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संगठन और सरकार में रार! विधायकों को राजनीतिक नियुक्ति देने पर कांग्रेस संगठन कर रहा विरोध

राजस्थान में राज्यसभा चुनाव के बाद अब राजनितिक नियुक्तियों पर कांग्रेस नेताओं की नजर है लेकिन कुछ विधायकों को भी राजनीतिक नियुक्तियां देने की कवायद हो रही है. जिसको लेकर कांग्रेस संगठन की ओर से विरोध किया जा रहा है.

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Published : Jun 22, 2020, 12:28 PM IST

Updated : Jun 22, 2020, 1:01 PM IST

राजस्थान में राज्यसभा चुनाव, Congress organization
राजनितिक नियुक्तियों पर लॉबिंग शुरू

जयपुर. राजस्थान में राज्यसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं. कांग्रेस के दोनों नेता केसी वेणुगोपाल और नीरज डांगी राज्यसभा के सदस्य बन चुके हैं. अब राज्यसभा चुनाव के बाद कांग्रेस कार्यकर्ता और नेता राजनीतिक नियुक्तियों का इंतजार कर रहे हैं. वहीं राजनीतिक नियुक्तियां पाने के लिए नेता और विधायक लॉबिंग कर रहे हैं. जिससे संगठन से जुड़े नेता नाराज हैं.

राजनितिक नियुक्तियों पर लॉबिंग शुरू

बता दें कि राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर लंबे समय से नेता और कार्यकर्ता इंतजार कर रहे हैं. कहा जा रहा है कि 10 दिनों तक चली बाड़ेबंदी में विधायकों के साथ ही राजस्थान से संगठन का भी एक आलाकमान भी मौजूद रहा. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट, प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे, रणदीप सुरजेवाला और दीपेंद्र हुड्डा के सामने भी विधायकों की बाड़ेबंदी के दौरान राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर चर्चा हुई. खुद संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल राजस्थान से राज्यसभा के प्रत्याशी थे. ऐसे में बाड़ेबंदी के दौरान ही उनसे भी राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर चर्चा हुई.

पार्टी के लिए काम करने वालों को मिले प्राथमिकता

बताया जा रहा है कि इस दौरान तमाम मंत्रियों, विधायकों से कांग्रेस कार्यकर्ताओं के नाम ले लिए गए हैं. जिन्हें राजनीतिक नियुक्तियां देनी है लेकिन इसी बीच एक खबर यह भी निकल कर आ रही है कि कुछ विधायकों को भी राजनीतिक नियुक्तियां देने की कवायद हो रही है. जिसका विरोध भी कांग्रेस संगठन की ओर से शुरू हो गया है. कांग्रेस हलकों में चर्चा शुरू हो गई है कि जिन नेताओं और कार्यकर्ताओं ने विपक्ष में रहते हुए पूरे 5 साल जमीन पर रहकर पार्टी के लिए काम किया है, उन्हीं को राजनीतिक नियुक्तियों में प्राथमिकता मिलनी चाहिए.

यह भी पढ़ेंः चीन के साथ हिंसक झड़प में घायल जवान सुरेंद्र सिंह का परिवार बयान के बाद गायब, कांग्रेस विधायक ने उठाए सवाल

बताया जा रहा है कि इस मामले में संगठन से जुड़े कई नेताओं ने प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे सहित कई आला नेताओं को अपनी बात पहुंचा दी है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने भी इस बात की वकालत की है कि जिन नेताओं और कार्यकर्ताओं ने 5 साल लगातार काम किया है. साथ ही पार्टी को विधानसभा चुनाव में जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई है, उन्हीं को नियुक्तियों में प्राथमिकता दी जानी चाहिए.

यह भी पढ़ेंः जयपुर: SDM और ADM संभालेंगे नालों की सफाई का जिम्मा, कलेक्टर ने दिए निर्देश

कहा जा रहा है कि विधानसभा और लोकसभा का चुनाव लड़ चुके नेता, पार्टी के विधायक, निर्दलीय विधायक भी निगम, बोर्ड में राजनीतिक नियुक्तियां पाने के लिए लॉबिंग कर रहे हैं. जिससे संगठन से जुड़े नेता भी नाराज बताए जा रहे हैं.

