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सीएम सोच रहे शराबबंदी की लेकिन यूथ कांग्रेस अध्यक्ष घोघरा बोले- शराब हमारी संस्कृति

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Published : Mar 10, 2022, 8:21 PM IST

Updated : Mar 10, 2022, 8:52 PM IST

कांग्रेस विधायक और यूथ कांग्रेस अध्यक्ष गणेश घोघरा ने सरकार से मांग की है कि जनजाति क्षेत्र में रहने वाले परिवारों को 12 बोतल देसी शराब महुआ की रखे जाने की अनुमति दें. घोघरा ने शराब को जनजाति समाज की संस्कृति से जोड़ते (Congress MLA terms liquor as their culture) हुए ये मांग की. उन्होंने आदिवासी क्षेत्रों में खोले गए अंग्रेजी शराब ठेकों का यह कहकर विरोध किया कि यह देसी दारू बंद करने की साजिश है.

Congress MLA demands to increase liquor bottle stock limit
यूथ कांग्रेस अध्यक्ष घोघरा बोले शराब हमारी संस्कृति

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल के विवादित बयान के बाद एक और कांग्रेस विधायक गणेश घोघरा का शराब को लेकर आया बयान सुर्खियों में है. सुर्खियों में इसलिए क्योंकि मुख्यमंत्री राजस्थान में शराबबंदी की सोच रहे हैं, लेकिन उनकी ही पार्टी के विधायक और यूथ कांग्रेस अध्यक्ष गणेश घोघरा ने शराब को जनजाति समाज की संस्कृति से जोड़ दिया.

गुरुवार को सदन में आबकारी विभाग की अनुदान मांगों पर बहस के दौरान घोघरा ने सरकार से जनजाति क्षेत्र में रहने वाले परिवारों को 12 बोतल देसी शराब महुआ की रखे जाने और उस पर कोई कार्यवाही नहीं किए जाने की मांग (Congress MLA demands to increase liquor bottle stock limit) की. साथ ही यह भी कहा कि आबकारी अधिकारी इन क्षेत्रों में एक और दो बोतल होने पर ही 10 से 12 बताकर कार्रवाई करते हैं और मुकदमे लगाते हैं. जबकि शराब रखना और विभिन्न आयोजनों में उसका इस्तेमाल करना आदिवासी समाज की संस्कृति और रिवाज में शामिल है.

यूथ कांग्रेस अध्यक्ष घोघरा बोले- शराब हमारी संस्कृति

पढ़ें: मकान में चल रही थी अवैध शराब की फैक्ट्री, 11 कार्टन देसी शराब के साथ आरोपी गिरफ्तार

महंगी अंग्रेजी शराब पिलाकर देसी शराब बंद करना चाहती है सरकार: वहीं बहस के दौरान घोघरा ने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों में अंग्रेजी शराब की दुकानें भी खोली जा रही हैं. गरीब आदिवासी 1 से 2 हजार रुपए की अंग्रेजी शराब की बोतल खरीद कर और गरीब हो जाएगा. क्या यह देसी दारू बंद करने की साजिश है. घोघरा ने कहा कि आदिवासी क्षेत्र में बाहर के लोगों को अंग्रेजी शराब के ठेके दिए जाते हैं. जबकि इन दुकानों के अलॉटमेंट में टीएसपी का भी आरक्षण होना चाहिए.

पढ़ें: भरतपुर: नमकीन के पैकेट्स के नीचे छुपाकर लाई जा रही थी देसी शराब, दो आरोपी गिरफ्तार

सदन में ही हमें नहीं बोलने दिया जाता और अधिकारों का होता है हनन: सदन में अनुदान मांगों पर चर्चा के लिए हर विधायक को 7 मिनट का समय दिया गया था, लेकिन जब सभापति ने घोघरा को बार-बार बात कंप्लीट करने और बैठने के लिए कहा, तो घोघरा भड़क गए. घोघरा ने कहा कि इस सदन में ही हमें नहीं बोलने दिया जाता. यहां पर ही हम आदिवासियों के अधिकारों का हनन हो रहा है. हमें बोलने दिया जाए अभी तो हम यहां चुनकर आए हैं. बोलना सीख रहे हैं. इसलिए हमें सदन में बोलने का मौका मिलना चाहिए. इस पर सभापति जेपी चंदेलिया ने घोगरा को बोलने का मौका दिया.

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल के विवादित बयान के बाद एक और कांग्रेस विधायक गणेश घोघरा का शराब को लेकर आया बयान सुर्खियों में है. सुर्खियों में इसलिए क्योंकि मुख्यमंत्री राजस्थान में शराबबंदी की सोच रहे हैं, लेकिन उनकी ही पार्टी के विधायक और यूथ कांग्रेस अध्यक्ष गणेश घोघरा ने शराब को जनजाति समाज की संस्कृति से जोड़ दिया.

गुरुवार को सदन में आबकारी विभाग की अनुदान मांगों पर बहस के दौरान घोघरा ने सरकार से जनजाति क्षेत्र में रहने वाले परिवारों को 12 बोतल देसी शराब महुआ की रखे जाने और उस पर कोई कार्यवाही नहीं किए जाने की मांग (Congress MLA demands to increase liquor bottle stock limit) की. साथ ही यह भी कहा कि आबकारी अधिकारी इन क्षेत्रों में एक और दो बोतल होने पर ही 10 से 12 बताकर कार्रवाई करते हैं और मुकदमे लगाते हैं. जबकि शराब रखना और विभिन्न आयोजनों में उसका इस्तेमाल करना आदिवासी समाज की संस्कृति और रिवाज में शामिल है.

यूथ कांग्रेस अध्यक्ष घोघरा बोले- शराब हमारी संस्कृति

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महंगी अंग्रेजी शराब पिलाकर देसी शराब बंद करना चाहती है सरकार: वहीं बहस के दौरान घोघरा ने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों में अंग्रेजी शराब की दुकानें भी खोली जा रही हैं. गरीब आदिवासी 1 से 2 हजार रुपए की अंग्रेजी शराब की बोतल खरीद कर और गरीब हो जाएगा. क्या यह देसी दारू बंद करने की साजिश है. घोघरा ने कहा कि आदिवासी क्षेत्र में बाहर के लोगों को अंग्रेजी शराब के ठेके दिए जाते हैं. जबकि इन दुकानों के अलॉटमेंट में टीएसपी का भी आरक्षण होना चाहिए.

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सदन में ही हमें नहीं बोलने दिया जाता और अधिकारों का होता है हनन: सदन में अनुदान मांगों पर चर्चा के लिए हर विधायक को 7 मिनट का समय दिया गया था, लेकिन जब सभापति ने घोघरा को बार-बार बात कंप्लीट करने और बैठने के लिए कहा, तो घोघरा भड़क गए. घोघरा ने कहा कि इस सदन में ही हमें नहीं बोलने दिया जाता. यहां पर ही हम आदिवासियों के अधिकारों का हनन हो रहा है. हमें बोलने दिया जाए अभी तो हम यहां चुनकर आए हैं. बोलना सीख रहे हैं. इसलिए हमें सदन में बोलने का मौका मिलना चाहिए. इस पर सभापति जेपी चंदेलिया ने घोगरा को बोलने का मौका दिया.

Last Updated : Mar 10, 2022, 8:52 PM IST
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