जयपुर. राजस्थान में 6 जिलों जयपुर, जोधपुर, भरतपुर, सवाई माधोपुर, सिरोही और दौसा जिलों में पंचायत समिति और जिला परिषद सदस्यों के लिए नाम वापसी का आज अंतिम दिन था. तमाम मान-मनुहार के बाद भी कांग्रेस पार्टी (Congress party) के बागी (rebel candidates) मैदान में डटे हुए हैं.
कांग्रेस पार्टी ने निर्णय लिया है कि वह बगावत कर मैदान में उतरे उम्मीदवारों पर कार्रवाई नहीं करेगी, बल्कि अगर इन बागियों में से कोई प्रत्याशी जीत जाता है तो पार्टी उसे गले लगाते हुए प्रधान और जिला प्रमुख बनाने में उसकी सहायता लेगी.
राजस्थान में 6 जिलों की 200 पंचायत समिति सदस्यों के लिए चुनाव होना है. इन 200 पंचायत समितियों में कुल 653 प्रत्याशी मैदान में हैं. जोधपुर की एक पंचायत समिति में निर्विरोध निर्वाचन हुआ है. तो वहीं इन छह जिलों में 1564 पंचायत समितियों में 5173 प्रत्याशी मैदान में हैं. इन 1564 में से 26 प्रत्याशी निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं.
ऐसे में लगभग हर सीट पर कांग्रेस या भाजपा का एक प्रत्याशी बगावत कर चुनाव लड़ रहा है. लेकिन कांग्रेस पार्टी ने यह तय किया है कि जीतकर आने वाले बागी प्रत्याशी को पार्टी गले लगाएगी और प्रधान व जिला प्रमुख चुनने में मदद लेगी. यानी कांग्रेस पार्टी बागियों पर कार्यवाही करने से बचेगी. क्योंकि अगर पार्टी बागियों पर नाम वापस नहीं लेने पर कार्रवाई करती तो बागियों के दूसरी पार्टी के साथ गठजोड़ करने का डर रहता. यही कारण है कि पार्टी ने बागियों पर कार्रवाई नहीं करने का फैसला लिया.
ऐसा नहीं है कि कांग्रेस पार्टी ने पहली बार यह निर्णय लिया है. बल्कि कांग्रेस पार्टी इससे पहले वर्ष 2020 में 20 जिलों में पंचायती राज चुनाव और प्रदेश में हुए नगर निकाय व निगम चुनाव में भी ऐसा कर चुकी है.
बागियों पर कार्रवाई नहीं करने के पीछे एक कारण यह भी है कि कांग्रेस पार्टी ने जान-बूझकर उन सीटों पर सिंबल नहीं दिये थे जिन पंचायत समितियों और जिला परिषद की सीटों पर एक से ज्यादा प्रत्याशी थे. ऐसे में पार्टी ने नेताओं को यह संदेश दे दिया कि जो जीतेगा वह कांग्रेस पार्टी को मजबूत करने का काम करेगा.