नेताओं को उम्मीद है कि जिस तरीके से कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल को राजस्थान से राज्यसभा सांसद चुना गया है. इससे कार्यकर्ताओं व नेताओं में उम्मीद है कि राजनीतिक नियुक्तियों में संगठन से जुड़े नेताओं को प्राथमिकता दी जाएगी लेकिन संगठन की नाराजगी ने कांग्रेस के बड़े नेताओं को एक बार परेशानी में डाल दिया है.

जयपुर. राजस्थान में राज्यसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं. कांग्रेस के दोनों नेता केसी वेणुगोपाल और नीरज डांगी राज्यसभा के सदस्य बन चुके हैं. अब राज्यसभा चुनाव के बाद कांग्रेस कार्यकर्ता और नेता राजनीतिक नियुक्तियों का इंतजार कर रहे हैं. वहीं राजनीतिक नियुक्तियां पाने के लिए नेता और विधायक लॉबिंग कर रहे हैं. जिससे संगठन से जुड़े नेता नाराज हैं.

राजनितिक नियुक्तियों पर लॉबिंग शुरू

बता दें कि राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर लंबे समय से नेता और कार्यकर्ता इंतजार कर रहे हैं. कहा जा रहा है कि 10 दिनों तक चली बाड़ेबंदी में विधायकों के साथ ही राजस्थान से संगठन का भी एक आलाकमान भी मौजूद रहा. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट, प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे, रणदीप सुरजेवाला और दीपेंद्र हुड्डा के सामने भी विधायकों की बाड़ेबंदी के दौरान राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर चर्चा हुई. खुद संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल राजस्थान से राज्यसभा के प्रत्याशी थे. ऐसे में बाड़ेबंदी के दौरान ही उनसे भी राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर चर्चा हुई.

पार्टी के लिए काम करने वालों को मिले प्राथमिकता

बताया जा रहा है कि इस दौरान तमाम मंत्रियों, विधायकों से कांग्रेस कार्यकर्ताओं के नाम ले लिए गए हैं. जिन्हें राजनीतिक नियुक्तियां देनी है लेकिन इसी बीच एक खबर यह भी निकल कर आ रही है कि कुछ विधायकों को भी राजनीतिक नियुक्तियां देने की कवायद हो रही है. जिसका विरोध भी कांग्रेस संगठन की ओर से शुरू हो गया है. कांग्रेस हलकों में चर्चा शुरू हो गई है कि जिन नेताओं और कार्यकर्ताओं ने विपक्ष में रहते हुए पूरे 5 साल जमीन पर रहकर पार्टी के लिए काम किया है, उन्हीं को राजनीतिक नियुक्तियों में प्राथमिकता मिलनी चाहिए.

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बताया जा रहा है कि इस मामले में संगठन से जुड़े कई नेताओं ने प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे सहित कई आला नेताओं को अपनी बात पहुंचा दी है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने भी इस बात की वकालत की है कि जिन नेताओं और कार्यकर्ताओं ने 5 साल लगातार काम किया है. साथ ही पार्टी को विधानसभा चुनाव में जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई है, उन्हीं को नियुक्तियों में प्राथमिकता दी जानी चाहिए.

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कहा जा रहा है कि विधानसभा और लोकसभा का चुनाव लड़ चुके नेता, पार्टी के विधायक, निर्दलीय विधायक भी निगम, बोर्ड में राजनीतिक नियुक्तियां पाने के लिए लॉबिंग कर रहे हैं. जिससे संगठन से जुड़े नेता भी नाराज बताए जा रहे हैं.

नेताओं को उम्मीद है कि जिस तरीके से कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल को राजस्थान से राज्यसभा सांसद चुना गया है. इससे कार्यकर्ताओं व नेताओं में उम्मीद है कि राजनीतिक नियुक्तियों में संगठन से जुड़े नेताओं को प्राथमिकता दी जाएगी लेकिन संगठन की नाराजगी ने कांग्रेस के बड़े नेताओं को एक बार परेशानी में डाल दिया है.

Last Updated : Jun 22, 2020, 1:01 PM IST
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