेशन करने वाले नेता का चेहरा देखा जाता है, न कि नियुक्ति पाने वाले नेता का.
चौधरी ने कहा कि जो भी सरकार होती है उसमें नॉमिनेशन प्लेजर ऑफ गवर्नमेंट से ही मिलते हैं. सरकारी नॉमिनेशन अपनी ही पार्टी से जुड़े नेताओं का इसलिए करती है क्योंकि पार्टी की रीति नीति, एजेंडा और पार्टी के घोषणा पत्र के आधार पर सरकार चुनी जाती है. उसी के अनुसार काम करती है. उसी विचारधारा के व्यक्ति को अगर नियुक्ति मिलती है तो वह उसी विचारधारा को आगे बढ़ाएंगे. लेकिन अगर विपक्ष के व्यक्ति को राजनीतिक नियुक्ति दी जाती है तो नेचुरल है कि वह उसे नुकसान पहुंचाएगा. ऐसे में सिफारिश करने वाले नेताओं की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए.
इस मामले पर राजस्थान विधानसभा के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने कहा कि वैसे तो ऐसी कोई बात सामने नहीं आई है, लेकिन अगर किसी ऐसे नेता का मनोनयन होता है तो वे उसे दिखवा लेंगे.
इससे पहले भी कई राजनीतिक नियुक्तियों पर उठे सवाल
राजस्थान भाजपा के नेता आनंद शर्मा की पत्नी प्रतिभा शर्मा और अशोक पारीक की नियुक्ति के बाद हुआ विवाद कोई पहली बार नहीं है. इससे पहले भी कांग्रेस सरकार की ओर से की गई राजनीतिक नियुक्तियों पर सवाल उठते रहे हैं. इससे पहले भरतपुर में भरतपुर भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष हंसिका गुर्जर को राजनीतिक नियुक्ति देते हुए राशन आवंटन सलाहकार समिति का सदस्य बनाया गया, तो वहीं पार्टी की ओर से कुम्हेर ब्लॉक में किसानों के करोड़ों रुपए लेकर फरार हुए एक भगोड़े व्यापारी हेमू खंडेलवाल की पत्नी लक्ष्मी खंडेलवाल को भी राजनीतिक नियुक्ति दी गई.
इसी तरीके से डीग में भाजपा नेता को पार्षद मनोनीत कर दिया गया. यही हालात टोंक में टोडारायसिंह में नवरत्न और ललिता जैन को पार्षद मनोनीत करने पर हुए थे. नवरत्नमल की पत्नी नैना देवी ने कांग्रेस से बगावत कर चुनाव लड़ा था. ललिता जैन के देवर कांग्रेस के बागी थे. ।मालपुरा में रवि माहेश्वरी और मरगूब अहमद को मनोनीत पार्षद बनाया गया था. मरगूब अहमद पर बगावत कर चुनाव लड़ने और रवी महेश्वरी पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप थे.
यही हालात जयपुर में बने जब पार्टी से बगावत करने पर निष्कासित भावना पटेल वासवानी को जयपुर ग्रेटर महिला कांग्रेस की अध्यक्ष बना दिया गया. हालांकि विवाद होते ही जिला कांग्रेस अध्यक्ष रेहाना रियाज ने नियुक्ति पर रोक लगा दी. हंसिका गुर्जर ने भी अपना पद यह कहते हुए छोड़ दिया कि वह भाजपा की नेता हैं.