जयपुर. राजस्थान की राजधानी को छोटी काशी कहा जाता है. जयपुर के चार दिवारी क्षेत्र में भले ही विधायक अल्पसंख्यक क्यों न हों, मंदिर में अक्सर वो दिखाई दे जाते हैं. चाहे चुनावों का समय हो या फिर कोई त्योहार या आम दिन, चाहे ताड़केश्वर शिव मंदिर हो या फिर गोविंद देवजी मंदिर या फिर कोई अन्य मंदिर, पुराने जयपुर में अक्सर ऐसी तस्वीरें सामने आती रही हैं, जब अल्पसंख्यक विधायक मंदिर में दर्शन और पूजा-अर्चना करते नजर आते हैं.
कुछ ऐसी ही तस्वीरें एक बार फिर आज गुरुवार को सामने आईं, जब जयपुर के किशनपोल विधायक अमीन कागजी ताड़केश्वर शिव मंदिर और लाडली मंदिर में न केवल दर्शन करने पहुंचे, बल्कि पूजा-अर्चना कर जलाभिषेक भी किया. विधायक अमीन कागजी अल्पसंख्यक विधायक होने के बावजूद इससे पहले भी इस कई बार मंदिर में नजर आ चुके हैं.
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इससे पहले भी अमीन कागजी राजस्थान में चले राजनितीक संकट के समय शिव मंदिर में जलाभिषेक करते हुए नजर आए थे. वहीं, कोरोना काल में यही अमीन कागजी एक ऐसी महिला का दाह संस्कार करने सांगानेर के श्मशान घाट में पहुंचे थे, जिनका निधन कोरोना के चलते हुआ था और उनकी बेटी लोगों से सहायता मांग रही थी. कागजी ने पूरे हिन्दू रीति-रिवाज से खुद दाह संस्कार किया था.
सॉफ्ट हिंदुत्व के जरिये हिंदू वाटों पर नजर या जयपुर की गंगा-जमुनी परिपाटी...
राजस्थान की राजधानी जयपुर में अक्सर इस तरह की तस्वीरें सामने आती रही हैं कि जब कोई विधायक मंदिर में पहुंचा हो. इसे जयपुर की गंगा-जमुनी तहजीब का उदारण भी माना जा सकता है. इसके साथ ही अमीन कागजी जिस विधानसभा किशनपोल से आते हैं, उस किशनपोल विधानसभा में भले ही मुस्लिम मतदाता बड़ी संख्या में हों, लेकिन कागजी को लेकर कहा जाता है कि उन्हे हिंदू वोट भी मिलते हैं, जिसके चलते वो चुनाव जीतते हैं. ऐसे में कागजी अपनी सॉफ्ट हिंदुत्व वाली इमेज को बरकारार रखते हुए जयपुर की संस्कृति को आगे बढ़ा रहे हैं.
क्या कहते हैं भाजपा नेता...
जयपुर के किशनपोल क्षेत्र से कांग्रेस विधायक अमीन कागजी का इन दिनों क्षेत्र के मंदिरों में पूजा-अर्चना और दर्शनों के लिए जाना सियासी गलियारों में चर्चा का विषय है. वहीं, भाजपा नेता कागजी के मंदिर दर्शनों को सियासत से जोड़कर देखते हैं और ये भी कहते हैं कि मंदिर दर्शन अच्छी बात है, लेकिन ईश्वर में आस्था है तो वो आपके आचरण में दिखना भी चाहिए. क्योंकि फिर डबल स्टैंडर्ड नहीं चल पाएगा.
प्रदेश भाजपा के पूर्व प्रवक्ता और मौजूदा मीडिया पैनललिस्ट लक्ष्मीकांत भारद्वाज के अनुसार मंदिर जाना अच्छी बात है. क्योंकि वहां जाने से सकारात्मकता आती है और मन में अच्छे विचार भी आते हैं. लेकिन केवल राजनीतिक मजबूरी के चलते जाना ठीक नहीं है. भारद्वाज ने कहा कि आपके मन में मंदिर, ईश्वर के प्रति आस्था है तो यह सब आपके आचरण में भी दिखना चाहिए. जबकि ऐसा नहीं हो सकता कि दो समुदाय के लोगों में आपस में कोई विवाद हो जाए तो आप खुलकर एक समुदाय विशेष के समर्थन में खड़े हो जाएं या फिर हरिद्वार के लिए बस जाती है तो उसमें बैठे सवारियों के साथ समुदाय विशेष के लोग मारपीट करते हैं. तब भी आप एक समुदाय विशेष के समर्थन में खड़े नजर आएं.