जयपुर. कृषि उपज, वाणिज्य और व्यापार (संवर्धन और सुविधा अध्यादेश), मूल आश्वासन और कृषि सेवा समझौता अध्यादेश, आवश्यक वस्तु (संशोधन) अध्यादेश अब राज्यसभा और लोकसभा में पास हो चुके हैं. लेकिन कांग्रेस पार्टी इन के विरोध में खड़ी हो गई है और देशभर में इसके खिलाफ धरना प्रदर्शन का कार्यक्रम जारी कर चुकी है.
इन विरोध प्रदर्शनों में राजस्थान भी शामिल है. लेकिन राजस्थान में सरकार के कोरोना के चलते लगाई गई धारा 144 ने संगठन के इस प्रदर्शन को लेकर पसोपेश में डाल दिया है. क्योंकि, प्रदेश के 11 जिलों में धारा 144 है. ऐसे में विरोध प्रदर्शन केवल सांकेतिक ही होंगे.
भले ही कांग्रेस पार्टी आधिकारिक रूप से इसकी बात ना कहे. लेकिन हकीकत यही है कि जिस रफ्तार से राजस्थान में कोरोना का असर पड़ रहा है, उसके चलते सत्ताधारी दल होने के कारण कांग्रेस पार्टी राजस्थान में आक्रामक आंदोलन करते हुए भीड़ इकट्ठा नहीं कर सकती है.
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दूसरा कारण यह भी है कि राजस्थान के 11 जिलों में धारा 144 लगी हुई है, जिनमें राजस्थान के जयपुर, जोधपुर, कोटा, अजमेर, अलवर, भीलवाड़ा, बीकानेर, उदयपुर, सीकर, पाली और नागौर जिले शामिल है. ऐसे में इन 11 जिलों में तो 5 से ज्यादा लोग इकट्ठे हो ही नहीं सकते. ऐसे में अगर कांग्रेस राजस्थान में बाकी जिलों में हुए प्रदर्शनों में अगर भीड़ इकट्ठा करती है तो ऐसे में वह सवालों के कटघरे में भी खड़ी हो जाएगी.
यही कारण है कि कांग्रेस पार्टी ने इन 11 जिलों में केवल सांकेतिक प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है. लेकिन दिक्कत यह है कि राजस्थान में कोरोना संकट बढ़ता जा रहा है. ऐसे में कांग्रेस के इस प्रदर्शन में राजस्थान कांग्रेस की नींद उड़ा दी है कि वह पार्टी का आदेश मानकर यह बड़ा प्रदर्शन 11 जिलों के अलावा भी अगर करती है तो सीधे तौर पर यह कोरोना गाइडलाइन का उल्लंघन होगा.
गौरतलब है कि धारा 144 का असर ही था कि राजस्थान में सोमवार को कांग्रेस पार्टी के कृषि बिल के खिलाफ होने वाले प्रदर्शन साधारण रहे थे. प्रदेश अध्यक्ष अपने साथ ही मंत्रियों के साथ जाकर कलेक्टर को सांकेतिक विरोध के स्वरूप ज्ञापन देते हुए नजर आए थे. क्योंकि, जयपुर में भी धारा 144 लगी हुई है तो ऐसे में पैदल मार्च करते हुए राजभवन जाने के कार्यक्रम में भी अभी संशय बना हुआ है.